भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा से पहले भुवनेश्वर के मिनिएचर आर्टिस्ट एल. ईश्वर राव ने अपनी शानदार शिल्पकला को प्रदर्शित करने के लिए चाक, पत्थर और कागज के इस्तेमाल से एक बोतल के अंदर बेहतरीन कलाकृति तैयार की है. बेहद बारीकी से बनाई गई इस कलाकृति में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की छोटी-छोटी मूर्तियां हैं. इनमें से हर मूर्ति को बेहद सावधानी के साथ तराशा गया है. सभी मूर्तियां बमुश्किल एक इंच ऊंची हैं. ईश्वर राव चाहते हैं कि उनकी इस कलाकृति के जरिए लोग रथ उत्सव के दौरान पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद को महसूस कर सकें. रथ यात्रा को रथ उत्सव के नाम से भी जाना जाता है. ये भगवान जगन्नाथ, उनके भाई भगवान बलभद्र और उनकी बहन देवी सुभद्रा की गुंडिचा मंदिर में उनकी मौसी के घर तक की सालाना यात्रा का प्रतीक है. तीनों जगन्नाथ मंदिर की अपनी वापसी यात्रा पर निकलने से पहले नौ दिनों तक यहां रुकते हैं. भगवान की मंदिर वापसी की यात्रा को बहुड़ा यात्रा के नाम से जाना जाता है. इस साल सालाना रथ यात्रा उत्सव 27 जून से शुरू होगा.
00:00भगवान जगरनात की रथयात्रा से पहले भोनेश्वर के मिनियेचर आर्टिस्ट एल ईश्वर राउ ने अपनी शांदार शिल्पकला को प्रदर्शित करने के लिए चाक, पत्थर और कागस के इस्तिमाल से एक बोतल के अंदर बेहतरीन कलाकृति तैयार की है।
00:16बेहत बारीकी से बनाई गए इस कलाकृति में भगवान जगरनात, भगवान बलबद्र और देवी सुबद्रा की छोटी-छोटी मूर्तियां हैं। इन में से हर मूर्ति को बेहत सावधानी के साथ तराशा गया है। सभी मूर्तिया वह मुश्किल एक इंच उंची हैं।
00:46वह भी वन इंच का अंदर। इस काम करने के लिए मेरे को पांच दिन समय लगा। अब देखिए जो प्लास्टिक बोतल के अंदर। इसका जो स्टैंड है वो जो पत्तर से बनाई हुआ। उसका इंच है साड़े दो इंच और जो पीछे जो स्री मंदिर है जो पूरी जो र
01:16कि उनकी इस कलाकृति के जरीए लोग रत उत्सव के दोरान पूरी शद्धा और भक्ति के साथ भगवान जगनात के आशिरवात को महसूस कर सकें।
01:46ऑर उनकी बहन देवी सुबदर की गुंडीचा मंदिर में उनकी मौशी के घर तक की सालाना यात्रा का प्रतीक है। तीनो जगनात मंदिर की अपनी वाप्सी यात्रा पर निकलने से पहले नौ दिनो तक यहां रुखते हैं। भगवान की मंदिर वापसी की यात्रा को बह�