25 जून 1975 का वो काला दिन, जिसनें देश के इतिहास में इमरजेंसी का धब्बा लगा दिया. आपातकाल की घोषणा के साथ हर नागरिक के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए. लोगों के पास न तो अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार था, न ही जीवन का अधिकार. पांच जून की रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफ्तारियां शुरू हो गई थीं. इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जेल में डाला गया था कि जेलों में जगह ही नहीं बची. प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई. हर अखबार में सेंसर अधिकारी रख दिये गये थे. अगर किसी ने सरकार के खिलाफ खबर छापी तो उसे गिरफ्तारी झेलनी पड़ी. आपातकाल के दौरान प्रशासन और पुलिस ने लोगों को प्रताड़ित किया, जिसकी कहानियां बाद में सामने आईं. लेकिन इसी दौरान कुछ ऐसे नेता भी सामने निकल कर आये, जिनका कद इमरजेंसी ने कई गुणा बढ़ा दिया. इंदिरा गांधी के तानाशाही रवैए के खिलाफ जय प्रकाश नारायण से लेकर राज नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडिस, मोरारजी देसाई, एचडी देवेगौड़ा, शरद यादव, राम विलास पासवान, डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे नेताओं ने खुलकर आवाज उठाने का काम किया. इसके लिए उन्हें जेल की काली कोठरी में महीनों रहना पड़ा और प्रशासन के जुल्म-ज्यादतियों का शिकार भी होना पड़ा है.
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00:0025 जून 1975 का वो काला दिन जिसने देश के इतिहास में इमर्जंसी का धबा लगा दिया
00:06अपातकाल की घोशना के साथ हर नागरिक के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिये गए
00:11लोगों के पास न तो अभी व्यक्ति के आजादी का धिकार था नहीं जीवन जीने का धिकार
00:175 जून की रात से ही देश में विपक्ष के नेताओं की गिरफतारियां शुरू हो गई थी
00:21इतनी बड़ी संख्या में लोगों को जेल में डाला गया था कि जेल में जगे ही नहीं बची थी
00:26प्रेस पर सेंसर शिप लगा दी गई हर अखबार में सेंसर अधिकारी रख दिये गए
00:31अगर किसी ने सरकार के खिलाफ खबर चापी तो उसे गिरफतारी जेलने पड़ी
00:35अपात काल के दौरान प्रशासर और पुलिस ने लोगों को प्रताडित किया
00:39जिसकी कहानिया बाद में सामने निकल कर आई
00:41लेकिन इसी दौरान कुछ ऐसे नेता भी सामने निकल कर आए
00:45जिनका कद इमर्जन्सी ने कई गुना बढ़ा दिया
00:47हलाकि 21 महीने के बाद 21 मार्च 1977 को देश से अपात काल हटा लिया गया
00:53तब देश में चुनाव का फैसला हुआ अपात काल के विरोधी सभी नेता बाहर आए
00:58और कॉंग्रेस को सत्ता से उखाड कर फेंग दिया
01:00नमस्कार मैं रिचा और आज हम इमर्जन्सी के दोरान इंद्रा गांधी के ताप में जलने वाले उन्नेताओं के बारे में जानेंगे
01:07जो सियासत में खूब निखरे इनमें कुछ चेहरे आज भी कुशलने तृत्व की छवी के रूप में जाने जाते हैं
01:13तो कुछ के जीवन के लिए समाप्थ हो चुकी है
01:15अपातकाल का विरोध करने वालों में बीजेपी के वरिष्ट नेता लाल कृष्ण आडवानी प्रमुक्ष चहरा हुआ करते थे
01:21इसके लिए आडवानी को 19 महीने तक जेल में रहना पड़ा था
01:25जेपी आंडोलन के दौरान आडवानी गुजरात में सक्रियत है
01:28साल 1975 में गुजरात में कॉंग्रेस का भेद किला धाने में आडवानी ने एहम भूमी का निभाई थी
01:35जिसके बाद अटल और आडवानी की जोड़ी देश भर में प्रसिद्ध हो गई
01:39आडवानी चार बार राजसभा और पांच बार लोगसभा के सदस्य रहे
01:42मौजूदा समय में वे बीजेपी के सलाकार मंडल में हैं लेकिन सेहट ठीक नहीं होने के चलते राजनीती में सक्रियन नहीं है
01:49अबातकाल सजिन नेताओं का सियासी भविष्य निखरा उनमें बिहार के पुर्व मुख्य मंत्री लालू प्रसाद यादव भी शामिल हैं
01:56चात्र जीवन से राजनीती में कदम रखने वाले लालू यादो सरकारी नौगरी छोड़कर जेपी अंदोलन में शामिल हो गये थे
02:02अबातकाल के विरोध में लालू को 1975 में गिरफतार कर लिया गया और वे 1977 तक जेल में रहे
02:08उनके जेल में रहदे के दोरान ही उनकी बेटी का जन्म हुआ था तो उन्होंने उनका नाम मीसा भाती रख दिया क्योंकि लालू को मीसा कानून के तहट जेल में डाला गया था
02:171977 में लोगसभा चुना हुए तो लालू यादो 29 साल की उम्र में लोगसभा सांसत बने
02:22लालू यादो ने उस समय सबसे कम उम्र के सांसत बने का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराया था
02:271990 से 1997 तक बिहार के CM रहे और फिर केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं
02:33लालू यादो अभी आरजटी के अध्यक्ष हैं
02:35अब आपात काल के दौरान सुब्रमन्यम स्वामी भी बड़े हीरो बन कर उब रहे थे
02:39वैसे तो इन्होंने आपात काल से पहले ही इंद्रा गांधी एक खिलाफ मोचा खोल दिया था
02:44अब इंद्रा गांधी की नाराजगी के चलते स्वामी को दिसंबर 1972 में IIT दिल्ली की नौकरी गवारनी पड़ी
02:50आपात काल के खिलाफ स्वामी को गिरफतार करने के लिए पुलिस पूरा प्लैन बना चुकी थी
02:55लेकिन उनकी नौकर शाहों के बीच अच्छी पकड होने की वज़े से वो बच गए
02:59वो छे महीने के लिए अंडरग्राउंड हो गए और चुपके से अमेरिका चले गए
03:03सुब्रमन्यम स्वामी अमेरिका के हारवाड यूनिवसिटी में प्रोफेसर बन गए
03:07हर्वर्ट के मंच का उपयोग करके इमर्जिंसी से लेकर अमेरिका में भारतियों को जागरूप करना उन्होंने शुरू कर दिया
03:13सुब्रमन्यम अमेरिका से भारत वापस आये
03:15संसत के सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए 10 अगस्त 1976 में लोक सवासतर में भाग लिया
03:21और देश से पलायन कर अमेरिका वापस लौड गए इस तरह वे अपात काल के खिलाब अवाज बुलंद करने वाले एक नेता बने वे जंदा पार्टी से लेकर बीजेपी तक में रहे
03:30फिलहाल बीजेपी में साइड लाइन चल रहे हैं इस लिश्ट में अगला नाम है बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार का जो आपात काल के दोरान गिरफतार भी हुए थे उन्हें बहोजपूर से गिरफतार किया गया था नितिश के गिरफतारी पर 15 पुलिस अधिकार
04:00इसके साथ मिलकर समता पार्टी की स्थापना की थी जिसका बाद में 2003 में जनता दल उनाइटेड में विलय कर दिया गया नितिश कुमार 1996 में लोक सभा के लिए चुनलिये गए लेकिन उससे पहले विधायक रहे उन्हें अटल विहारी वाजपई के सरकार में केंद्रिय मंत
04:30राने वालों में प्रमुक रूप से जय प्रकाश नरायन का नाम सामने आता है अपादकाल के किला पूरे अंदोलन का मुख्य चहरा रहे इसलिए उसे जेपी अंदोलन के नाम से भी जाना जाता है अपादकाल लगने के साथ ही जिन नेताओं के गिरफ्तारी हुई उनमें �
05:00आगे चलकर वह तीन बार देश के प्रधान मंत्री बने लेकिन 6 अगस 2018 को लंबी भीमारी के बाद उनका निधन हो गया उन्हें 2015 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया समाजवादी अंदोलन से निकलने वाले मुलायम सिंग यादो भी आपात काल के खिलाफ जेल जाने व
05:30यूपी सरकार में मंत्री बने और सूबे के चार बार मंत्री बने गेंद्र में रक्षा मंत्री की जिमदारी भी संभाली पर उत्तर प्रदेश के भी तीन बार सीएम रहे और ऑक्टूबर 2022 में उनका निधन हो गया अपात काल के दौर में शरद यादव पुर्व पीम चं�
06:00गांधी का विरोध कर जेल गए तो सियासी बुलंदी को भी चुआ अपात काल के बाद 1977 में जनता पार्टी के सरकार बनी तो मुरार जी दिसाई पहले गैर कॉंग्रेसी प्रधान मंत्री हुए
06:11मुरार जी की सरकार गिरी तो चौधरी चरण सिंग प्रधान मंत्री बने तो ये थी कहानी अपात काल की और उससे उभरे नेताओं की
06:19आपको ये रिपोर्ट कैसी लगी हमें जरूर बताएं और ऐसी और खबरों के लिए बने रहें बाने इंडिया के साथ धरने बाद