05:09શમતેવી અજામતતેતે કે સીણ્તે જાંતે કે શિણ્તે અજીંતે કેતરીં આદે મેરી કેતે હેતેતી વીતી�
05:39do
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10:11from the society, the society will be the same as the society of society.
10:19So they will become the society of society and the society of society.
10:30और स्री नारायन गुरु के ऐसे प्रयासों से गांधी जी ने भी प्रेर्णा पाई, उन्से मारदर्शन लिया, गुरुदेव रविन्नाट पैगोर जैसे विद्वानों को भी स्री नारायन गुरु से चर्चा का लाब मिला।
10:51साथियों, एक बार किसे ने श्री नारायन गुरु की आत्मोप देश शतकम रमन महरसीजी को सुनाई थी, उसे सुनकर रमन महरसीजी ने कहा था अवर एलाम तेरिन जवर।
11:16यानि वो सब कुछ जानते हैं और उस दोर में जब विदेशी विचारों के प्रहाव में भारत की सब्यता, संस्कृति और दर्शन को नीचा दिखाने के शड्यंत्र हो रहे थे।
11:38स्री नारायन गुरे ने हमें यह एसास कराया कि कमी हमारी मुल्परंपरा में नहीं है।
11:49हमें अपने आध्यात्म को सही अर्थों में आत्मसाथ करने की जरुरत है।
12:00हम नर में स्री नारायन को जीव में शीव को देखने वाले लोग है।
13:39वन वर्ल वन हेल जैसे इनिशेटिव शुरू किया है आज भारत सस्टेनेबल डेवलप्मेंट की दिशा में वन सन वन अर्थ वन ग्रीड जैसे ग्लोबल मुमेंट को भी लीड कर रहा है आपको याद होगा 2023 में भारत ने जब
14:05जी ट्वेंटी समीट को होस किया साथ हमने उसकी भी थीम रखी थी वन अर्थ वन फैमिली वन फ्यूचर हमारे इन प्रयासों में वसुधेव कुटुम कम की भावना जुड़ी हुई है
14:23स्री नारायन गुरु जैसे संतों की प्रेणा जुड़ी हुई है साथ क्यों स्री नारायन गुरु ने एक ऐसे समाज की परिकल्पना की थी जो भेदभाव से मुक्त हो
14:38मुझे संतों है कि आदेश सैचुरेशन एप्रोच पर चलते हुए भेदभाव की हर गुंजाईश को खत्म कर रहा है
14:52लेकिन आप दस ग्यारा साल पहले के हालत को याद करिए आज हादी के इतने दसक बाद भी करोनों देशवासी कैसा जीवन जिनने को मजबूर थे
15:05करोनों परिवारों के सिर पर छट तक नहीं थी
15:10लाखों गावों में पीने का साप पानी नहीं था
15:15छोटी छोटी बिमारी में भी इलाज कराने का विकल्प नहीं
15:21गंबीर बिमारी हो जाएं तो जीवन बचाने का कोई रास्ता नहीं
15:28करोणों गरीब ढलीद आदिवासी मैलाय मुल्भूत मानविय गरिमा से मनचित थे
15:36और ये करोणों लोग इतनी पीडियों से इन कटिनाईओं में जीते चले आ रहे थे
15:47कि उनके मन में बहतर जिन्दगी की उमी तक मर चुकी थी
15:54जब देश की इतनी बड़ी आबादी ऐसी पीड़ा और निराशा में थी, तब देश कैसे प्रगति कर सकता था?
16:07और इसलिए हमने सबसे पहले सम्वेदन सिल्टा को सरकार की सोच में ढाला, हमने सेवा को संकल्प मनाया,
16:19इसी का परणाब है कि हम पी-एम आवास योजना के तहट करोणों, गरीब, बलीद, पीडीद, शोसित, बंचित परिवारों को पक्के घर दे पाई,
16:36हमारा लक्ष हर गरीब को उसका पक्का घर देने का है, और ये घर केवल इट सिमेंट का धाचा नहीं होता,
16:53उसमें घर की संकल्पना साकार होती है, तमाम जरूरी स्विधाएं होती है, हम चार दिवारों वाली इमारत नहीं देते हैं,
17:07हम सपनों को संकल्प में बदनने के वाला घर देते हैं, इसलिए पिएम आवास योजना के घरों में गैस, बिजली, सवचाले जसे हर सुविधा सुनिस्चित की जा रही है,
17:27जल जीवन मिशन के तहर, हर घर तक पानी पहुचाया जा रहा है, ऐसे आदिवास इलाकों में, जहां कभी सरकार पहुची ही नहीं, आज वहां विकास की गारंटी पहुच रही है,
17:47आदिवासियों में, उसमें भी जो अती पिछड़े आदिवासि हैं, हम उनके लिए पीएम जन्मन योजना शुरू किये हैं,
18:02उससे आज कितने ही इलाकों की तश्वीर बदल रही हैं,
18:07इसका परणाम ये हैं कि समाज में अंतिम पाइदान पर खड़े व्यक्ति में भी नई उम्मिद जगी हैं,
18:19वो न केवल अपना जीवन बदल रहा है, बलकि वो राष्ट निर्मान में भी अपनी मजबुत भूमी का देख रहा हैं,
18:29साथियों, स्री नारायन गुरु ने हमेशा महिला शसक्ति करण पर जोर दिया था,
18:39हमारी सरकार भी वुमेन लेट डवलप्मेंट के मंतर के साथ आगे बढ़ रही है,
18:46हमारे देश में आज हदी के इतने साल बाद भी ऐसे कई छेत्र थे जिन में महिलाओं की एंट्री ही बेंद थी,
18:57हमने इन पतिबंधों को हटाया, नए नए शेत्रों में महिलाओं को अधिकार मिले,
19:04आज स्पोर्ट से लेकर स्पेस तक हर फिल्ड में बेटियां देश का नाम रोशन कर रही है,
19:16आज समाज का हर वर्ग हर तपका एक आत्मों विश्वात के साथ विच्छित भारत के सपने को उसमें अपना योगदान दे रहा है,
19:26स्वच्छ भारत मिशन, परियावरन से जूड़े अभियान, अम्रत सरोबर का निर्मान,
19:37मिलेट्स को लेकर जागरूपता जैसे अभियान,
19:41हम जन भागी दारी की भावना से आगे बढ़ रहे हैं,
19:44एक सो चालिस करोर देश वाच्छ वाच्छ की ताकत से आगे बढ़ रहे हैं,