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New Delhi, June 24, 2025 (ANI): Addressing the 'Aapatkaal Ke 50 Saal' program, Union Home Minister Amit Shah blasts at Congress on June 24.Speaking at the event, Amit Shah said, "At 8 am, PM Indira Gandhi announced on the All India Radio that the President had imposed the Emergency. Was Parliament's approval taken? Was a cabinet meeting called? Was the Opposition taken into confidence? For those who talk about democracy today, I want to tell them that they are associated with a party that consumed democracy. The reason provided was national security, but the real reason was protection of the power... Indira Gandhi was the PM, but she did not have the right to vote in the Parliament. She did not have any rights as the Prime Minister. She left the moral ground and decided to continue as the Prime Minister..."
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NewsTranscript
00:00Dr. Anirvani Gangulyji, Shrihitesh Sankarji,
00:08आज जिनको हमने सन्मानित किया, वो पाँचो लोकतंत्र के प्रहरी और आज इस सभागार में उपस्तित सभी भाई और बेहनों।
00:28आज अपात काल की पूर्व संध्या की पचासवी बर्सी है।
00:42और इस पचासवी बर्सी पर यहाँ पर एक कारेक्रम का आयोजन स्यामाप्रसाद मुकरजी नियास ने रखा है।
00:53कई लोगों के मन में सवाल आता है कि पचास साल के पहले जो हुआ इसकी चर्चा करकर आज क्या करेंगे।
01:06जब मोदी जी ने तै किया 11 जुलाई 24 को कि 25 जुन को संभीदान हत्यात दिन के रूप में मनाया जाएगा।
01:21तब भी ये सवाल बार बार उठता था।
01:26और चुकि ये नौटिफिकेशन गुरू मंत्राले से आया था,
01:31मुझे भी व्यक्तिगत रूप से कई वरिष्ट पत्रकारों ने सवाल बूचा था।
01:38मगर मैं मानता हूँ कि आज का दिन इस अंगोष्टी के लिए सबसे उचीत दिन है।
01:50क्योंकि अच्छे या बूरे किसी भी प्रकार की राष्टिय गटना के जब 50 साल पूरे होते हैं,
01:58तो समाज जीवन के अंदर इसकी याददास धुंदली हो जाती है।
02:05और आपातकाल जैसी लोक्तंत्र की नीव हिलाने वाली की घटना,
02:14इसके बारे में याददास समाज जीवन की अगर धुंदली होती है,
02:22तो किसी भी लोक्तंत्रिक देश के लिए बहुत बड़ा खत्रा होता है।
02:29क्योंकि लोक्तंत्रिक भाव और तानसा ही,
02:33यह दो मन के दो भाव है।
02:37इसको आप व्यक्ति से मत जुड़िए।
02:40मन के जो भाव है, मानव प्रकृति के दो भाव है,
02:44वो कभी न कभी उबर कर समाज के सामने देश के सामने फिर से चुनोती बन कर आ सकते हैं।
02:52अगर तानसाही का विचार फिर से चुनोती बन कर आ सकता है,
02:56तो लोक्तंत्रिक सभाव देश का भला करने के लिए भी काम आता है।
03:02प्रतु जब पिडिया बदलती है, और राश्ट्र जीवन की इस प्रकार की घटनाओं की विश्मृति,
03:12विशेशकर जीन पर जिम्मेदारी है, वो किशोरों और युवाओं की स्मृति में से निकलने लगती है।
03:19जब ऐसे ही संगोष्टिया, ऐसे ही समविदान हत्यादिन की बात इस मृति को पुनरजिवीत करते हैं।
03:29और हम सबने ये याद रखना चाहिए। कितनी बड़ी लडाई उस वक्त, लाखों लोग जैल में रहकर, अपने परिवार का सब कुछ नश्ट करकर,
03:44कई लोगों के जीवन के केरियर मोड एक अश्चरजनक मोड ले गए, कई केरियर समाप्त भी हो गए, और वो लडाई ने भारत के अंदर लोगतंत्र को जीवित रखा,
04:02और आज हम दुनिया का सबसे बड़ा लोगतंत्र बनकर अज विश्व के सामने सनमान के साथ खड़ें,
04:11और ये लडाई क्यों जीते, वो धितने का मूल कारण है, कि हमारे देश की जनता ताना साही को कभी स्विकार नहीं कर सकती,
04:27क्योंकि पुरिये दुनिया में लोगतंत्र का उद्भव ही तो हमारे देश के अंदर हुआ है,
04:33एक प्रकार से भारत लोगतंत्र की जननी माना जाता है,
04:41लोगतंत्र हमारे यहां सिर्फ सम्विदान का स्प्रीट नहीं है,
04:46सम्विदान का स्प्रीट तो है ही,
04:47प्रन्तु संविधान निर्माताओने जनता के स्पिरीट को संविधान के अंदर सब्दों में व्यक्याईत करने का काम किया है
04:56यह हमारा जन सोभाव है
04:58और इसलिए यह लडाई हम जीते हैं
05:04कोई डर कर चूप रहे होंगे
05:06कोई कफन बांद का लड़े होंगे
05:09किनोंने सहन किया होगा
05:11किनोंने समय की रा देखी होगी
05:14मगर मुझे निश्चित रूप से मालूम है
05:18कि उस वक्त जितने भी पुक्त नागरिक थे
05:21किसी को ए आपातकाल पसंद नहीं आया होगा
05:25सिवा तानासा और उनके उनसे फाइदा करने वाली एक छोटी सी टोली
05:31और इसलिए
05:33जब ये भ्रांती के हमें कौन चैलेंज कर सकता है
05:37अपातकाल उठा लिया गया
05:40और जब चुनाव आया
05:41तो आजादी के पहली बार
05:44गहर कॉंग्रेसी सरकार बनी
05:46जनता सरकार बनी और मुरार जी भाई
05:48इस देश के प्रधानमंती बनी है
05:53मित्रो
05:54दस्तावे जो में
05:57पचास साल हो गए है
05:59परन्तु आज भी
06:02करोडो भारतियों के मन में गाउक
06:05इतना ही हरा है
06:07जितना आपातकाल के समय
06:10पचास साल पहले
06:1224 जून 1945 की रात
06:15स्वतंत्र भारत के इतियास की सायज
06:20सबसे लंबी रात थी
06:21और एक प्रकार से
06:23सबसे छोटी भी थी
06:25सबसे लंबी रात इसलिए थी
06:28कि इस रात की
06:30हुआ है
06:3021 महिनों के बाद आई
06:3321 महिनों के बाद
06:35फिर से लोगतंत्र पुनरजिवित हुआ
06:38JINADHIKAROI, VHIK PRAKRIYAOI, PARLAMENT KIKI PVAITRATA KO
06:48SINMAN KAKE SINDAKSHAN KE LITIE BUNNE HUYA NIAJAMOI KO
06:54BUNNE MET DOW VARDS 11 SAL AND 18 DIN KA SEMAY LGA
07:02હમારે સમિધાં નિરમાણ મે 2 વર્સ 11 સાલ
07:08ઔર 18 દીન કા સમય લગા તેરા સમિત્યો
07:12કા ગઠણ ઉઆ 165 દીન મે 117 સમપણ ઉએ 163 દીન મે 114 દીન સમિધાણ
07:23કે વિધિન પ્રાવધાનો પર વિસદ લંબી ચર્ચા હુઈ 1100 ઘંટા ઔર 32 મેત ચર્ચા હુઈ
07:31સાજ સદસ્ય ડ્રાપ्टિં કમીટી ને ઉસકો ફાઇનલ શેપ દીઆ
07:38ઔર જીત સમિધાન કે નિરમાણ મે
07:40દુણ્ય ભર કે લોગ તંતર કે સમિધાન સેયાદા વીચારવી મરસુવા
07:46ઇતના તયાગ તપસ્યા ઔર પરિશ્રમ
07:50સેકરો લોગોને કેયા ઉસ્યા કેચાં કેબિનેટ કે ફરમાન ને
07:56એક મીટ મે ખારિચ કર દિયા
07:58ઔર ઇસ્યા મે કેતાં કેતાં કેયા સ્યાં ભારત કે ઇત્યાસી લબી
08:05જ કેતં કેત્ય શેતાં મઈને કેતાં પશિં
08:08તલે કેતાં કેતા સે ચોટી રાત� Within In Ine
08:15I have worked on the 19th month and 18th month and 18th month and 18th month.
08:22I worked on the 19th month and 18th month and 18th month and 18th month.
08:31I have worked on a lot of thinking and thinking about it.
08:36I think it's not a big issue.
08:38It also is a multi-party democracy.
08:42It is a multi-party democracy, one who has a law-tentery.
08:46This is a multi-party democracy, a party party,
08:52a society's life-related,
08:55which requires a massive change to the government,
09:00which is a great responsibility and the corporations.
09:05ुठा कर भी विरोश किया
09:08एक सुबह
09:10जो
09:12भारत की आत्मा को जगा गई
09:15स्वतंद्र भारत की
09:17सबसे बड़ी
09:18त्रास्दी को हम
09:20तरको, तठ्चो
09:22और घटनाओ की
09:24सरूंखला से हम
09:25जरूर समझ सकते हैं
09:28बहुत सारा लिखा भी गया है
09:30और हिते संकर्जी ने कहा इस प्रकार से एक लंबी स्रुंखला है ये क्यूं हुआ इसकी परन्तु मेरा मानना है कि तर्ग या तत्य से अधीक प्रभावी होती है मनुष्य की सम्वेदना और कल्पना
09:48मैं इस सभागार में बैठे हुए सभी को कहना चाहता हूं कि आप कल्पना कीजिये वो क्षण की जिक्षण में कल तक तो आप भारत के नागरिक थे दूसरे दिन सुबह ही आप एक तानासा के घुलाम बनकर रह जाते हैं
10:07कल तक आप एक पत्रकार थे सच का आइना दिखाने वाले चोथे स्टम थे आज आप समाजिक तत्तों बन जाते हो और देश विरोधी घोशित कर दिये जाते हो
10:21कल तक आप छात्र थे जो देश का भविश्य होता है आज आप अस्तिर्ता फेलाने वाले कर दिये जाते हो
10:30कल तक आप सामाजिक कारे करता थे घरीबों की वनचीतों की आवाज उठाने वाले माने जाते थे आज आप देश के लिए खत्रा बन गए हो
10:42कल तक आप एक आम नागरिक थे जिसको ना सम्विधान की धाराय मालूम थी ना संसत की प्रक्रिया
10:52आज आप काल कोटरी के अंदर जैल में डाल दिये जाते हो
10:58आपने कोई नारा नहीं दिया कोई जुलूस नहीं निकाला फिर भी गलती सिर्फ इतनी है कि आपकी सोच आजाती एक सण इस सुबह कितनी क्रूरता के साथ भारत की जनता के पर बीती होगी इसकी कलपना हम नहीं कर सकते हैं
11:19मेरे साथ दो लोग जो मंच पर बैठे हैं दोनों ने पल्ला जाड़ दिया कि हम तो उस वक्त जन में ही नहीं थे वगर मैं पल्ला नहीं जाड़ रहता है
11:27मैं उस वक्त 11 साल का था गुजरात में वैसे आपात काल की असर बहुत कम हुई थी क्योंकि वहाँ जनता सरकार बन चुकी थी
11:39पर अपात काल का कहर एक साल के बाद गुजरात पर भी तूटा हमने देखा है हमारे गाओं के अंदर जनसंग के कारेकरता
11:51संग के स्वहमस्यक कई संस्था कोंग्रेसी समाजवादी सर्वोदई कई प्रकार के लोग जो अपनी अपनी विचारदारा के आधार पर भारत के नव निर्मान की गतिको पुनन निर्मान की विशा को ताई करने में लगे थे
12:10वो सारे के सारे देश द्रोही बनकर जहल की काल कोटरी में बंद कर दिए मेरे अकेले गाओं से छोटा गाओं है मेरा साथ मेरे के अकेले गाओं से 184 लोगों को जहल के डिबे के अंदर ब्लू डिबे के अंदर डालकर साबर्मति जहल में भेदिया गया मैं आज तक और मेर
12:40Professor Mangal Das
12:41का दोस क्या है
12:42कोई नहीं बता सकता
12:45कोई बताना भी नहीं चाहता था
12:47किसी में हिम्मत भी नहीं थी
12:48वो जो द्रस्ट देखा था
12:51वो बहुत
12:52क्रूर और रदय विदारक था
12:5525 जून 1975
12:57की वो सुबह
12:58जो सुरत तो निकला
13:01मगर उसकी रोशनी आजाद
13:03नहीं थी
13:04उस सुबह
13:05मौलिक अधिकारों की चादर
13:08ओड के सोय हुए
13:10नागरीक ताना साही
13:12की जंजीरों में जागे
13:14अखबार जो हर सुबह
13:16भारत को जगाता था
13:19उस सुबह
13:20उसको पहले ही बंद कर दिया गया था
13:23राजनितिक भिनता
13:25जो लोक्तंत्र का लक्षण
13:28और सुन्दर्ता मानी जाती थी
13:30उस वरक ए राजनिति
13:33मतभिनता को
13:34जैलों की अंधेरी
13:36काल कोटरी में बंद कर दिया गया
13:38और सम्विधान की
13:40आत्मा रोंत कर
13:42जना देश से बनी
13:44सरकारों को रातो रात
13:46जिरा दिया गया
13:47मित्रो ये बात
13:50इस देश की जनता ने
13:52कभी नहीं भूलनी चाहिए
13:53और न भूलनी चाहिए
13:55जिसेश कर इस देश के किसोरों
13:58और युवाओ
13:58जब व्यक्ति के अंदर
14:02पड़े हुआ ताना साह का गुण
14:04सरफेज पर आता है
14:06तब क्या होता है
14:08कि इत्यास हमारी
14:10युवापिडी को समझाना पड़े है
14:12अच बहुत सारे लोग
14:13समविदान के दुखाई देते हैं
14:16मैं उनको पूछना चाहता हूँ
14:18आप किस पार्टी से आते हो
14:20किस अधिकार से समविदान
14:22की बात करते हो
14:23सुबे सुबे
14:25आठ बजे ओल इंडिया रेडियो से
14:28प्रधान मंत्री जी की आवाज आई
14:30इंदीरा गांदी की आवाज आई
14:32राष्टरपती जी ने
14:34आपादकाल की घोशना की
14:36जो लोग समविदान की दुखाई देते हैं
14:39मैं उनको पूछना चाहता हूँ
14:41क्या इसके लिए संसत की सहमती ली गई थी
14:44क्या मंत्री मंदल की बैठक बुलाई गई थी
14:47क्या देश स्वास्यों को विपक्स को भरोसे में लिया गया था
14:51और
14:52लोग तंत्र की बात करने वाले लोगों को
14:55मैं पूछना चाहता हूँ
14:58किसा स्वास्यों आप वही पार्टी यूड़े वए लोग हैry जिनों ने लोग तंत्र के
15:05रक्षक की भूमिका से लोग तंत्र के भख्षक का कांच किया था
15:10मित्रो
15:11एकप्रकार से आपात कार्डय कारन बताई गए
15:14रास्टर की सुरक्सा
15:26याय प्रक्सा
15:27großer
15:33Um
15:35um
15:41foreign
15:55um
15:56ुपिया उपियोग क्या किया
16:25He worked to work to be a part of the territory of the land.
16:31He worked to work for this village.
16:37He worked to work for a village.
16:42In the city of India, there were many people in the village.
16:48foreign
17:181965
17:22वहाली था ना आंत्रीक था खत्रा था तो इंदिरा गांधी की सत्ता पर था और जनता जागरूत हो गई थी,
17:39He said that we have to believe that we have to believe that we have not been able to do it.
17:47And this is what it is all about, Indira Ji has been able to do it.
17:52In the morning of 4.00, the cabinet of the Apat Baitak was called.
17:57Baba Jagjihundam and Swarana Singh had told us that when we were going to do it,
18:04we had to discuss the agenda.
18:07और पूछा भी नहीं गया, सिर्फ इन्फॉर्म करने का काम किया, गुरू सचिव को भुलाया गया और आगे की कारेवाई के निर्देश दिये गए।
18:37यहां तक भी कि राजे रजवाडे जिनके राज्यों को विलीन होना था, उनका भी प्रतिनी दित्तों करकर लोकतांत्री तरीके से बनाई हुई सम्विधान सभा ने ए सम्विधान का निर्मान किया, और इंदीरा गांदी जी ने अनुचे 352 का दुर्योपियोग करकर सम्वि
19:07एक लाख दस हजार विपक्सी राजनेतिक नेताओं को जैल के अंदर ठूंसने का गया, कारेकरताओ, स्वतंत्र संपादक, रिपोर्टर, असंत्रूष्ट चात्रनेता और कई प्रकार के सर्वोदई और रचनात्मक प्रवतियों में लगे हुए नेताओं को भी जैल में ड
19:37पाली का, न्याय पाली का, प्रेश और मिडिया, कलाकार और जन सामान्य भी सुब्द रहकर, सुब्द होकर इस घटना को देखते रह गये, किसी को सुधाने की क्या करना है, क्या हो गया, और देखते देखते पूरा देश कारागार बन गया,
19:59जय प्रकास नारायन, मुरार जी देशाई, चौधरी चरन सिंग, अटल जी, अडवाने जी, नाना जी, देशमूक, फननाडी, आचारे क्रिपलानी, जैसे वरिष्ट नेता, ये सब जैल की कालकोट्रियों में डाल दिये गये, किसी को कोई मौका नहीं दिया गया, कोई कही
20:29गीराने का काम किया, और मित्रो सबसे समय की एक विडम ना होती है, समय कई बार कई प्रकार के दोहरे चरित्रों को सरफेस पर ला देता है, आज कॉंग्रेस पार्टी के साथ ऐसे भी लोग थे, जिनकी सरकारे भी गिरी और 19 महिना तक जैल में भी गए, समाजवादी भी थ
20:59जो आज बैठे हैं वहाँ पर, और वो लोग तंत्र के सवाल उठा रहे हैं, मैं कॉंग्रेस से ज्यादा उनको पुछना चाहता हूँ, कि आपको क्या अधिकार है भी लोग तंत्र के लिए सवाल उठाने का, आप किस पार्टी के साथ बैठे हो, जिस पार्टी ने इस दे�
21:29देमोक्रेसी को हमें साथ तक याद रहेगा, इमर्जंसी के दर्म्यान, स्रीमती घांधी ने समविधान में इतने बदलाव किये, चि इसको मीनी समविधान बताया गया, प्रियेंबल बदल दिया, आर्टिकल फोर्टीन बदल दिया गया, सेवन सेडिल बदल गया, चालीस �
21:59संसोधन इसने तो इंतेहा ही कर दी बेजिक स्ट्रक्चर को भी बदल दिया, और न्याय पालिका शुब्ध हो गई, क्योंकि न्याय पालिका में न्याय देने वाले पहले ही अपने अनुकुल बना कर रखे हुए थे, और संसोधन के 1969 विखन ने अन्ततों गतवा सुप्रिम
22:29कर दिया, और एजन्सिस का जो दुरूपयोग हुआ, वो भारतिय समाज, ये देश, इस देश की जनता कभी नहीं वुला सकती है, इसलिए नरेंद्र मोधी सरकान ने एक नीने किया है, कि हम समीदान हत्यादीन मनाएंगे, क्योंकि ये समगर राष्ट की चीर स्मृती में र
22:59वनता है, तब देश को कैसे दूस परिणाम भोगने पड़ते हैं, मित्रो आपातकाल के दोरान, जो सम्विदान संसोधन हुए, अर्तीस वा संसोधन, अनुच्छेद 130 और 213 के ध्वारा राष्ट्रपती और राज्यपाल के अधिकार बढ़ाए गए, 355 आपातकाल की उद
23:2949 वा संसोधन, 329 अनुच्छेद ये प्रधानमंद्री को नाईक मिमान सा के बाहर निकाल दिया गया, हितेश भाई, राष्ट्रपती, स्पीकर, उपराष्ट्रपती का भी जीकर करते हैं, मैं इंदिराजी को एक चीज में मार्क देना चाहूंगा, इन्होंने इतना रखा �
23:59बचा कर रखी थी, मगर मूल उसका उद्येश था, प्रधानमंद्री को नाईक मिमान सा के बाहर कारने का, और इसके साथ अनुच्छे 323 से और 323 बी में प्रसास्विक मामलों को निपटने वाले नहाय अधिकरनों को और अन्य मामलों को भी एक प्रकार से सरकार के अधिका
24:29के तहट आपालकार की अवधी को बढ़ाया गया, देश की संसत की सिमा भी आईशा भी बढ़ाया गया, और एडमिनिस्टेटिव दूरूप्योग हुआ, इस सब अधिकार जब एक जगे कत्रीत हुए, एक लाक यारा हजार लोग रादनेतिक और सामाजीक कारेकता जैल में
24:59मैंने मेरे जीवन में लता मंगेशकर के आवाज में ऐसे गीत सुने हैं, जिसमें लुएट थे, पूरुष की आवाज भी लता मंगेशकर का गाना था, और किसोर कुमार की आवाज भी लता मंगेशकर, लता मंगेशकर महिला की आवाज में भी गाती दी, क्योंकि किसोर कु
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32:04And we also have the people who have been along with the people who have been along with the group of people who are all alike.
32:24And more, one of these people who have been along with group of people who are in the group,
32:31पंच का विचार �, सरपंच का विचार this day में आया है।
32:36श्री कुष्न कभी राजा नहीं बने था
32:38एक घंढ तंत्र था विषाली और कई सारे घंढ तंत्र
32:46भूद्द के काल में भी हुए
32:48मलों का घंढ तंत्र था वैसाली का घंढ तंत्र था
32:51और यह सभी सबसे पहले विशो में यहां पर आए और यह जन सभाव जो बना है सालों से सहस्तीतों का जो सभाव बना है इसी में से यह हमारा सम्विधान निर्मीत हुआ है
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35:48emergency
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35:49do
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35:51did
35:53that
35:55now
35:56I
35:57I
35:59don't
36:01I
36:03think
36:06I
36:08J.P. की भांती हाथ में मसाल लेकर निकलना पड़ेगा इसक्या समय निश्चित नहीं होता है जन्द प्रभोधन पूरे देश की जन्दा के मन में लोगतांत्रिक विचारों को ध्रड़ीबूत करना हर नागरिक का कर्तव्य है सम्विधान का
36:26spirit की रक्षा केवल कॉर्ट और संसत नहीं कर सकती सम्विधान के spirit की रक्षा पूरी जन्दा की जिम्मेदारी है जो भी सम्विधान के spirit के साथ खिलवाड करेगा उसको डंडिट करने की जिम्मेदारी
36:42I am aware of the people who are aware of this, today is the day of the day, today is the day of the day, and I am thinking that the day of the day of the day, I am aware of the people who are aware of this,
36:59I am aware of the people who are aware of this life, all the days of the day, I am thinking about this person, and I am komoti Slokhi,