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हवाओं के बीच जब गड़ीसर सरोवर के किनारे हंसों की कतारें उतरती हैं, तो ऐसा लगता है मानो कोई प्राचीन ऋचा पुनः जीवंत हो उठी हो। पक्षियों का यह मौन प्रवास जल, वायु और आकाश के त्रिगुण की अनुभूति कराता है। जैसलमेर की रेत में बसी यह झील केवल पानी नहीं, भावनाओं का सरोवर है—जहां हर तरंग एक प्रार्थना बन जाती है।

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