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00:00भारत से कही न कहीं चूक हुई है, हमने अपने ही बहुत सारे भाईयों को मूड़ ही गोशित कर दिया
00:05सत्य का सूर्मा वो होता है, जो कहता है उसको भी तार दूँगा जो तर नहीं सकता
00:10जो स्वयम ही अपना कल्यान कर ले, जो खुद ही ग्यान अरजित औगरा कर ले, मैं जाके उसकी सहायता करूं, तो इसमें क्या विशिश
00:18अरे पौरुष तो इसमें हैं, सूर्माई तो इसमें हैं, कि तुम उसको भी जनवा दो, जो जान सकता ही नहीं था
00:24तुम उसको भी तारदो जो तैर सकते ही नहीं था यह बड़ी से बड़ी कायरता है कि तुम किसी की जान बचा सकते थे और तुमने बचाई ही नहीं क्या बोल करके ये व्यक्ति तो प्राण रक्षा का अधिकारी ही नहीं है
00:37श्री कृष्ण कह रहे हैं उसको विचलित भर करने से नहीं होगा
00:40कि उसको जाके बोला है ये मूरक कहा जा रहा है तो गलत दिशा में अनपढ़
00:43जिंदगी पर चलता रहे हैं तब भी नहीं पहुंचेगा ये विचलन है
00:46जो भी कीमत लगती है दे करके अगर उसको बचा सकते हो तो बचा लो
00:55आज हमारे सामने जो श्लोक है उसको अगर समझना हो तो आपको श्री कृष्ण के पूरे दर्शन को समझना पड़ेगा
01:07इसमें आपको पहले देखना पड़ेगा कि पीछे 25, 26, 27, 28 क्रिश्ण क्या बोलते आ रहे हैं और पीछे जाना पड़ेगा
01:21भत्तर श्लोक शांखे ओक के क्या कहना चाह रहे हैं क्रिश्ण
01:28क्रिश्ण ने क्या कहा है कि मैं सिर्फ कुछ के लिए क्रिश्ण हूँ
01:37बाकियों के लिए नहीं हूँ
01:40बोल ये
01:43या वो ये कह रहे हैं कि प्रत्येक जीव
01:50ये चेतना के केंद्र में जो बैठा है
01:57बले ही वो छुपा हुआ केंद्रो
02:00आच्छादित केंद्रो
02:01मैं वो हूँ
02:03क्या क्रिश्ण
02:05अपनी और से भेद करते हैं
02:09या क्रिश्ण ये कहते हैं कि
02:13मैं तो उपलब्ध हूँ
02:16उम्हारी और से पुकार की प्रतीक्षा है बस
02:20क्रिश्ण अपनी और से कोई भेद नहीं करने वाले है
02:2827 वे श्लोक में हमसे कह रहे थे कि
02:36सब कुछ प्रक्रति करती है
02:39लेकिन मूरख लोग क्या मानते हैं
02:42मैंने करा
02:4428 वे में वही बात आगे बढ़ा दी बोले कि
02:47सब कुछ प्रक्रति करती हैं
02:50और ये बात ग्यानी लोग जानते हैं
02:52और ये जान करके वो विरक्त रहते हैं
02:5526 वे में क्या बात कह रहे थे
02:5826 वे में कह रहे थे
03:01कि अग्यानियों
03:04का नेत्रत तो करना ग्यानी की जिम्मेदारी है
03:10करतव बता रहे थे आपको 26 वे श्लोक में आपका
03:17पर ये पूरी बात आप नहीं देखेंगे
03:25तो 29 वे श्लोक के मर्म से चूक जाना बहुत संभव है
03:29बचा करिए
03:31जब भी कहीं आपके सामने कोई एक श्लोक उद्रत कर दिया जाए
03:36और उसका आपको कहा जाए कि देखो इस श्लोक से तो ये बात सिद्ध होती है
03:40ऐसे तरकों से बचा करिए
03:43क्योंकि एक श्लोक से ही कोई बात सिद्ध होनी होती
03:49तो 700 श्लोक की गीता नहीं होती
03:51जो भी कोई एक श्लोक कभी उठाया जाता है उद्रत करने को
03:57वो 700 श्लोकों का प्रतेनिधि होता है
03:59और ये जो 700 श्लोक है ये समस्त उपनिशदों के प्रतेनिधि है
04:05तो गीता का एक शलोक अर्थवान होता है समस्त साथ सो शलोकों की प्रिष्टभूमी में
04:13ये जो एक शलोक वाली बहस बाजी है इससे बहुत बचना है
04:18इसका उपयोग बस अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए ये अधिकांश्था किया जाता है
04:25कि मुझे कोई बात सिद्ध करनी है तो अपने अनुकूल एक शलोक उठाया और कहीं पर जाकर के चिपका दिया
04:31या तीर की तरह छोड़ दिया कि जाए और आक्रमन कर दे हिंसा हो जाए दुश्मन परास्थ हो जाए
04:40गीता का एक शलोक अगर वास्तव में आप समझना चाहते है तो मैं कह रहा हूँ
04:46700 शलोकों से आपका परिचय होना चाहिए और गीता को ही अगर आपको समझना है तो आपका उपनिशदों से मानि वेदांत से परिचय होना चाहिए
04:5529 वे श्लोक को 26 वे के साथ ही पढ़ना पड़ेगा
05:0426 वे में अज्यानियों को ले करके
05:07श्री कृष्ण का क्या मत है
05:09वो कह रहे हैं अज्यानी भी है
05:11तो उसको हमको साथ ले कर चलना है
05:15यह तो नहीं कहा है कि अज्यानी को छोड़ देना है
05:25अब वही बात हमारे सामने 29 वे श्लोक में आती है
05:31यहां श्री कृष्ण कह रहे हैं कि
05:34यह जो सब अज्यानी लोग हैं
05:39यह प्रक्रतिके गुणों से एक आसक्त जीवन जीते हैं
05:49अज्यानी मूड क्या करता है
05:52वो प्रक्रतिके गुणों से आसकत रहता है
05:55वो यह नहीं जानता कि प्रक्रतिके गुणों तो अपने नियमों के अनुसार अपना काम कर रहे है
06:01वो सोचता है कि वो जो कुछ चल रहा है वो मैंने करा
06:06ठीक है
06:07लेकिन ग्यानी गुणों से मोहित नहीं होते
06:13फिर आगे कह रहे हैं कि ग्यानियों का करतव है कि वो अग्यानियों को विचलित ना करें
06:23इस बात का आम तोर पर ये अर्थ करा जाता है कि अग्यानियों को अग्यानी पड़ा रहने दो
06:29अज्ञानियों को ज्ञानी पढ़ा रहने तो उनको विचलित करने को तो श्री कृष्ण मना कर रहे हैं आम तोर पर ऐसा कह दिया जाता है
06:37कि उन्हें परिशान मत करो
06:40को पढ़ा रहने तो
06:44नहीं ये नहीं कह रहे हैं श्री कृष्ण की उनको पढ़ा रहने दो
06:49उनको क्योंकि 26 वें बुद्ध भेत की बात हुई थी
06:54यहां विचलन की बात हो रही जो जा रहा है
07:01वो बहुत सूक्ष्म है बात
07:03कहा यह जा रहा है
07:11कि वो जिस चाल पर चल रहे हैं
07:14जिस मार्ग पर चल रहे हैं
07:17वो मार्ग तो गलत है ही
07:20और आप ग्यानी हो आप देख पा रहे हो
07:25कि वो जो सामने है अग्यानी
07:26वो गुणों से आसक्त हो गया है
07:29और गलत मार्ग पर चल रहा है
07:33गलत मार्ग पर चलने को
07:34या गलत चाल चलने को ही कहते हैं
07:37विचलन जहां जैसे चलना चाहिए
07:39तो उसकी जगह आप कहीं और को चल पड़े
07:41या किसी और तरीके से चल पड़े
07:43उसको कहते हैं वेचलन
07:45तो आपको यह तो दिखी रहा है कि
07:47वो अज्ञानी है और वो मोहित हो करके
07:49गलत चाल चल रहा है वेचलित है
07:51तो आपको यह नहीं करना है
07:55कि आप उनकी चाल बदलने की चेश्टा करने लग जाए
07:58और दिखाई चाल ही देती है
08:04चाल स्थूल होती है ना कर्म
08:08कर्म स्थूल होता है उदिखाई देता है
08:11श्री कृष्ण आपको गीता की एकदम बहुत मूल बात पर ले जा रहे हैं
08:19कि कर्म तो बस कर्ता की अभिव्यक्त होता है
08:24और कर्म और कर्ता में पहले कौन आता है कर्ता
08:30तो कर्म तुम बदल नहीं सकते कर्ता को बदले बिना
08:35और अज्ञानी की चाल तुम बदल नहीं सकते
08:42उसके अज्ञान को हटाए बिना ये सूत्रयाज का
08:45श्रीक्रिशन ये नहीं कह रहे हैं कि अज्यानी को पड़ा रहने दो उसके पति करुणा दर्शाने की कोई आवशक्ता नहीं है
08:53श्रीक्रिशन कह रहे हैं देखो अज्यानी को विचलित मत करो उसकी चाल बदलने कोशिश मत करो
08:59और आपको चाल बदलने
09:02में बड़ी रुचे रहेगी क्योंकि दिखाई तो चाल ही देती है
09:09कुछ गलत कर रहा है आप तुरंट उससे क्या बोलते हैं देखो तुम गलत कर रहा है
09:12क्योंकि उसका जो गलत कृत है वो आपको दिखाई दिया
09:16तो तुरंत जो पहली हमारी प्रतिक्रिया होती है वो यह होती है कि जो कर्म है जो स्थूल है जो उसकी चाल है उसको बदल दे
09:24चाल बदल ही नहीं सकती
09:29अगर तीसरे अध्याय के उनतीसमे श्लोक तक गीता आपने पढ़िये है
09:34थोड़ी भी ध्यान से
09:36तो आप ये अच्छे से जान गाए हैं कि चाल बदल नहीं सकती
09:40अज्ञानी की जब तक उसके भीतर
09:43लड़कडाहट जा नहीं सकती
09:47बेहोशी की जब तक बेहोशी है
09:52एक वेक्त है
09:57वो शराब पी करके लड़कडाती चाल में चल रहा है
10:02और आप कोशिश कर रहे हैं उसकी चाल सुधारने की
10:05आप सफल होगे
10:06और जब आप सफल नहीं होगे तो आप तुरंत क्या बोल दोगे
10:10यह मदद करने लायक नहीं है
10:40यह ऐसे ही हैं इनका कुछ नहीं हो सकता
10:42टिनिसिज्म इनका कुछ नहीं हो सकता
10:54और बड़ी से बड़ी बहादुरी यह है
10:56सत्य का सूर्मा वो होता है
11:00जो कहता है उसको भी तार दूंगा जो तर नहीं सकता
11:10जो स्वयम ही अपना कल्यान कर ले
11:13जो खुद ही ग्यान अरजित और गयरा कर ले
11:18मैं जाके उसकी सहायता करूँ तो इसमें क्या विशेश
11:24उसकी सहायता नहीं भी करता तो ये इनके इन प्रकारियन उसने कुछ कर लिया होता
11:30और नहीं भी उसने कर लिया होता
11:32थोड़ी बहुत उसे साहता चाहिए थी
11:33वो उसे मेरी जगह किसी और से मिल जाती
11:36अरे पौरुश तो इसमें है
11:39सूर्माई तो इसमें है
11:40कि तुम उसको भी जनवा दो
11:44जो जान सकता ही नहीं था
11:46तुम उसको भी तार दो
11:47जो तैर सकते ही नहीं था
11:49नहीं तो निराश हो जाना
11:57और हाँ जटक करके
12:01इतिश्री कर देना
12:03कहना खतम, अरे छोड़ो इसका नहीं है
12:05विकार, ये मुद्दा ने पड़ गया
12:08ये प्रकरण यहीं समाप्त करो
12:10इसका कुछ नहीं हो सकता
12:15ये तो बहुत
12:16आसान है
12:18कायरता हमेशा आसान होती है
12:21जूजने की अपिक्षा
12:23ये बड़ी से बड़ी कायरता है
12:26कि तुम किसी की
12:29जान बचा सकते थे और तुमने बचाई
12:31नहीं, क्या बोल करके
12:33ये व्यक्ते
12:35तो प्राण रक्षा का अधिकारी ही
12:37नहीं है, कौन से प्राण की बात कर रहा हूं, आंतरिक प्राण, प्राणों का प्राण, वो तुम बचा सकते थे और क्या बोल दिया, अरे नहीं, और प्रयास से लाब नहीं है, श्री कृष्णी यह नहीं कह रहे हैं कि अग्यानी को उसके हाल पर छोड़ दो, और आप तमाम �
13:07कि करता भाव और आंता मिथ्या हैं, तो ज्यानी को अपने बोध में स्थापित रहना चाहिए, और अज्यानियों को विचलित नहीं करना चाहिए, और विचलन से आशे यही निकाला गया, कि उनको समझाने की, पुझाने की, सहायता देने की कोई आवशक्ता नहीं है, ऐसा
13:37जीवन का लक्ष मुक्ति है, तो विधानत ने ऐसा भेद करा है, कि जीवन का लक्ष मुक्ति है, मात्र पांच फीसदी लोगों के लिए, और 95 फीसदी लोगों के लिए जीवन का लक्ष है, सुसजित बंधन, ऐसा बोला विधानत ने, या विधानत ने ऐसा बोला कि प्रा�
14:07कैसे कैसे बॉल सकते हैं
14:08कि ज्ञानी तो
14:10अपने बोध में स्थापित रहे और अज्ञानियों को
14:13उनके हाल पर छोड़ दे
14:14और पिंस अर्थ पाओगए यह अनुवद पाओगए
14:19मैं आपसे आगरह कर कह रहा हूं
14:20अईसे अनुवदों पर ध्यान मत दीजिएगा
14:22जब ज्यान चरम पर पहुँचता है तो करुणा फलित होती है
14:31जो ज्यानी है उसमें करुणा ना हो ये हो नहीं सकता
14:36ज्यानी प्रेम से बिलकुल भरा हुआ ना हो ये संभव नहीं है
14:43ज्ञानी ये बोल दे कि अज्ञानियों को उनके हाल पर छोड़ दो
14:47बिल्कुल भी संभव नहीं है
14:50श्री कृष्ण कह रहे हैं उन्हें विचलित मत करो
14:57विचलित मत करो
15:01उन्हें परेशान मत करो
15:03सिर्फ उनका कर्म बदलने का प्रयास मत करो
15:13किसी को उसकी राह से जो भी उसकी गलत रहा है
15:16उसकी गलत रहा से विचलित करना
15:19उसकी मदद का बड़ा सस्ता प्रयास है
15:24बहुत सस्ता प्रयास है
15:27एक व्यक्ति है उसको पढ़ना नहीं आता
15:32और सड़क पे चारों तरफ संकेत लगे हुए हैं
15:37कि फलाना रास्ता बाएं को इतनी दूर को जाता है
15:40वहाँ पे वो जगह मिलेगी
15:41ठीक
15:42हर चार सो मीटर पर संकेत लगे हैं
15:47चेहन हैं अंकेत हैं सब पता है
15:49एक आदमी है लेकिन वो गलत दिशा चला जा रहा है
15:53श्री कृष्ण कहा रहे है
15:59इतना बोलने से नहीं होगा कि उसको जाकर बोलो कि तेरी चाल गलत है तेरी राह गलत है तेरी दिशा गलत है इतने से नहीं होगा
16:07वास्ताव में उसका केंदर गलत है
16:10उसको पढ़ना नहीं आता
16:12इतने से तुम्हारे कर्तव की इतिश्री नहीं हो गई कि तुमने उसको जा करके विचलित भर कर दिया
16:20वो गलत रहा जा रहा था लेकिन बड़ा संतुष्ठों के जा रहा था मगन हो करके चला जा रहा था गलत रहा
16:26ऐसे ही होते हैं न अज्ञानी
16:29अज्ञानियों कि निशानी क्या होती है
16:32आत्न विश्वास
16:36तो अब ये अनपढ़ आदमी ये पढ़ा लिखा कुछ नहीं है
16:39और जाना उस दिशा है
16:42और जो उसकी मंजिल है
16:44उसकी तरफ के निशान भी सडक पर मौजूद है
16:49मील का पत्थर भी है
16:50और इधर उधर भी तमाम छपा हुआ है
16:53बोड लगे हुए हैं कि भाई आपको जहां जाना है
16:56वो इस तरफ है इतने मील पर है
16:57सब कुछ उपलब्ध है
16:58लेकिन ये हमारा अज्ञानी भाई क्या कर रहा है
17:01ये उल्टी दिशा में चला जा रहा है बिलकुल
17:05आत्म विश्वास में
17:07श्री कृष्णी कह रहे हैं
17:08उसको विचलित भर करने से नहीं होगा
17:10कि उसको जाके बोला है
17:13ये मूरक
17:13कहां जा रहा है तो गलत दिशा में अनपढ
17:16जिंदगी पर चलता रहे हैं
17:19तब भी नहीं पहुचेगा ये विचलन है
17:21प्रिकृष्णी कह रहे हैं
17:25करुणा कर्तव कहता है
17:26उसको पढ़ना सिखाओ
17:28उसको पढ़ना सिखाओ
17:32विचलित भर कर देने से नहीं होगा
17:35और तुम उसे विचलित कर दोगे
17:37तो क्या होगा
17:38वो थोड़ी देर कर तो इधर उधर देखेगा
17:41पर सही रहा तो जानता भी नहीं
17:44दूसरे उसका अपना भी आत्म विश्वास है कुछ
17:46तो या तो पुरानी ही गलत रहा पर आगे बढ़ जाएगा
17:51या कोई दूसरी गलत रहा ही चुन लेगा
17:55तो श्री कृष्ण कहा रहे है विचलित क्यों कर रहे हो
17:57विचलित क्यों कर रहे हो
18:00अगर जिम्मेदारी ले रहे हो तो
18:02पूरी लो
18:04ये नहीं तरीका है कि
18:06देख लिया कि अरे मैं तो ग्यानी हूँ हाँ भाई
18:08आप हैं ग्यानी मान लिया
18:10और देखा कि दुनिया अग्यान में धसी हुई है
18:12चलो ठीक है दुनिया अग्यान में भी धसी हुई है
18:14तो क्या कर रहे हैं जाकि दुनिया अलों को बोल रहे हैं
18:16तुम अग्यानी हो तुमारे सब तरीके गलत है
18:18पहली बात तो उनके पास अपना आत्म विश्वास होता है वो आपकी बात सुने क्यों
18:24दूसरी बात अगर वो आपकी बात सुन भी लें तो उन्हें बस इतना नहीं पता चला ना कि उनके तरीके गलत है
18:29सही तरीका क्या है ये उनको पता नहीं चला
18:32तीसरी बात आपने एक बार जाके उनको सही तरीका बता भी दिया
18:36तो अगले मोड पर सही तरीका क्या ये उनको कौन बताएगा
18:42क्योंकि सही राह तो हर चौराहे पर चुननी पड़ती है न
18:46आपने एक बार उनको बता भी दिया
18:49कि तुम इधर को जा रहे हो इधर नहीं जाना उधर जाओ वो है
18:51आप चले गए उस दिशा में वहाँ चो रहा आ गया
18:53अब उन्हें कौन बताएगा
18:55प्रिकृष्ण कहा रहे है वेचलित करने से नहीं होगा
18:58ये तो तुम जा करके उसको बस एक तरीके से चिढ़ा रहे हो
19:06और उसके उपर अपनी श्रिष्ठता का ठपा लगा रहे हो
19:09क्या रहे हो अरे तुझे क्या आता है
19:10हम ग्यानी हम बताएगे न
19:12तुम जो भी कुछ कर रहे हो इससे हो सकता है तुम्हारे अहंकार की कुछ
19:28अच्छा चिकित्सक वो होता है
19:34जो मरीज को छेड़ता नहीं है
19:39या तो भी कह देता है कि सचमुच मेरे पास सामर्थी नहीं है
19:43इसको देखने की कोई भी वज़ा हो सकती है
19:45आप जो मलाए हो यह दिल का हृदय रोग का मामला है
19:51लेकिन मेरी विशेश अग्यता तो हड्डियों में है
19:56मैं अगर हाथ लगाऊंगा तो गलत हो जाएगा
19:58या तो वो यह कह देता है
19:59या वो मरीज को पूरे तरीके से अपने अधिकार में ले लेता है
20:05वो कहता है अब छोड़ दो अब यह मेरा मरीज है
20:06जितने लोग आयो सब निकल जाओ
20:08एकाद कोई रुख सकता है बस बाकी सब चलो बाहर चलो
20:10अब यह मरीज जो है
20:12मेरे अधिकार में
20:14वो यह थोड़ी करता है कि छेड़ दे
20:15छेड़ने क्या मतलब हुआ
20:16कि वो आयाया है वो दिल पकड़के बैठा है
20:20उसको दिल का दौरा पड़ा है
20:21तो यह भी नहीं कर रहा है कि उसका पूरा उपचार कर दे
20:24और ना यह कर रहा है कि उसको छोड़ दे
20:26कि भाई मैं छोड़ रहा हूं इसको लेके भागो
20:29ख्रिदा चिकेट सक के पास
20:32अब उसको छेड़ रहा है, कैसे छेड़ रहा है, उसके दिल में दर्द है, तो रहे क्या है तेरे दिल में, दर्द कैसे हो रहा है तुझा इतना, और कौन से पाप करें तूने, ये मोटे ये ये ये तोंद है न तेरी, तब नहीं सोचा तक कॉलेस्टेरोल बढ़ेगा, अब �
21:02इसे दर्द कम पता चलेगा, श्री कृष्ण ये करने के लिए मना कर रहे हैं, कह रहे हैं वो तो बिचारा वैसा ही दुखी है, या तो उसकी पूरी जिम्मेदारी लो जो तुम्हें लेनी ही चाहिए, यही करुणा करता वे कहलाता है, नहीं तो सुईकार कर लो कि तुम किस
21:32इसलित माने, जो परेशान है उसको और परेशान नहीं करते, उसकी परेशानी पूरी हरते हैं, या यह सुईकार कर लेते हैं कि मैं खुदी अभी बहुत आयोग्य हूँ, मुझे तो खुदी अभी कोई चाहिए जो मेरी परेशानी हरे, लेकिन यदि तुम्हारा दावा है क
22:02ग्यानी अगर बने हो, तो दूसरे से सतही छेड़ खानी मत करो, अगर कोई दिख गया है ग्यानी तो दिखने मात्र से वो तुम्हारी जिम्मेदारी हो गया, तुम्हारे करतवे का दाइरा इतनी दूर तक जाता है, यह फलाना इनसान तुम्हारी जिम्मेदारी कैसे हो गय
22:32अगर जान गए हो कि कोई है आपदा में
22:40तो तुम्हारे जानने भर से तुम जिम्मेदार हो गए
22:43नहीं जानते तो फिर भी कोई बात नहीं थी
22:46पर यदि जान गए हो तो पीछे नहीं अट सकते
22:49जान गए हो तो अब सतही इलाज से काम नहीं चलेगा
22:53सतही इलाज करके तुम मरीज को मार डालो
22:56और फिर कहो ये मरीज तो बचने लायक ही नहीं था
22:59तो ये होगी ने बहुत बड़ी बहिमानी
23:01सतही इलाज कर दिया मरीज को मार डाल लकाई तो बचने लायक ही नहीं था
23:06और फिर उसके बाद जितने भी मरीज आये आप से सहायता मांगने
23:10सब को वापस लोटा दिया क्या बोलकर
23:12किया रहे ये बच्चते तो है नहीं
23:15इनका इलाज क्या करना
23:17इलाज करो तो उसमें समय लगता है उर्जा लगती है दवाई लगती है
23:20पैसा खराब होता है बच्चते तो ये है नहीं
23:22इनका इलाज क्या करना
23:25वो बच्चते नहीं है या तुमने
23:28बचाया नहीं
23:30कहीं ऐसा तो नहीं कि तुमने जानबूश के उसको बचाया नहीं
23:33ताकि स्वयम को ये साबित कर सको
23:35ये बचते नहीं है
23:37और आगे भी मुझे बचाने में
23:39श्रम करने की जरूरत नहीं है
23:40अगर एक प्रतिशत भी संभावना हो
23:49उसको बचाने की तो पूरा प्रयास
23:51करना पड़ेगा यही करोणा करतव्य है
23:53और प्रयास ऐसे नहीं
23:57करना पड़ेगा
23:58क्यों उसकी आँखों पर पट्टी बंधी है
24:04तो चल नहीं रहा ठीक से
24:06तो उसको कभी डाट रहें सीधे चल
24:11कभी उसका हाथ पकड़ के थोड़ी देर उसे सही रास्ते पर चला दिया
24:14कभी दूर बैठ गया और उसको बोल दिया
24:17अरे आगे दर्वाजा आ रहा है बाएं को मुड़ जा तो ऐसे उसकी थोड़ी मदद कर दी
24:21नहीं उसकी समस्या के मूल में जाना पड़ेगा उसकी आँखों की पट्टी ही उतारनी पड़ेगी
24:27समझ में आ रही है बात है तो कृष्ण का जो वक्तव्य वास्तव में पूर्ण जिम्मेदारी का है
24:36उसे अनुवादकों ने बना दिया शून जिम्मेदारी का
24:39कृष्ण बात कर रहे हैं पूर्ण कर्तव्य की
24:44और हमने अनुवाद उसका ऐसे कर दिया
24:46कि जैसे शून्ने करतवे हो
24:47कि ज्यानियों तुम तो जान गए हो न बात असली
24:51तुम जान लो
24:52और अज्यानियों को उनके अज्यान से
24:54विचलित मत करो
24:55यह तो बात सुनने में यह भद्धी है
24:58कृष्ण कैसे कह सकते है
24:59कृष्ण कैसे कह सकते
25:03और वो भी वो कृष्ण जो अरुजुण को कह रहे थे
25:13अगर तुम ने
25:16अपने
25:17करतव से
25:20किनारा करा
25:22तो सोचा है कि इसका प्रजापर
25:23क्या प्रभाव पड़ेगा
25:24वो कृष्ण जो पूरी प्रजा का
25:27हित सोचते हैं
25:29वो कैसे कह सकते हैं कि प्रजा को इसके हाल पर छोड़ दो.
25:40गीटा का संबंद हमारे जीवन से है,
25:44सिर्फ हमारे जीवन से ही है,
25:47और किसी चीज से नहीं है,
25:49अद्यात में दर्शन ये सब इसलिए नहीं हότε है
25:50कि आपको ग्यान बढ़ जाए,
25:51ये इसलिए होते हैं ताकि आपको जीवन सुधर जाए
25:54इस लोग आपको कुछ बता रहा है आपके संबंधों के बारे में
26:03पलाहन कर लेना आसान होता है
26:15अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए अपने करतवियों की बले चड़ा देना आसान होता है
26:30और ये सब करते हैं हम लोग अपनी अपनी जिन्दगी में
26:36श्री कृष्ण कह रहा है मत करो
26:38करुणा कामना से बड़ी होती है ठीक वैसे जैसे आत्मा अहंकार से बड़ी होती है
26:46करुणा का संबंध आत्मा से है कामना का संबंध अहंकार से है
26:51मत करो ये कि अपनी कामना के लिए अपनी करुणा को पीछे ढखेल दो
27:00और बेमानी से ये दावा करो, क्या करूना दिखाएं?
27:07हिं? क्या करूना दिखाएं?
27:10इमरजंसी में मरीज आया था,
27:12राट साले की तीन बजए
27:17ड़क्टर सहाब मस्थ सो रही थे गहरी नींद में,
27:21ज notebook दम गहरी नींद में,
27:22और उसमें जोड़ लो गहरी नीद में ही नहीं थे
27:27पत्नी के साथ थे बिस्तर में रात में साड़े तीन बजे
27:30और कामना का खेल उनका चल रहा था बिलकुल
27:34अस्पताल से फोन जाता है
27:38मरीज आया है हालत बहुत खराब है बचने की संभावना बहुत कम है
27:42बचने की संभावना बहुत कम है तो मेरे आने से क्या होगा
27:48फ्रीकिशन कहा रहे है ये तरक कभी मत चलाना तरक ये भी तो हो सकता था ना
27:55कि बचने की संभावना बहुत कम है तो फिर मैं उड़कर आ रहा हूँ
27:59आहाम तोर पर दस मिनट में आता हूँ, आज भी चार मिनट में आऊँगा
28:03वह दोनों ये तर्क दिये जा सकते है
28:05ठीक है, हॉस्पिटल से फोन आया है, डॉक्टर साहब जल्दी आई है
28:08मरीज आया है, बहुत गंभीर है, लग नहीं रहा बचेगा
28:13तो एक तर्क यह हो सकता है, अरे जब उसे बचना ही नहीं है
28:15तो मुझे क्यों परिशान कर रहे हो रात में
28:17जब उसे बचना ही नहीं है, मैं क्या हूँ, ये मरीज ऐसे ही होते हैं, बचते ही नहीं
28:21साले तीन सो तो मैंने देखे मरते
28:23और साले 300 सब वही थे जो इनके पास आय थे
28:28मरीसों को पता नहीं क्या ऐँ है
28:34बच्चते ही नहीं
28:36मैंनों कई भार बोला यार बच्जा आदा
28:38नहीं ही करो
28:39ओ अड़ जाता बोलता नहीं मुझे नहीं बच्चना
28:43मैं नहीं क्यालता है
28:44मैं तो आया हूँ मरने के लिए आपे
28:46तो एक तू तरकी हो सकता है
28:49कि मरीजों का तो काम है मरना
28:51कंभीर स्थित में आते हैं मर जाते हैं
28:54मैं क्या करूंगा अपनी नीन्द खराब करके
28:55मैं आऊउ तुम्हारे पास
28:56मरीज तो मरे गई मरे गा
28:59मेरी नीन खराब होगी मैं नहीं आता
29:00एक तर्किय हो सकता है
29:02दूसरा तर्किय हो सकता है
29:04कि चूंकि उसकी हालत खराब है
29:07तो इसलिए मैं और ज्यादा प्रयास करूँगा उस पर
29:13मैं कह रहा हूँ मैं उड़कर आ रहा हूँ
29:17मैं ये भी नहीं प्रतिक्षा करूंगा कि अपचारिक कपड़े अगरा पहनू
29:23मैं जिस हाल मैं हूँ में भाग कर आ रहा हूँ जान बचानी है
29:28एक तर्क ये भी तो हो सकता है न। श्रीकेशन द्येशन कहा रहे हैं पहला तरक
29:31कभी मत देना वो कामना तर्क है
29:33यह दूसरा तर्क देना यह करोणा तर्क है
29:36वो तर्क तुम दोनों ही दे सकते हो
29:38प्रशन बस यह है कि तर्क आपके
29:39किसके इंदर से आ रहा है
29:40और कामना से भी जो तर्क आता है
29:43तर्क तो ठीक हो तर्क कैसे काटोगे
29:46कोई बोले कि ये तर्क गलत कैसे है
29:48तो मात्र तर्क के तल पर आप काट नहीं पाऊगे
29:53कोई बोले इसमें क्या बुराई है बताई है न
29:57हमने देखा है कि इस स्थित में जो मरीज आते हैं
30:05उसमें से 99 प्रतिशत मर जाते हैं
30:10तो बचने की संभावना बस एक प्रतिशत बस एक प्रतिशत और अगर
30:17मैं अपनी नींद छोड़ करके आता हूं रात में तो उसमें जो
30:21संसाधन लगते हैं और अगले दिन जो मेरे काम का नुकसान होता है वो
30:25इतना इतना है तो हम गड़ित लगा करके पूछ रहे हैं यह कामना तर्क है कामना तर्क है
30:31मैं गड़ित लगा कर पूछ रहा हूं कि मरीज को बचाने की एक प्रतिशत संभावना के लिए क्या डॉक्टर के
30:37इतने संसाधनों का व्याय न्यायोचित है और उत्तर आएगा नहीं बिल्कुल भी नहीं अरे जब बचने की संभावना एक प्रतिशत है तो क्यों डॉक्टर का समय और उर्जा और खराब कर रहे हो सोने तो डॉक्टर को यह कामना तर्क है और अपने आप में ठीक है मैंने
31:07काफी है एक प्रतिशत भी संभावना है तो काफी है नहीं छोड़ देंगे कामना तर्क और आगे बढ़ जाएगा और यह देखिए जब इतनी खराब हालत में आते हैं और पता है नहीं मुझे तो यह लग रहा है कि यह
31:24एक्सिडेंट का केस नहीं है यह मारपीट का केस है अब पिछली बार जो डॉक्टर थे जिन्हों ने ऐसे केस में हाथ डाला था वो पुलिस के चक्कर में फस गए
31:37पुलिस ने कहा कि पहले हमें क्यों नहीं बुलाया कुछ नियम काईदे हैं कि इस तरह के जो मामले हों उन्हें पहले पुलिस को बुलाओ पुलिस बयान लेगी यह करेगी डॉक्टर ने का बयान कहां से लेगी हो मरा जा रहा है तो डॉक्टर ने उसका उपचार पहले ही क
32:07करुणातर कि इस बात को भी नहीं मानता है
32:09करुणातर क्याता है
32:11मैं
32:13मेरा
32:14कितना तो खेल लिया ये खेल
32:17ठीक
32:20मेरा क्या होगा
32:24पुलिस मुझे परेशान करेगी नहीं करेगी
32:26ठोड़ो न
32:28हो गया
32:30जो भी कीमत लगती है दे करके
32:34अगर उसको बचा सकते हो तो बचा लो
32:35भारत से कहीं न कहीं
32:40चूक हुई है
32:41हमने अपने ही बहुत सारे
32:44भाईयों को मुढ़ ही घोशित कर दिया
32:46भाईयों को
32:48बहनों को भी इस्तरियों को तो विशेश कर
32:50यदि यह इनको समझ में ही नहीं आता है
32:54सेने समझाने से कूई लाव नहीं है और एक्वे दुख्या प्रयत्न करेगए उस्फल हो गए तो उन असफल प्रयत्न chi उदहरण बना लिया गया आप इस्तिरियों में अध्यात्मिक चितना जगाने का
33:14और कुछ भी नहीं हुआ उल्टे उन इस्त्रियों ने उनी की गर्दन पकड़ ली एक दिन वो जग गई न तो आप भी ज़ादा इनको जगाओगे तो आपकी गर्दन पकड़ेंगी कोई बात पकड़ लेने दो
33:32कोई बात नहीं है अब तक अपनी गर्दन बचाएं और गर्दन बचाएं बचाएं क्या चिता के पार जाएंगे हमने दो नहीं देखा कि मुर्दा पूरा फुक गया और गर्दन अभी बची हुई है
33:54जिसको बचाना है जब उसे राक ही हो जाना है तो उसे किसी अच्छे काम में लगाई दोना
34:02नहीं लगाओ किसी अच्छे काम में तो उसका क्या अंजाम होगा राक जो चीज पता है राक हो जानी है उसका तो एक ही सदुपयोग हो सकता है
34:16कि उसके राख हो जाने से पहले
34:18उसको जो उच्चितम
34:20संभव उपकरम है
34:22उसमें जोक दो
34:23और भी कुछ हो सकता है
34:26और यह तो बात आप जानते हो अपने साधारा ननुभव से भी
34:34कोई चीज आपको दी जाती है
34:36खाने पी नहीं आपको पता है कि अगले 8 घंटे में ये
34:39अब खराब हो जाएगी
34:41तो आप क्या करते हो
34:428 घंटे से पहले उसको
34:438 घंटा तो बहुत दूर की बात है
34:47यह सब जो
34:48कार्बोनेटेड ड्रिंक्स आते है
34:50आपको पता है कि आपने उसका धक्कन खोला
34:53और उसमें जो
34:56दबाव से कार्बन ड्रिंक्स आउक्साइड उसमें डली हुई थी
34:59धक्कन खोलते ही क्या होगा
35:01भाग जाती है फुस
35:03और भाग गई तो उसमें जो फिर एसिडिक स्वाद आता था
35:06कार्बोनिक एसिड का वो नहीं आएगा
35:08तो आप उसको खोलते ही क्या करते हो छोड़ देते हो
35:11कि थोड़ा इसको सुस्ता लेने तो बचारे का भी धक्कन खोला है
35:15क्या परिशान करें
35:16खोलते ही क्या करते हो आप
35:20ततकाल जो चीज नश्ट ही हो जानी है
35:23उसका ततकाल सदुपयोग कर लिया जाता है
35:25तो कितना बचा है अपने कामना के लिए अपने आपको
35:29बचा भी लेंगे तो क्या बचा पाएंगे
35:32एक थे जिन्होंने अपने आपको निविष्ट कर दिया
35:38फना कर दिया और दूसरे थे जो बोले हमने अपने आपको बचा लिया
35:41जिन्होंने बचा लिया उन्होंने क्या बचा ही लिया फुकेंगे तो वो भी और हो सकता उसी समसान में फुकें
35:47क्या बचा लिया
35:52पुछ में आ रही है बात कुछ
36:11पुछ में आ रही है बात कुछ लिया बचा कुछ लिया बचा लिया बात कुछ
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