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Transcript
00:00हमें जो अच्छा लगने लग जाता है हम बिलकुल उसके घुस जाते हैं
00:03सही रिष्टा रखना हमें आता ही ने
00:05कितनी बार हुआ है कि किसी अजनवी को गाली वाली दे रहे हो और चपल खीच के मार रहे हो
00:10दुनिया में जो सडी से सडी गालियां दी होंगी
00:12वो अपने महभूबों को इदी होंगी
00:14जो दूसरे होते हैं अजनवी अपरिचित उनके सामने तो हम बड़े सौम में हैं
00:18शालीन रहते हैं गाली गलोज की नौबत ही नहीं आई होती
00:21अगर पहले उसकी जिंदगी में एकदम ऐसे घुस नहीं गये होती
00:24क्यों घुसते हो इतना कि फिर मारपीट की नौबत आ जाए पहले साल लगता है अभी तो नया नया है पौधा आगे फल देगा
00:31दूसरे तीसरे साल लगता है होई रहा होगा कुछ लिगने बच्चा वगरा भी आ जाता है तो थोड़ा दिमाग उधर को लग जाता है
00:37फिर बच्चा वड़ा हो जाता है पाचवे छटे साल तक तो दिखने लगता है कि ये कुछ नहीं है ये फलवल तो थूट है इसमें न फल लगा है न लगेगा कोई संभावने नहीं है
00:45साथवा साल आते आते पूरी उम्मीदें बिखर जाती है चपलें चल रही है घर का 30-40 पचिशत बजट चपलों पर खर्चो रहा है देध दुराधन ले दमाग तो क्यों इतना गुसे थे क्यों क्या वश्यक्त थी

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