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  • 3 days ago
Podcast : शरीर ही ब्रह्माण्ड : शब्द और अर्थ स्त्री की कलाएं

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00:00आईए आज आपको सुनाते हैं राजस्थान पत्रिका के प्रधान सब्बादक डॉक्टर गुलाब गुठारी का शरीर ही ब्रंभांड श्रिंख नामे पत्रिकायन में प्रकाशी सालिए इसका शीरशक है शब्द और अर्थ इस्त्री की कलाय है आत्मा शोरशकल है अव्य आल
00:30लक्ष्मी अर्थ वाक है सरस्वती शप्र वाक है प्रित्वी लक्ष्मी है वाक का घं रूप है अंतरिक्ष और ज्यू लोक इसका तरल एवं विरल रूप है प्रित्वी की अगनी का यह घं तरल विरल रूप है सोंभी नीचे आकर अगनी रूप ले ले लिता है मानव शर
01:00अक्षर ही हर एक कर्म के पीछे कारण है, लक्षमी अर्ज रूप में शरीर के भूग, वह स्वह ही वाक, प्राण, मन है, ओम, आत्म रूप है, सरस्वती, परा, पश्चंती, मध्यमा, वैकरी, रूप, वानी की अधिश्टात्री है, इनका स्वरूप मन की इच्छा पर अर्�
01:30शरीरों का पोशन होता है, किन्तो विचारों के इस पंदन में एक रूपता नहीं होती, रक्त का मार्ग भिन हो जाता है, पुरुष देह में सब्त धात्मों के क्रम में शुक्र बनता है, आगे ओज और मन बनता है, इस्त्री देह में रक्त संचार का तंत्र भिन है, रक्त क
02:00in the past.
02:01The second thing is,
02:02that is,
02:03that the subject of this work
02:05is a way to get the idea
02:07of this work.
02:09What is the subject of the child's
02:10attention to the child's eyes?
02:12What will the mother
02:14get closer to the child's eyes?
02:15The mother knows
02:16that the mother's life
02:17will be closer to the child's eyes.
02:19What will the attention
02:22be closer to that?
02:23To understand this
02:24and to create a story
02:25is not a common thing
02:27in order to be able to
02:28ुपिज भीज्यों होने में तो कुछ लगता ही नहीं।
02:58इसी आधाल पर संपून प्रजनन तंत्र की रचनाम होती है।
03:28जीव से समवाद और संसकार निर्मान भी किसी विश्व वित्याले से कम नहीं।
03:34इस्त्री शरीर की जटलता अपने आप में विश्व है।
03:38इस्त्री कन्या के आत्मा को मा बनाना है।
04:06उसमें इस्त्रेण गुणों को प्रवाहित करना है।
04:10सबसे कठिन कार्य हैं गलभस्त कन्या के शरीर और आत्मा के भेद को समझाना।
04:16आत्मा तो पून चेतन भी होता है।
04:20तभी तो संसकार दिये जा सकते है।
04:22कन्या का सूक्ष्म पती के सूक्ष्म से युक्त होना होता है।
04:26सूक्ष्म के माध्यम से पती के आत्मा को नियंत्रित करना होता है।
04:30foreign
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05:06foreign
05:13foreign
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05:23I don't know how to do this.
05:53તબ શબ્દ ઉથ્પણ હોતાય શબ્દ હે અન્ય અમારી સ્થોલ સ્રશ્ટી અન્ય જીવાતમા કા યાતરા કા મારી શબ્�
06:23બ્યકતીત્વ નીરમાણ કા સારા કાર્ય શબ્દ બ્રમહ સે હોતાય શરીર ક્ષેત્ર હેત્ર હેત્ર હેત્ર હ
06:53ખાાંબત્ર હેતં હેતાંંંચ�્ંય હેતાંંાંજ ખાાંચ�ા હેાાંંાંં હે હેતા હેત�ાંંની હાાં હાા�

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