00:00लाल प्याज के उत्पादन में अलवर का नाम नया नहीं है
00:15यहां कई दशकों से किसान लाल प्याज की फसल उगा कर मोटा मुनाफ़ा कमा रहे हैं
00:21लेकिन पहले इस कमाई का बड़ा हिस्सा प्याज के बीज को महराष्टर और गुजरात से लाने पर खर्च करना होता था
00:28लेकिन अब अलवर के किसान प्याज के बीज खुद ही तयार कर रहे हैं
00:32इस तरह न केवल वे अपनी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं
00:35बलकि कुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और राजस्थान के अन्न स्थानों पर भी बहुतायत में बीज भेजा जा रहा है।
00:43किसानों के इस पहल का उन्हें दोहरालाब भी हुआ है।
00:47एक तो खुद के बीज के लिए उन्हें दूसरे राज्यों में मोटी रकम नहीं देनी पड़ रही, वहीं दूसरे स्थानों पर बीज को भेजने से अच्छी कमाई भी हो रही है।
01:17किसानों सर्दी का रहता है।
01:47किसानों ने भी खुद का श्वम की पोद बना कर और बीज तयार सेने का चलू किया।
01:56अलवर प्याज मंडी के संरक्षक अभैसैनी बताते हैं कि लाल प्याज का कण काले रंग के छोटे बीज नुमा होते हैं।
02:03किसानों की ओर से इस कण को खेतों में उगाया जाता है।
02:07कण के उगने पर पौध तयार होती है।
02:10कुछ दिनों बाद इन पौध को जमीन से उखार कर सुखाया जाता है।
02:15और यह सूखी पौध ही लाल प्याज का बीच गहलाता है।
02:19इन पौधों को किसान खेतों में लगाकर उगाते हैं और पौध लगने के बाद फसल तयार होती है।
02:25जोधपूर और अभी नया जिला खेरतल हो गया या नया जिला बहरोड कोट बूत लिए इनमें पैदावार होती है।
02:32ज्यादातार में वैसे तो पहले लोकल ही होती थी लेकिन अभी पैदावार बढ़ने की वज़े से मत्य प्रदेश, गुजरात और राजस्तान के भी कुछ जिलों में जैसे सीकर, मतानिया, नागोर, जोधपूर ये बैल्ट ऐसी है जिन बैल्टों में हमारे यहां से बीच
03:02रक्षक अभैसैनी बताते हैं कि अलवर में तयार होने वाली पौध की डिमांड प्रदेश ही नहीं बलकि अन्य राज्यों में भी हो रही है इससे किसानों को डबल फायदा हो रहा है अलवर से एटीवी भारत के लिए प्योश पाठक की रिपोर्ट