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  • 2 days ago
Rath Yatra 2025:सदियों से पुरी की धरती पर रथयात्रा का पर्व मनाया जा रहा है। रथयात्रा 9 दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार है, जिसकी शुरुआत कल से होगी। 10 मई को स्नान पूर्णिमा है, इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ को 108 घड़ों के पानी से स्नान करवाया जाता है। इसके बाद वे बीमार हो जाते हैं, चलिए बताते हैं ये क्यों होता है.Rath Yatra 2025: Why does Lord Jagannath get fever after Snan Purnima, when is the Rath Yatra

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~HT.318~PR.114~ED.120~
Transcript
00:00ओडिसा के पुरी जिले को चमतकारों की नगरी कहा जाता है इस जिले में भगवान जगनात का विशालकाय मंदिर है इन्हें कल्यूक का विश्णु अवतार कहा जाता है यहां भगवान अपने सबसे अनोखे स्वरूप में विराजमान है अगर आपने इस मंदिर के दर्शन �
00:30को बता दे कि इन तीनों भाई बेहनों की मूर्ति आधी अधूरी है जैसे प्रभू के पास आधे हाथ है और पैर नहीं है वैसे ही वेहनसुबद्रा के पास भी दोनों ही नहीं है हर साथ प्रभू जगनात अपने सभी भक्तों को दर्शन देने के लिए गर्भ ग्रह से बा
01:00शामिल हो सकता है भगवान के दर्शन कर सकता है उन्हें देख सकता है उन्हें और उनके रत को छूब भी सकता है रतियात्रा का ये पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाय जाता है हालाकि इसकी शुरुवात अक्षर तृतिया के दिन से होती है जब रत निर्मान के लिए लकड
01:30इसनान पूर्णिमा के दिन भगवान जगनात का विशेस इसनान किया जाता है इसलिए यहां इसे इसनान पूर्णिमा कहा जाता है पूरी में आज यानि की जेस्ट पूर्णिमा 11 जून को मनाय जा रही है
01:5811 जून को भगवान जगनात, बलभद्र और देवी सुबद्रा को इसनान कराय जाता है इसे सनान यात्रा भी कहा जाता है भगवान का इसनान रत यात्रा की शुरुवात का प्रतीक है
02:1011 जून को इस नान पुर्णिमा के दिन सूना कुवा निकाले गए सुगंधित पवित्र जल से तीनों देवी देवताओं का इसनान कराया चौता है
02:19भगवान जगनाथ देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को कुल 108 घड़ों के पारी से इसनान कराया चौता है
02:27इसमें परंपरा के अनुसार भगवान जगनाथ को इसनान कराने के लिए 35 घड़े बलभद्र को 35 घड़े देवी सुभद्रा को 22 घड़े और भगवान सुदर्शन को 18 घड़े पानी से नहलाया चाता है
02:41इन घड़ों में स्वर्ण कुए से निकाला गया सुगंधित पवित्र जल होता है
02:46मानेता है कि इस पवित्र सनान के बाद भगवान जगनाथ और उनके भाई बहन को बुखार हो जाता है
02:53लिहाजा उन्हें दो सब्तहा तक अनासार घड़ में एकांतवास में रखा जाता है
02:58इसके बाद कई अनुस्ठान होते हैं और फिर भवे रथों में सजकर भगवान नगर ब्रह्मंट पर निकल जाते हैं
03:06मैचली आपको पताते हैं कि अनासार काल क्या है
03:09अनासार काल में भगवान जगनात और भाई बेहनों तीनों ही श्रीम मंदिर में बंध हो जाते हैं
03:16और किसी को दर्शन नहीं देते हैं वो 14 दिनों के लिए अपना उप्चार करवाते हैं
03:21इस दोरान भगवान को भोग में तुलसी के पत्ते और शदिय काढ़ा और हलके फुल के भोजन जैसे की खिचडी और फलो का रस दिया जाता है
03:30कथाओं के अनुसार जब भगवान दर्शन नहीं देते तो उनके सभी भक्त जन उन्हें देखने के लिए व्याकुल हो जाते हैं
03:38ऐसे में जब वो ठीक होते हैं तो सभी को दर्शन देने के लिए रच पर सवार होकर शहर में निकलते हैं
03:45वो श्री मंदीर से निकल कर अपनी मौसी के घर जाते हैं जिसे मावसी मा मंदीर कहते हैं
03:50महा जाकर कुछ दिन बिताते हैं भगवान रच पर ही सवार रहते हैं और अगले 14 दिनों तक भक्तों को दर्शन देते हैं
03:58कहते हैं कि उनके दर्शन के लिए इंसान ही नहीं, भूत, प्रेत, गण, राक्षस, गंधर्व से लेकर सभी देवी देवता धर्ती पर आते हैं।
04:07वहीं आपको बताओ दे कि 27 जून 2025 से रथ्यात्रा शुरू हो रही है, रथ्यात्रा सिर्फ ओड़ी सा के पूरी में ही नहीं, बलकि देश के कई राज्यों समेत अन्य देशों में भी मनाये जाती हैं।
04:19इन देशों में मुस्लिम देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ओमान और बहरीन भी शामिल है।
04:25उमीद करते हो आपको जानकारी पसंद आई होगी।
04:27फिलाल हमारी इस वीडियो में इतना ही, वीडियो को लाइक, शेर और चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले।

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