00:00चिडिया और बंदर एक हानी सुनी है तो गर्मी के दिन थे चिडिया को बता बारिश आईगी ता इस समय पे बारिश आती उससे पहले ही उसने घोसला तैयार कर लिया उसको ऐसी जगह घोसला बनवाया कि उसे बढ़िया ऐसे पत्तियों की छाया बन गई तंबू तन गया पत
00:30स्रेम बढ़ियां मस्त बैठी होई है बंदर बगल में भीक के कांप रहा है चिडिया को दहा आ गई चिडिया बोली बंदर भीया है अब घोसला हमारा इतना बड़ा नहीं है कि तुमको चाया दे सकें लेकिन इतनी लंबी गर्मी थी कुछ अपने लिए तुमने प्रबंध
01:00तुमकोई खाने दोड़ेंगे तो हतो चाहित मतो जाया करो और मैंने का अपने आपको कुछ विशेश अभागा मत मान लिया करो यह सदागी रीत है