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  • 6/7/2025
Transcript
00:00सहर का वक्त था मासूम कलिया मुस्कुराती थी
00:07हवाए खैर मकदम के तराने गुन गुनाती थी
00:15अभी जिबरील भी उतरे न थे काबे के मिंबर से
00:22केतने में सदा आई है अबदुल्लाह के गर से
00:29मुबारक हो शहे हर दो सरा तशरीफ ले आए
00:37मुबारक हो मुहम्मद मुस्तफा तशरीफ ले आए
00:44मौलाया सलीव सल्लिम दाइमन आबादन
00:52आला हबीबी का खैरी खल की कुई ही में
00:59झाला तशरीफ गरक रएफ लेड़क मुझओ न क पिती ऱे ले आवो भी धा रचल के उार वेड़के लेकशन जाए घांप लेगड़का भी शेपा सो सन्टरीफ़के लेग दो मुपझ़के लेक मुझभके लेड़के लेड़के लेका स्वेबी़के लेगलका दो ऑटूस

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