सवाईमाधोपुर.प्रदेश के उदयपुर व प्रतापगढ़ जिलों में ग्रोथ होने के बाद अब सवाईमाधोपुर जिले में भी सागवान की मांग बढ़ रही है। ऐसे में वन विभाग की नर्सरियों में इस बार एक लाख से अधिक पौध तैयार की जा रही है, जबकि पिछले साल पूरे जिले में 10 से 12 हजार ही सागवान की पौध तैयार हुई थी।
मानसूनी सीजन में इस बार खेतों की मेड, गार्डन व अन्य स्थानों पर सागवान के पौधे लहलहाएंगे। इसके लिए जिले में जिला मुख्यालय पर आलनपुर, चौथकाबरवाड़ा व भगवतगढ़ स्थित नर्सरियों में भी सागवान की पौध तैयार हो रही है। सागवान की पौध नर्सरियों में एक जुलाई से वितरित की जाएगी। खेतों में सुरक्षा की दृष्टि से काश्तकार ही ज्यादा सागवान की पौधे नर्सरियों से खरीदते है।
सागवान के पेड़ को मवेशियों से डर नहीं
सागवान के पत्तों में कड़वाहट और चिकनाहट होती है। यही कारण है कि इसे जानवर खाना पसंद नहीं करते है। साथ ही अगर पेड़ की देखभाल ठीक से की जाए तो इसमें कोई बीमारी भी नहीं लगती है। ये बिना किसी परेशानी के 10 से 12 साल में तैयार हो जाता हैँ।
कई सालों तक मिलता है मुनाफा
12 वर्षों के बाद यह पेड़ समय के हिसाब से मोटा होता जाता है। इससे पेड़ की कीमत भी बढ़ती चली जाती है। साथ ही किसान एक ही पेड़ से कई सालों तक मुनाफा कमा सकते है। सागवान का पेड़ एक बार काटे जाने के बाद फिर से बड़ा होता है और दोबारा इसे काटा जा सकता है। ये पेड़ 100 से 150 फुट ऊंचे होते है।
सागवान की बुवाई के लिए यह मौसम रहता है अनुकूल
सागवान की बुवाई के लिए मानसून से पहले का समय सबसे अनुकूल माना जाता है। इस मौसम में पौधा लगाने से वह तेजी से बढ़ता है। पहले साल में तीन बार, दूसरे साल में दो बार और तीसरे साल में एक बार अच्छे से खेत की सफाई जरूरी है। सफाई के दौरान खरपतवार को पूरी तरह खेत से बाहर करना होता है। सागवान के पौधे के विकास के लिए सूर्य की रोशनी अत्यंत आवश्यक है। ऐसे में पौधा लगाते समय खेत में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। नियमित समय पर पेड़ के तने की कटाई.छंटाई और सिंचाई करने से पेड़ की चौड़ाई तेजी से बढ़ती है।
गहरी जुताई जरूरी
सागवान की खेती करने के लिए किसान अपनी कम उपजाउ जमीन का भी उपायोग बेहतर कर सकते हैं। सबसे पहले किसानों को खेती की गहरी जुताई करनी होती है। इसके पहले सागवान की नर्सरी तैयार कर उसका रोपण अपने खेत में कर सकते हैं। मात्र तीन वर्ष तक इसकी देखभल करनी होती है। सागवान के पौधो को मवेशी भी नहीं खाते हैं। ऐसे में सागवान की देखरेख करने में ज्यादा परेशानी नही होती है। सागवान के पौधों का रोपण करने के लिए पौधो से पौधों के बीच की दूरी मात्र 8 से 10 फीट की दूरी रखनी चाहिए।
मजबूत होती है सागवान की लकड़ी
लकडिय़ों में सागवान की लकड़ी को ईमारती होने के साथ सबसे मजबूत होती है। इसकी खासियत है कि यह हल्की होने के साथ ही बहुत मजबूत होती है। इसमें कीटो का प्रभाव भी कम पड़ता है। साथ ही इसे सबसे चिकनी लकड़ी होती है। इसकी कीमत भी बाजार में अन्य लकडिय़ों की तुलना में अधिक होती है।
फैक्ट फाइल...
-जिले की नर्सरियों में तैयार हो रही सागवान की कुल पौध-1 लाख 53 हजार
-सवाईमाधोपुर आलनपुर नर्सरी में तैयार हो रही पौध-56 हजार 500
- गंगापुरसिटी क्षेत्र में तैयार हो रही पौध-1 लाख 6 हजार
-चौथकाबरवाड़ा में तैयार हो रही पौध-10 हजार
- बौंली ब्लॉक में तैयार हो रही पौध-4हजार
-मलारना डूंगर में तैयार हो पौध-2 हजार
-भगवतगढ़ में तैयार हो रही पौध-1500
-नर्सरियों में 15 रुपए है प्रति सागवान की पौध की दर।
....................
इनका कहना है...
सागवान के पौधे की मांग बढऩे से इस बार जिले की नर्सरियों में डेढ़ लाख से अधिक पौधे तैयार किए है। इस बार सागवान की पौध तैयार करने पर अधिक फोकस है। सागवान की लकड़ी ईमारती होने के साथ किसानों के लिए फायदेमंद है। इनका जुलाई महीने से वितरण किया जाएगा।
सुनील कुमार, डीएफओ, सामाजिक वानिकी(वन विभाग)सवाईमाधोपुर
मानसूनी सीजन में इस बार खेतों की मेड, गार्डन व अन्य स्थानों पर सागवान के पौधे लहलहाएंगे। इसके लिए जिले में जिला मुख्यालय पर आलनपुर, चौथकाबरवाड़ा व भगवतगढ़ स्थित नर्सरियों में भी सागवान की पौध तैयार हो रही है। सागवान की पौध नर्सरियों में एक जुलाई से वितरित की जाएगी। खेतों में सुरक्षा की दृष्टि से काश्तकार ही ज्यादा सागवान की पौधे नर्सरियों से खरीदते है।
सागवान के पेड़ को मवेशियों से डर नहीं
सागवान के पत्तों में कड़वाहट और चिकनाहट होती है। यही कारण है कि इसे जानवर खाना पसंद नहीं करते है। साथ ही अगर पेड़ की देखभाल ठीक से की जाए तो इसमें कोई बीमारी भी नहीं लगती है। ये बिना किसी परेशानी के 10 से 12 साल में तैयार हो जाता हैँ।
कई सालों तक मिलता है मुनाफा
12 वर्षों के बाद यह पेड़ समय के हिसाब से मोटा होता जाता है। इससे पेड़ की कीमत भी बढ़ती चली जाती है। साथ ही किसान एक ही पेड़ से कई सालों तक मुनाफा कमा सकते है। सागवान का पेड़ एक बार काटे जाने के बाद फिर से बड़ा होता है और दोबारा इसे काटा जा सकता है। ये पेड़ 100 से 150 फुट ऊंचे होते है।
सागवान की बुवाई के लिए यह मौसम रहता है अनुकूल
सागवान की बुवाई के लिए मानसून से पहले का समय सबसे अनुकूल माना जाता है। इस मौसम में पौधा लगाने से वह तेजी से बढ़ता है। पहले साल में तीन बार, दूसरे साल में दो बार और तीसरे साल में एक बार अच्छे से खेत की सफाई जरूरी है। सफाई के दौरान खरपतवार को पूरी तरह खेत से बाहर करना होता है। सागवान के पौधे के विकास के लिए सूर्य की रोशनी अत्यंत आवश्यक है। ऐसे में पौधा लगाते समय खेत में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। नियमित समय पर पेड़ के तने की कटाई.छंटाई और सिंचाई करने से पेड़ की चौड़ाई तेजी से बढ़ती है।
गहरी जुताई जरूरी
सागवान की खेती करने के लिए किसान अपनी कम उपजाउ जमीन का भी उपायोग बेहतर कर सकते हैं। सबसे पहले किसानों को खेती की गहरी जुताई करनी होती है। इसके पहले सागवान की नर्सरी तैयार कर उसका रोपण अपने खेत में कर सकते हैं। मात्र तीन वर्ष तक इसकी देखभल करनी होती है। सागवान के पौधो को मवेशी भी नहीं खाते हैं। ऐसे में सागवान की देखरेख करने में ज्यादा परेशानी नही होती है। सागवान के पौधों का रोपण करने के लिए पौधो से पौधों के बीच की दूरी मात्र 8 से 10 फीट की दूरी रखनी चाहिए।
मजबूत होती है सागवान की लकड़ी
लकडिय़ों में सागवान की लकड़ी को ईमारती होने के साथ सबसे मजबूत होती है। इसकी खासियत है कि यह हल्की होने के साथ ही बहुत मजबूत होती है। इसमें कीटो का प्रभाव भी कम पड़ता है। साथ ही इसे सबसे चिकनी लकड़ी होती है। इसकी कीमत भी बाजार में अन्य लकडिय़ों की तुलना में अधिक होती है।
फैक्ट फाइल...
-जिले की नर्सरियों में तैयार हो रही सागवान की कुल पौध-1 लाख 53 हजार
-सवाईमाधोपुर आलनपुर नर्सरी में तैयार हो रही पौध-56 हजार 500
- गंगापुरसिटी क्षेत्र में तैयार हो रही पौध-1 लाख 6 हजार
-चौथकाबरवाड़ा में तैयार हो रही पौध-10 हजार
- बौंली ब्लॉक में तैयार हो रही पौध-4हजार
-मलारना डूंगर में तैयार हो पौध-2 हजार
-भगवतगढ़ में तैयार हो रही पौध-1500
-नर्सरियों में 15 रुपए है प्रति सागवान की पौध की दर।
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इनका कहना है...
सागवान के पौधे की मांग बढऩे से इस बार जिले की नर्सरियों में डेढ़ लाख से अधिक पौधे तैयार किए है। इस बार सागवान की पौध तैयार करने पर अधिक फोकस है। सागवान की लकड़ी ईमारती होने के साथ किसानों के लिए फायदेमंद है। इनका जुलाई महीने से वितरण किया जाएगा।
सुनील कुमार, डीएफओ, सामाजिक वानिकी(वन विभाग)सवाईमाधोपुर
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00:00So, we have 50,000 thousand in the nursery.
00:06We have 10,000 dollars.
00:08... and 1500 dollars...
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