रांची के प्रकृति प्रेमी अखिलेश अंबष्ट ने एक मिशान पेश की है. उन्होंने अपने घर को प्रकृति का अभयारणय बना दिया है. रांची से चंदन भट्टाचार्य की स्पेशल रिपोर्ट.
00:00यह कोई पेड़ पोधो का नरसरी नहीं बलकि अखिलेश कुमार अमबस्ट का आवास है जी हाँ यह कोई नरसरी से कम नहीं है बलकि यहाँ कई दुरलब प्रजातियों के पेड़ पोधे भी लगे हैं प्रकृति प्रेम का यह एक अनुठा मिशाल है आईए देखते हैं इनके
00:30आज परियावरन दिवस है ऐसे में इस खास दिन को और खास बनाते हैं कल्प तरुका है जो दुरंडा में तीन पेज चार पर बोलते हैं हम लोग उसका हम लोग किये है और आपने यहां पर और कुछ दिखाया था है इसे रुद्राज का पोधा है गमला में जगर नहीं चल
01:00यह एक है उसार पीपिली है के पिपिली पिपिली जो हम लोग राजी मा कि लाती थी पिपिली वह पिपिली腐 है उसे क्या होटार men तरह काम फिके पोलो कभी हम है
01:15We are preparing the festival for making Archaeist visit to the Doors of the pre-emergency audience of Archaeist.
01:22How did you do this festival?
01:27We were about to train the praises from theodooror festival.
01:34We did this festival in Archaeist but this festival was about fast-paced.
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03:38ुबूली जाय, वह बहुत कम होगी, क्योंकि यहां से हज़ारों की संख्या में लोग सीख रहे हैं, और इन पौधों को संरिक्षित भी कर रहे हैं, इनका जो मिशन और अभियान, इसके साथ मैं पिछले 10 वर्सों से मैं खुद भी जुडा हूँ, और समय समय पर यह राची क
04:08प्यार अलगा जागरित करें, जो हम लोग जहां तक परियावरेन की बात करते हैं, तो सर, यह बहुत ही अच्छी इनकी पहल है, जिनको हम लोग सैलिट भी करते हैं, अकले सर, सुरुवात से ही देखते हैं, उद्यान और प्रकृति के परती हमेशा संवेदन सील रहे हैं, �
04:38कि इन से प्रेरना लेकर वो भी बार्यावरन बचाने के प्रती अपना ध्यान दें, आप अगर प्रकृति से प्यार करेंगे, तो प्रकृति भी आपको सब कुछ देगी, और अखिलेश अंवस्त का यह प्रकृति प्रेम यह दर्साता है कि वाकई में प्रकृति संग्रक्�