00:00नानक साहब को लेकर के एक हैं तो कहीं जा रहे थे एकदम रात बीद गई थी पहुंचते हैं तो कोई दुकान थी कुछ मानलो हलवाई की तो उसके यहां जाते हैं और कुछ बात करने रख जाते हैं अब बात कर रहे हैं तो जिससे बात कर रहे हैं वो पेक्छा से बात कर रह
00:30तब तक रात में ये दोनों तीनों मुसाफिर दूर निकल चुके थे जब तक सो समझ में आई बात, पूरा गाउं बदल गया होगा, कि तु जिसका ग्रंथ सर पर रखता है, वो साकार तेरे सामने खड़ा था तु पहचान भी नहीं पाया, और वो आगे निकल गया, उन्हें