00:00नेनिताल जिले का रामनगर शेत्र उत्राखन की लीची बेल्ट के नाम से मशूर है
00:20दो साल पहले यहां की लीची को GI टैग मिला था
00:23GI टैग मिलने के साथ ही अब एक नई तकनीक ने लीची की मिठास और बढ़ा दी है
00:29इस बार प्रियोग के तोर पर लीची के गुच्छों को नौन वोवन वैक्स में सुरक्षित लपेटा गया है
00:36किसानों को उम्मीद है कि इससे न केवल लीची का स्वाद बढ़ेगा
00:40बलकि कीटों और प्राकरतिक दुश्वारियों का प्रभाव भी नहीं पढ़ेगा
00:44रामनगर और इसके आसपास का शेत्र लीची की पैदावार के लिए जाना जाता है
01:05यहां की लीची की मिठास के लोग दीवाने है
01:08इस बार जो जीबी पंत युनिवरसिटी है पननगर उनके तोरह एक सोथ किया गया है
01:13मैं कैमरा परसन से एक बार कमगा कि दिखाए एक वोवन बैग है जो फूड बैग है इसमें लीची को इस तरीके से कवर किया गया है
01:22और जो लीची के बाग है उनमें जो गुच्छे होते हैं लीची के उन गुच्छों को इन बैकों से कवर किया गया है
01:29इस बार लीची बागान मालिकों ने पंदनगर युनिवस्टी के साथ मिलकर पिछले तीन सालों से की जा रही रिसर्च के रिजर्ड से तैयार हुए
01:38नौन वोवन बैक्स को लीची की सुरक्षया में लगाया है इससे क्या फाइदा होगा बता रहे हैं बागान मालिक और उद्यान अधिकारी
02:08यह पाया कि यह नौन वोवन बैक्स जो हमें देख रहे हैं यहां पर इनमें अगर हम लीची के गुच्छो को बंद कर दें तो इसमें एक तो किरा नहीं लगेगा ना चिडिया इसे नुकसान पहुचा पाईगी ना चमकादर नुकसान पहुचा पाईगा आंधी तुफान
02:38नेनिताल जिले के रामनगर इलाके में 900 हेक्टेर में लीची की खेती होती है
02:572000 से जादा किसान लीची का उतपादन करते हैं लीची बेल्ट में 140,000 से अधिक पेड हैं एक अनुमान के अनुसार प्रति पेड 50 किलो लीची का उतपादन होता है
03:09इस साल अच्छी फसल को देखते हुए किसानों को पिछले सालों के मुकाबले अच्छे उतपादन की उम्मीद है
03:16कहीं न कहीं अगर ये सोच सपल होता है तो जो किसान है किसानों को दवाओ को छिड़काओ पर हुने वाला खर्ची भी बचेगा और पैदावार भी ज्यादा होगी
03:27क्योंकि यह जो fruit bag है वो one bag बताया अब कहीं न कहीं कहीं चीजों में बचाओ कर रहे हैं