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  • 5/27/2025
बेबाक भाषा के दो टूक कार्यक्रम में लेखक-विचारक राम पुनियानी ने बताया कि किस तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दलितों बारे में सोच को विस्तार में बताया। कैसे दलितों के जातिगत उत्पीड़न से मुक्त होने के आंदोलन को कुंद करके, उनके आर्थिक सशक्तिकरण के रास्ते को बंद करने का रोडमैप बनाया गया है।

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Transcript
00:00दोस्तों बेबाग भाशा पर आपका स्वागत है डिकोडिंग RSS की इस शनक्रला में आज हम बात करेंगे
00:12RSS राष्टी स्वयन से उकसम का दोस्तों के बारे में क्या रविया है क्या एजेंडा है
00:20तो शुरुआत से अगर देखें तो ये वासपष्ट है कि RSS के बनने का कारण हिंडू राष्ट की उभगोशना करने का एक बुख के कारण ये था
00:29कि बीस्वी शिताबदी के शुरुआत में दलिट चेतना के कारण दलिट काफी आंगलन कर रहे थे
00:36अपने अधिकारों के लिए सम्ता के लिए और बागी जो सामाजिक द्यूशना का सवाल है उसके लिए कर रहे थे
00:43अब इसी कारण जो कुछ ब्राह्मन थे, सवर्ण थे, उच्च जाती के वक्ती थे, उन्हें ने साथ आकर ये संगठन बनाया ताकि बनितों के इन अधिकारों को दवाया जा सकें.
00:58तो सारा निश्में अगर देखें, तो एक तरफ बावा साब अमेड कर मनुस्मति को जलाते हैं, और उसी समय थीस साल बाद, उसके तीस साल बाद, वो भारती समयदान के ड्राफ्टिंग कमेटी के अधिक्ष बनते हैं, मनुस्मति जलाते समय उन्हें जो बात उनके दिमाग म
01:28वारती समयदान के निर्मान में, जो ड्राफ्टिंग कमेटी के अधिक्षिता उन्हें की, वो समयदान हमें सोतंत्रता, समता, बराबरी के दूले देता है, अब RSS के जो पुत्र संगठन है, BJP, इसका सत्ता में आने के बाद, पिछले 10-11 साल से, समाज में जो परिसीती है,
01:58और वो मिचले तबके के लोगों पर अत्याचार करते हैं, तो डेटा हमें बताता है, कि पिछले 11 साल से दलितों पर होने वाले अत्याचार बढ़े हैं, दूस्वी बात यह है, इसी दौरान, जो दलितों को उपर लाने के लिए, बराबरी के स्थर पर ले जाने के लिए, �
02:28और उस आर्थिक तोर पर आरक्षन जो बात की गई, उसमें 8 लाख तब की इंकम, 2 फ्लाट, जो इससे कम है, उन सबको आरक्षन की बात की गई, तो इससे जो दलित समाज के बड़े तबके को एक बहुत बड़ा नुकसान हुआ, तो पहली बात दलितों पर होने वाले अत्
02:58तीसरा जो एक इसी से जुड़ा हुआ महतपूर्ण भाग यह है, कि जो उनिवर्सिटीज में सरकारी नौक्रियों में अरक्षित पद थे, उन अरक्षित पदों पर दलित अपना स्थान ग्रान करके लेकर थोड़ा बहुत समाजिक बराबरी की तरफ आने की कोशिश करते �
03:28अरक्षित पदों में रिक्तता है, तो इस रिक्तता को भरने की कोई जरूरत नहीं है, उसको आप ओपन कैटेगरी में डाल दीजिए, यहने अकादमिक जगत में, अब जो दलितों का स्थान थोड़ा बहुत बन रहा था, उसमें भी एक भारी कमी आ जाएगी, तो एक तर�
03:58क्योंकि यह गाए हमारी माता है, और गाए की नाम पर इन्होंने बहुत बड़े अत्याचा समाज में की है, अब यह अत्याचा के और मुसल्मानों के खिलाफ नहीं है, आपको जानकारी दे दू, कि डेटा ऐसा बताता है, कि शुवित के 2014 से 2019 तक के आखरों में, करीब सौ �
04:28हो रहे हैं, जैसे हमने उन्हा में देखा कि कुछ दलित जब मुरत जानवरों को ले जा रहे थे, क्योंकि उनका काम है, चमड़े पर काम करना, यह उनकी जीविका का बड़ा साधम है, तो उनको भी उनको निर्वस्त करकर बेल्ट से, बेहरहमी से पीटा गया, तो यह चार
04:58इससे गलित समाज की समस्या है, पहले से बढ़ रही है, अब इसी के साथ साथ एक दूसी प्रक्रिया हो रही है, हो क्या, कि जो आरेसेस के मुल्य हैं, जम जात पूशनीच के मुल्य, उनको प्रमोट करने के लिए, उनको प्रोटसान देने के लिए, उनको एक सामाजिक समर
05:28हिंदु समाज में अलग अलग जातिया हैं पर ये सब जातियां आपस में मेल जोल से रहना चाहिए
05:34मादा साब कहते थे कि जाती का उम्मूलन ये जाती विवस्था का एक रास्ता है
05:41कि जिससे जाती व्यवस्था समाप्त हो सकी
05:43जाती व्यवस्था के समाप्त की बात नहीं करते हैं
05:47ये कि बात करते हैं कि जातियां हैं
05:50और उन्हें आपस में जो उसे रहना चाहिए
05:53ये बहुत बड़ा फर्क है
05:54अम्रेटकर के रास्ते पर
05:56सविधान के रास्ते पर
06:11प्षित सीटें बीजेपी के पक्ष में जाती हैं तो ये और कई जगाओं पर सोचल इंजिनिरिंग के माद्धम से ये धलितों को अपने फुट सोलजर्स की तरह जमीनी लडातों की तरह इस्सेमाल करते हैं कई जगाओं पर जब मस्जिदों के सामने नाश्टने में और दु
06:41और पुराने मुल्यों को अपर सापित करने की कोशिश कर रहे हैं तो साराइश में ये कहा जा सकता है कि जैसे बाबा साब ने कहा था पाकिस्तान का बनना ये भारफ के लिए एक शोकानती का होगा क्योंकि इससे हिंदू राष्ट बनने हिंदू राज बनने की संभावना �
07:11माध्यम से और शीतना को व्यापक बना करें धन्यवाज

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