- 5/26/2025
महाभारत भाग ३
भीष्म प्रतिज्ञा।
भीष्म प्रतिज्ञा।
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00:00प्राइबर Right
00:30अतिति का स्वागत है पधारियत धन्यवाद
00:42विराजिये
01:00विराजी वस्तर और शस्तर से तो आप राजा लगते हैं मैं भारत्वन्शी शान्तन हूं हस्तिनपुर्णरेश आप विराजी तो दाश्राज
01:16मेरा आओ भाग कि आप यहां पधारे महराज पर इस कृपा का कारण महराज
01:25मैं आपसे कुछ मांगने आया हूं
01:29मैं भला हस्तिनापुर्णरेश को क्या दे सकता हूं हर व्यक्ति कुछ तेने योग्य होता है दाश्राज और हर व्यक्ति कुछ न कुछ मांगना चाहता है
01:39मेरे पास तो ऐसे कुई वस्तू नहीं जो महराज को अर्पन कर सकूं यदि आप देना न चाहें तो और बात है
01:46पर मैं जो आपसे मांगने आया हूँ, वो त्राई लोग के में आपके सिवाए और किसी के पास नहीं
01:52जो मैं मांगने आया हूँ दाश राज, वो वस्तु नहीं है
02:01तो फिर?
02:04मैं तो सुगंद की बात कर रहा हूँ, जिसके आगे कस्तूरी भी अपना सर चुका है
02:10क्या आप वही कह रहा है माराज, जो मैं समझ रहा हूँ?
02:15यदि आप वही समझ रहें जो मैंने कहा, तो मैं वही कह रहा हूँ
02:20ये बात तो पहलियों में नहीं हो सकती माराज, मुझे गौरव के अनुभाव का अफसर प्रदाम कीजी
02:26मेरी इस कुटिया की दीवारे भी तो सुने कि हस्तिनापुर नरेश क्या मांगने आये
02:32मैं तो मांग कर गौरव का अन्भो कर रहा हूं दाश राज
02:36हस्तिनापुर के राश सिंह हासन पर मेरे बाए हाथ वाला स्थान खाली है
02:42मैं उसे इस्थान के लिए आपकी सुपुत्री सत्यवत्य को आमंत्रित करने आया हूं
02:47यह तो मेरी पुत्री के लिए बड़े सोभागी के बाद है महाराज
02:50और यह भी सत्य है नरेश के सत्यवत्य के लिए मैं कबसे आपकी प्रतिक्षा कर रहा हूं
02:55प्रतीक्षा? मेरी प्रतीक्षा? जी महराज, आपके प्रतीक्षा. सत्यवती की कुंड़ी कहती है कि उसे राज्जी करना है और आज, भारत वर्ष में आपके सिवा दूसरा राजा ही कौन है? आकाश पर चंदर्देव और धर्ती पर आप, अर्थात आपने संबंध को सुई
03:25क्या दाश्राज महाराज को मैने सत्यवती के जन्म कुंडली की बात तो बता दी पर मेरे कि कंडली पे तो कुछ यज़ कहती है न महाराज क्या कहती है आपके रहे
03:38मेरा जी चाहता है कि सत्यवती के संतान разм करें
03:41सत्तिवती से आपके लगन के रास्ते में बस यही ये कड़चन है
03:48परंतु मैं गंगा पुत्र देवरत को युवराज खोशित कर चुका हूं दाश्राज
03:53पता है यदि पता ना होता तो ये प्रतिबंधी क्यों लगाता
03:56पर ये तो कोई प्रतिबंध न हुआ दाश्राज
04:01जर अविचार तो कीजिए कि आप कह कह रहे हैं
04:04कहिए तो नदियों की डगर बदल दूँ
04:07वायू का मू फेर दूँ
04:08ग्रहों के मार्क बदल दूँ
04:10अगनी से कहूं के वो आपके चूले में जले पर आपके घर में न लगे
04:14पर मैं अपने पुत्र देवरत के साथ ये अन्याय क्यों करूँ
04:18क्या इसलिए के कामदेव ने मुझे खायल कर दिया
04:21आप कोई प्रतिबंध जैसा प्रतिबंध लगाएं दाश्राज
04:27मैं देवरत के विशे में वचन पत हूँ
04:31आप वो सब कुछ करने को तयार हैं महराज
04:34जो मैं नहीं चाहता
04:36और जो एक बात मैं चाहता हूँ
04:38वही आप करने को तयार नहीं
04:40तब तो हस्तिनपुर नरेश से शमा चाहता हूँ
04:43आप सत्यवती की भागी रेखा को बदलना चाहते हैं
04:47जो मुझे सुईकार नहीं
04:49यदि उसके संतान को राजी करना है
04:51तो उसके संतान ही राजी करेगी
04:53सत्यवती की भागी रेखा
04:55उसके संतान को राजी करवाने वाले राजा को
04:58खुद ही यहां बांध राएगी महराज
05:00वो राजा ही क्या जिसे अपने वचन की दोरी के सिवाए कोई और दोरी बांग ले
05:04कुमारी सत्यवती के लिए किसी और राजा की प्रतीक्षा करें दाश राज
05:09क्योंकि भलत वंश का शांतनू किसी एक कादिकार छीन कर दूसरे को सौंपने का न्याय नहीं कर सकता
05:39सार्थी मेरा रत तियार किया जाए
05:55यूराज आप चिंता ना करें यूराज भगवान ना करें कुई अन्हुनी हुई होती तो सार्थी अवश्याय होता
06:04आप कहा रहे गए थे पिता महराज हम लोग बहुत चिंतित हो रहे थे
06:23मार्ग नहीं मिल रहा था पुत्र
06:27क्या आपको पिता महराज बहुत चिंतित नहीं दिखाई दे रहे थे मामंत्रे राजा को अनेक चिंता हैं होती हैं जो राज
06:43तक चिंताना करो बेटी चुट के वल मनुष्य बोलता है परन तुझ जैसे नदी का पानी जूट नहीं बोलता जैसे मीन जूट नहीं बोलती जैसे नाव की पाल से वायू जूट नहीं
07:08बोलती उसी व्रकार भाग्ये रेखा भी जूप नहीं बोलती कि तुम्हारी भाग्ये रेखा हस्तनापुर के चंद्रवंशी नरेश को बांध कर यहां अवश्य आएगी
07:20सोजाओ
07:24नहीं नहीं होगा नहीं यह भी शन अन्याई
07:47नीति प्रीति संगर्श में प्राण भले ही जाए प्राण भले ही जाए आप सत्यवती की भाग्ये रेखा को बदलना चाहती जो मुझे सुईकार नहीं
08:09यदि उसके संतान को राज्य करना है तो उसके संतान ही राज्य करेगी
08:13सत्यवती की भाग्ये रेखा उसके संतान को राज्य करवाने वाले राजा को खुद यहां बांद राएगी महराज
08:20पिता महराज पिता महराज यदि आपके आग्या हो तो हम कल सुर्योद्य के साथ ही हस्तिनापुर के और प्रस्थान करें कल नहीं
08:41है कल नहीं पुत्रा जो आग्या पिता महराज जो आग्या पार है
08:50के आगए
08:53की यह करी बीट गई
09:23दिन पर दिन बीत गाए
09:32बीत गाए
09:36दिन पर दिन बीत गाए
09:53मधूर मधूर सुर भीवारी
10:14तीरी सरस स्वाप्ण करें
10:25इस तट से उस तट तक
10:30पन घट से मन घट तक
10:34मधू के घट बड़े
10:38परे मधू पे घट सीत गाए
10:47दिन पर दिन बीत गाए
11:08नीति प्रीति संघर्षण
11:18गया नहीं आतर्षण
11:25करस परस आशा में
11:33जयनों की फाशा में
11:37कनमन हम थार गए
11:41कनमन पर जीत गए
11:46दिन पर दिन बीत गाए
11:55बीत गाए
12:01दिन पर दिन बीत गाए
12:07करद दिन बीत गाए
12:12पर दिन बीत गाए
12:36को अरे पुत्र, तुम, रहा हजारों बाणों का खाव सहन कर सकता हूं, पिता महराज परंटो आपको इस मौन का खाव मुझसे सहा नहीं जाता कि मुझे
12:53तो बताए जा भाँ पूत्र वही बात जिसने आपको माउन की मरभुमी का बंती बना दिया है
13:00कोई बात है ही नहीं पुत्र, तु बताओं क्या?
13:09यदि राजी के कोई चिंता हो, तो यो राज होने के नाते, मुझे तो इसका ग्यान होना ही चाहिए, ना?
13:16अवश्य है, किन्तु राजा भी अपनी सारी चिंता हैं, किसी को नहीं बता सकता, पुत्र
13:25क्या पिता भी अपनी सारी चिंताएं अपने पुत्र को नहीं बता सकता हाँ
13:32पिता भी अपनी सारी चिंताएं पुत्र को नहीं बता सकता पारण तो पिता महराज जाओ पुत्र विश्राम करो
13:44जो आग्या महराज जो आग्या
13:50कर दो
14:20कर दो
14:27कर दो
14:29कर दो
14:39कर दो
14:45करदा
14:48युग्राज ने आपको बुलाया है
14:59आउसर थी
15:13मैं पिता महराज के लिए बहुत चिंतित हूँ
15:18आप उनके मित्र भी हैं और सार्थी भी
15:21ये प्रते दिन आप पिता महराज को कहां ले जाते हैं
15:25जहां ले जाने की आगय मिलती हूँ राज
15:28और वो कहां ले जाने की आगय देते हैं
15:30जहां जाने को उनका जी करता है
15:32आपकी निष्ठा आदर नी है
15:36परंदू लगता है आप राजा भक्त हैं
15:41राज्य भक्त या देश भक्त नहीं
15:43इस समय पिता महराज का मन भटका हुआ है
15:47इसलिए मेरा ये जानना आविश्यक है
15:50कि प्रते दिन सुर्योदे के बाद वो कहा जाती है
15:53ये प्रशन आपसे मैं नहीं कर रहा हूं
15:58आपसे ये प्रशन हस्तिनापूर कर रहा है
16:02और इस प्रशन का उत्तर देना हस्तिनापूर के प्रती आपके निश्ठा का करतव्य है
16:08मैं शमा शाता यूराज परंद में महराज से विश्वास घात नहीं कर सकता
16:15और आप पिता महराज के सुक्चेंग से विश्वासघाद कर सकते हैं
16:18और आप हस्तेरापूर से विश्वासघाद कर सकते हैं
16:21और आप भारत वर्ष और भरत वंच के साथ विश्वासघाद कर सकते हैं
16:24निष्ठा की जो परिभाशा आपने सोच रखी है
16:28तो वास्ता में निष्ठा नहीं, अनिष्ठा है
16:30वे प्रति दिन यमना तट पर जाते है यूराज
16:40यमना तट?
16:44और वहां जाकर वो करते क्या है?
16:49किसी पेट की ओट से, दाशाज की पुत्री, सत्यूती को देखते रहते है
16:57पेट की ओट से?
16:59जी ओराज
17:00दिन भर?
17:02जी ओराज
17:03क्या पिता महाराज कभी सत्यूती से मिले?
17:07जी ओराज, मिले
17:08और दाशाज से?
17:10जी ओराज, उनसे भी मिले
17:12मेरा रस त्यार किया जाए
17:22महाराज, महाराज, गंगापूत्र देवरत पधारे हैं
17:30उन्हें आदर के साथ अंदर बठाओ
17:33जो आग्या?
17:41कुमार, विराजी है?
17:43गंगापूत्र, इतनी राद गए?
18:11दाशराज को कुरुपूत्र देवरत का प्रणाम
18:14दाशराज के घर में ये जो आपकी खिर्पा का चान निकला
18:17तो इस घर की रात दिन में बदल गई
18:20परम्तू, युवराज ने सूरी ओदा की प्रतिक्षा क्या नहीं की?
18:24मैं हस्तिनापूर राजी के सूरी की ओर से चिंतित होकर आपकी सेवा में आया हूं दाशराज
18:29आप मुझे ये बताएंगे
18:31कि यहां और हमारे पड़ाओ के पीच पिता महराज कहां खो गए
18:36आप फिर आज ये तो?
18:38ये बैचने का समय नहीं है दाशराज
18:40करपे आप मुझे पिता महराज के विशे में कुछ बताएं
18:44वे मेरी पुतरी सत्यवती से विवा करना चाहते है
18:47तो फिर रुकावट क्या है?
18:49क्या पिता महराज का हिरदय और हस्तिनापुर का राज महल
18:53आपको देवी सत्यवती के लिए छोटा दिखाई दे रहा है
18:55ये आपने क्या कह दिया गंगा पुतर?
18:57तो फिर बस एक रुकावट है गंगा पुतर
19:00और वो रुकावट है क्या?
19:02सत्यवती की भागिरेखा कहती है कि उसका पुतर राज करेगा
19:06और यही एक वचन महराज ने नहीं दिया
19:08वे ये वचन दे ही नहीं सकते थे दाशराज
19:11मैं समझे नहीं कुमार
19:13उन्हें तो ये वचन देने का अधिकार ही नहीं था दाशराज
19:16राजा को वचन देने का अधिकार नहीं?
19:19कि उसके बाद राजा कौन होगा?
19:21अधिकार है
19:22पर उस पिता महराज उस अधिकार का प्रयोग कर चुके है
19:26कोई राजा, एक ही वस्तु या पद्वी को
19:30दो व्यक्तियों को तो नहीं दे सकता ना दाशराच
19:32आपने पिता महराज के धर्म संकट को समझने का प्रयत्नी ही नहीं किया
19:37तो आप समझा दीजिए
19:38हस्तिनापुर का राज सिंहासन वो मुझे दे चुकी है
19:41वो राज सिंहासन उनके बाद मेरा होने वाला है
19:45और मेरे रहते हुए वे राज सिंहासन किसी और को दे दें
19:49ये तो असंभव होगा न दाश राज
19:51ये तो गोर नय हो जाएगा
19:53हाँ मैं यदि चाहूं तो वो राज सिंहासन किसी को दे सकता हूं
19:58इसलिए मैं आपको ये वचन देता हूं
20:01कि हस्तिना पुरकर राज सिंहासन देवी सत्यवती और पिता महराज के जेश्ठ पुत्र को ही मिलेगा
20:08आप धन्य है गंगा पुत्र और आपके चर्णों की धूली पाकर मेरा घर भी धन्य होगा
20:14धन्य है वो देश जिसमें आप से समहा पुरुष और आदर्श पुत्र जन्मा
20:19अपने पिता की परसंता का दाम अपने भागे से चुकाना हर व्यक्ति के बसकी बाती है
20:25नहीं दाश राज नहीं जो हो रहा है वो भाग रेखा के अनुसार ही हो रहा है
20:31यदि हस्तनापूर की राजगर्दी मेरे भाते में होती है तो देवी सत्यवती की भागे रेखा उसका विरोध क्यों करती है
20:39भागे रेखाएं कभी एक दूसरे को नहीं काटती दाश राज इसलिए मैं देवी सत्यवती की भागे रेखा को प्रलाम करता हूँ
20:48और अब यदि आप आग गया दें तो मैं उन्हें अपने साथ ले जाओं परन्तु गंगापुत्र अब ये काउन सा परन्तु है दाश राज जिसने सर्प के समान फंकार लिया जिस प्रकार महराज को आपकी और से कोई वचन देने का अधिकार नहीं था उसी प्रकार आपको �
21:18अधिकारी नहीं परन्तु मैं संतान ही रहने का अधिकारी तो हूं दाश राज इसलिए मैं गंगापुत्र देवव्रत चाओ दिशाओ धर्ती और आकाश को साक्षी मान कर आज ये प्रतिग्या करता हूं कि आजीवन ब्रमचारी रहूंगा जीवन बर्विवाह नहीं करू
21:48कर अधिकारी रहाद clear
22:18चंद्र तरे सूरज तरे डिगे अडिग हिमवंत देवव्रत का भीश्मव्रत रहे अखंड अनन
22:48करना अना धहे अनन
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