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00:00आज का जो मूल परश्न था कि तुम्हें कुछ भी कैसे पता आम आदमी पूछते ही नहीं कि कैसे पता वाटसाइब से पता बाबा तुम्हें जो कुछ पता वाटसाइब से पता है उपनिशा दिया कोई अच्छा साहिती भी पढ़ने निकलूं मेरे देखे तो मैं उसका अप
00:30अध्यात महा में इसी तरह फॉलो करना है कि जो पुरानी कंडिश्निंग से उपको बस तोड़ते हुए चलना है कुछ नया दूनने का कोई सिस्टम नहीं होता है जो कहें नयापन नहीं चाहिए हर आजमी कहा था कुछ नया हो जाए कुछ ताजा हो जाए कुछ औरिजिनल ह
01:00देुए क yardart
01:05नमस्त्य अचार जी है आज का जो मूलपरशन था अध्यात्म का मूलपरशन है कि तुम्हें कुछ भी कैसे पता तो सर हम इस Momu परशन का उत्तर कैसे ढूंड सकते हैं अपने अभारिक जीवन में भी क्योंकि अभी जैसा मैं हूँ
01:22अगर वैसा बना हुआ उत्तर ढूंने निकलूंगा तो मैं गलत ही उत्तर निकालूंगा
01:28इस प्रशन में माननेता छुपी हुई है कि आपके पास उत्तर नहीं है
01:47कोई सवाल है दुनिया का जिसके लिए आपके पास उत्तर नहीं है
01:53कोई सवाल बताईएगा और मेरे सामने अच्छा बनने का प्रयास मत करियेगा
02:02आपसे दुनिया का कोई प्रशन पूछा जाए कि आपके पास उत्तर नहीं है
02:07होता है सर मतलब हम अपने मन से बना लेते हैं या तो मतलब जो हमारी स्वरिती में होता है जो एक्सपीरियंस में होता है उसका उत्तर बना लेते हैं
02:16पर आपने कहा कि उत्तर कैसे खुजें उत्तर क्या खुजेंगे उत्तर तो है पहले से उत्तर तो पहले से मौजूध है तो आप बताईए क्या करें फिर
02:27उत्तर जो हमारे पास है जो मान्यता है उसका अवलोकन करना कि
02:35यही है उत्तर नहीं खोजने होते जो उत्तर पहले से मौजूद है
02:42उनको परक्षना होता है आश की हम ऐसे होते कि हमें उत्तर खोजने पड़ते
02:48हमें तो हर दिशा से संसकारित किया गया है न रक्रते ने मा की गोद में ही संसकारित करके भेजा
03:02और फिर ये पूरा संसार और पूरा समाज संयोग सम मिलके संसकारित करते रहे और संसकार माने पूर निर्धारित उत्तर ready-made answers
03:14उन्हीं को attitude भी बोलते हैं किसी चीज़ के प्रति पहले से आपका एक नजरिया है एक रुख है attitude
03:28ये सब तो पहले से मिला हुआ है तो ये तो नौबत ही नहीं आती कि मुझे नहीं पता हमें तो सब कुछ पता है
03:36ये तो जिग्यासू का सवाल होता है कि कैसे पता आम आदमी थोड़ी कहता है कैसे पता वो तो कहता है बस पता है
03:46आज हमें भी कुछ लोग बताने आये थे आपने ये गांधी जी प्यक्वार में छपवा दिया आज गांधी तो व्यभीचारी था
04:03का पुछ कैसे पता नहीं पता कैसे पता नहीं पता कर दी मंध्य कि ट дост आहिंने गांधी व्यशाय में और य� gegen प्रिश कताबें लिखिये उनको भी पढ़ा नाई तो तुम्हें कैसे पता
04:06कैसे पता नहीं पता कैसे पता नहीं पता क्या दीफ को पढ़ा नहीं
04:13घांदी के विशय विश्य में जो किता�ho लखी तो तुम्हें कैसे पता च है था तनी अधका
04:27पता और तुम उसी को पकड़के बैट गए वो किसी ने वाटसाप कि इसने वाटसाप भीजा ये भी तुम्हें नहीं पता वो वाटसाप बैठ के लिखा किसने था तुम्हें ये भी नहीं पता पर तुम्हें पक्का भरोसा है कि तुम्हें पता है कि गांधी तो वेभिचार
04:57तुमने उनको पढ़ा ना उनके विशह में जो दरजनों उतकरिष्ट किताबें लिखी है कुछ देश के लोगों ने बहुत सारी विदेश के लोगों ने अलग-अलग नजरिये से तुमने वो भी नहीं पढ़ा है तुमने कुछ भी नहीं पढ़ा है गांदी छोड़ दो त�
05:27सब पता है वो हम है जुन्नू आम आदमी उसके पास हर चीज का जवाब है हर चीज को ले करके उसके पास उत्तर हैं कोई बात ही नहीं जिसका उसके पास जवाब ना हो
05:41जब इतने सारे जवाब हैं तो इन जवाबों का ही परीक्षन कर लिया जाए यही इमानदारी है
05:51जो जिन्दगी में इतने जवाब लेके घूम रहो सस्ते चालू बने बनाए बासी जवाब इन जवाबों तो अभी ठोक बजा के देख भी लो यही करना होता है
06:02सर एक छोटा सा फॉलो अप कुशन था मैं पूछ सकता हूं है अब यह एक उमर के बाद आते हैं तब तक हमारे अंदर बहुत सारे
06:27इंप्रेशन्स या संसकार या कंडिशनिंग बन चुकी होती है क्योंकि भजपन से हम इस रास्ते पर होते नहीं है तो क्या पूरा अध्यात महा में इसी तरफ फॉलो करना है कि जो पुरानी कंडिशनिंग से उसको बस तोड़ते हुए चलना है कुछ नया धूनने का कोई स
06:57हुए है जो कहें नयापन नहीं चाहिए हर आदमी कहाता कुछ नया हो जाए कुछ ताजा हो जाए है कुछ ओरिजनल हो भाई थोड़ा डिफरेंट होना चाहिए कुछ
07:06वो नयापन कभी मिलता नहीं है, क्यों नहीं मिलता है, क्योंकि आप पुराने बने बने नए को लाना चाहते हो, तो नयापन ऐसी चीजी नहीं है कि मांगने से मिलेगा,
07:22वो ऐसी सी बात है कि जैसे बीमार आदमी को अच्छे से नहला धुला करके और कपड़े पहना दो बढ़िया साफ
07:31और कहो कि ये स्वस्थ हो गया
07:34या कि कोई आदमी है वो दस दिन से नहाया नहीं है
07:41उसके कपड़े बदल दो और उसके उपर फुड़ा इत्र सुगंध डाल दो और कहदो देखो ये साफ हो गया
07:49वो तो पुराने भीतर से नयापन कहां से आ जाएगा
07:57तो नयापन नए कपड़े पहनने में नहीं है नयापन पुराना मैल्ध होने में है
08:05जो आदमी नहाया नहीं है उसको नए कपड़े दें या उसका पुराना मैल हटाएं बताओ
08:12तो नए पन का रास्ता नए कपड़ों से जाता ही नहीं
08:19नए पन की और जाना है तो नए कपड़े पहनने से कुछ नहीं मिलेगा
08:25नए कपड़ों से नयापन नहीं आता
08:28मानि नए से नया नहीं आता
08:31हाँ पुराने मैल को धो दिया तो शायद कुछ नया आ जाता हो पर पता नहीं क्या आएगा
08:38अब नहीं पता क्या आएगा क्योंकि पुराना मैल हटेगा
08:40तो भीतर से क्या निकलेगा यह कोई पता नहीं क्या निकलेगा कुछ
08:44जो भी निकलेगा नया होगा
08:47तो पुराने से नया आता है
08:49नये से नया नहीं आता
08:50नये कपड़ों से नयापन
08:53नहीं आएगा पुराने मैल को धोने से
08:55नयापन आ जाएगा
08:56तो
08:59आपने जब पुछा क्या यही पुराना
09:01सब काटते रहें, कंडीशनिंग हटाते रहें, यही अध्यात में मने कुछ नया हो या नहीं आता, तो यह थोड़ी से ऐसे, यह मायूसी की बात हो गई, लोग इसमें फिर, वैसे ही, दूर भागते हैं, और दूर भागें क्याते हैं, नया तो कुछ होता नहीं, बस पकड़क
09:31हो था, नय का रास्ता पुराने से होके जाता है, अध्यात्म निश्चत रूप से आपको नयापन देता है, वह ऐसा नयापन जो काल निर्धारित नहीं है, कि आज नया है और कल पुराना हो जाएगा, काल में तो जो भी अभी नया है, वो कल पुराना हो जाता है, अध्यात
10:01मैला नहीं कर सकता
10:02लेकिन उसके लिए आपको
10:06नए की तलाश छोड़नी होगी
10:09नए का रास्ता नए से होके नहीं जाता
10:12नए की तलाश छोड़ो
10:14पुराने
10:16की तरफ मुड़ो देखो
10:19उसे समझने का प्रयास करो
10:21पुराने को समझ जाओगे
10:22कुछ नया अप उद्गाटित हो जाएगा
10:25और जब पुराने को देखा जाता है
10:29तो उसे उमीद में नहीं देखा जाता है
10:30कि इसमेंसे कुछ नया मिलेगा
10:31नया मिलेगा
10:32पुराने को देखा जाता है
10:33बस देखने के लिए, समझने के लिए
10:35मैं समझने के लिए देख रहा था कुछ अपने आप नया हो गया, तो नया जब भी आता है, अनायास आता है, वो अपत्याशित होता है, आप उसका पुरवनुमान नहीं लगा कर उसको पाऊगे, जिसका पहले से अनुमान लगा कर उसको पाया, वो नया है कि पुराना है?
10:59पुराना, पुराना है, तो नया जिसकी योजना बना करके इसको पाया गया होगी, हमें एक नई चीज़ करेंगे, जो लोग सोचके, विचार के तौर पर, योजना के तौर पर जिस नय को पाया गया, वो नया है यह नहीं, वो पुराना है, तो नया जब भी आता है, वो सु
11:29कि अपने इमानदारी से अपने पुराने पन को देख लिया कुछ नया घटना शुरू हो जाता है और जो नया होता है वह सचमुच्चु की नया होगा तो आपको उसकी जरा भी आहट नहीं लगेगी
11:41आप तो जो नई चीज लेकर आते हैं आप पहले ही जानते हो कि क्या ला रहे हो तो आप समझ जाते हो नई चीज है क्योंकि वो जो नई चीज आ रही है वो पहले से ही आपकी गणना के अनुसार आ रही है तो आप जान जाते हो नई चीज है लेकिन जीवन में सब कुछ सचम�
12:11जब बास्तों में जीवन में कुछ नया होता है, नहीं पता चलता कि कुछ हो गया, बिलकुल अपूर हुआ, बिलकुल असली, पता चलता भी है तो बड़े समय बात पता चलता है, फिर आत्मी कहता है कि अरे जब हो रहा था तब हमसे अनुग्रह का एक बोल नहीं निकला, ज�
12:41हम रिकॉगनाईज करते हैं, रिकॉगनाईज, रिकॉगनाईज मने, जो पहले से जानते थे उससे मेल कर दिया, तो रि, रि आता है, उसमें रि, रि आता है, जिसको पहले से जानते है नहीं उसको रिकॉगनाईज कैसे करोगे, उसको फिर उसको पता ही नहीं चलता है कि इ
13:11ऐसा इनाम होता है जो बिन मांगे मिलता है
13:14पुराने के प्रतिमानदारी रखो बिना मांगे इनाम के तौर पे नया मिल जाता है
13:25थैंकियो सर्थ
13:41झाल जाता है