मेवाड़ पर संकट! क्या करेंगे बप्पा? जब अरब आक्रमणकारी मुहम्मद बिन कासिम ने भारत की सीमाओं की ओर कदम बढ़ाया, तब बप्पा रावल ने सिर्फ मेंवाड़ की नहीं, पूरे भारत की रक्षा की शपथ ली। इस वीडियो में देखिए, कैसे एक वीर चरवाहा बना महाराजा कालभोज, और कैसे उसने इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी।
📜 जानिए बप्पा रावल की युद्ध नीति, उनका साहस, और मुहम्मद बिन कासिम के साथ हुए ऐतिहासिक युद्ध की पूरी कहानी। यह सिर्फ एक कहानी नहीं, यह राजपूत वीरता की मिसाल है!
00:0018-21 साल की उम्र में बप्पा रावल ने कई उद्ध लड़े और विजय प्राप्त की। उनकी वीरता ने चितोड के राजा मानमोरी का ध्यान खींचा।
00:09बप्पा रावल की बहादुरी की कहानिया चारों और पहलने लगी। लेकिन इस बीच एक और खत्रा आ रहा था।
00:15खलीफा के सेनपती मुहमद बिन कासिम ने भारत पर पहला इसलामी आक्रमण किया। कासिम ने आदेश दिए गाईयों को चौराहों पर काटने का इसलाम कबूल ना करने पर मार दिया जाए। और जो काफिर इसलाम कबूल करें सब से पहले उसको मुह खोलने को कहा जाए।
00:45महिलाओं को बंधक बनाकर अरब भेजने का भी निर्देश था।
00:48कासिम का अभियान सिर्फ सिंध तक सीमित नहीं रहा।
00:52उसने गुजरात और पंजाब के कुछ हिस्सों पर भी कबजा किया।
00:55लोग अप्रत्यक्ष रूप से अरब आक्रमणों की कहानियां देख रहे थे।
00:59सिंध में कासिम का आतंक बढ़ रहा था।
01:02गावों में गायों की बली दी जा रही थी और महिलाओं को बंधक बनाया जा रहा था।
01:07यह एक ऐसा समय था जब भारतिय संस्कृति पर खत्रा मंडरा रहा था।
01:11सिंधी राजा दाहिर ने कासिम को कई बार हराया लेकिन बौध्धों के समर्थन से कासिम ने दाहिर को एक भयंकर युद्ध में हरा दिया।
01:19दाहिर का परिवार नश्ट हो गया। उनकी बेटियों को गुलाम बना लिया गया। लेकिन उनका बेटा, मेवार भाग निकला।
01:27अब बप्पा रावल का सामना कासिम से है। क्या वे अपने लोगों की रक्षा कर पाएंगे? क्या मेवार की धरती भी बरबाद होगी? यह एक निरनायक क्षण है। बप्पा रावल की वीरता और साहस का परीक्षण होगा। जानने के लिए देखिए अगला भाग।