इस भाग में देखिए जब मक्का से पाँच बड़े पीर रूणिचा पहुँचे और उन्होंने रामदेव जी की चमत्कारी शक्ति को परखने की ठानी। क्या रामदेव जी ने वाकई मरे को ज़िंदा किया? क्या पीरों को मिला अपने सवालों का जवाब? और आखिर क्यों रामदेव जी को रामपीर कहा जाता है?
देखिए इस अद्भुत कथा को जो आपके दिल को छू जाएगी और धर्म, एकता और सेवा का सच्चा संदेश देगी।
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00:00राम देव जी के चमतकारों की ख्याती दूर दूर तक फैल चुकी थी। लोग गाम गाम से रूनिचा आने लगे और उनके भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। लेकिन यह बात कुछ लोगों को पसंद नहीं आई।
00:11मौलवियों और पीरों को यह देख कर चिंता होने लगी कि मुसल्मान बने हिंदू फिर से अपने धर्म में लोट रहे हैं। वे सोचने लगे राम देव जी को नीचा कैसे दिखाया जाए। लेकिन राम देव जी हर जाती हर धर्म के लोगों को समान मानते थे और उंच नीच
00:41हिंदूों में एक महान पीर पैदा हो गया है। वह मरे हुए को जिंदा करता है, अंधों को आखें देता है और अतिथियों की सेवा को ही धर्म मानता है। अगर उसे नहीं रोका गया तो इसलाम कोई भी नहीं अपनाएगा। यह सुनकर मक्का के पाँच बड़े पीर रू
01:11हमें यहां रामदेव जी से मिलना है और उनकी पीराई देखनी है। रामदेव जी मुस्कुराए और बोले हे पीर जी मैं ही रामदेव हूँ। कहिए मेरे योग्य क्या सेवा है फिर क्या हुआ। जानने के लिए देखिए अगला भाग।