00:00समस्त राष्ट को और सनातन अवलंभियों को एवं जो भी सत्य की खोज में हैं वेदान्त को जानना चाहते हैं वेद के रहसे को जानना चाहते हैं उन्हें यदि कहीं से गुजरना पड़ेगा तो वो एक मूर्ती है और उस मूर्ती का नाम है आद्य गुरु शंक्राचायन
00:20बारत की अनन्त विविदताएं जा अनन्त पंत चले अनन्त मार्ग चले बहुत सारे रास्ते हुए और सत्य का प्राय लोग हुआ उस समय जो मूल सत्य खोने लगा उस सत्य को इस्थापित करने के लिए उस सत्य की नीव रखने के लिए एवं अन्य जो धर्म या अन्य में म
00:50ुस मूर्ति का नाम है आद्यगुरु शंकरा चारे और वो एक ऐसी विभूति जिन्होंने अलपायू में कम उम्र में उन्होंने पूरे भारत वर्ष में सनातन के नीव को रखा अद्वेत वात को रखा और उन्होंने बताया कि वेदों का मर्म गया है भप्ति और ज्यान और
01:20भारतुमें खोने लगा, कपालियों में खोने लगा, और तंत्र में खोने लगा और प्राय जो मूल वेद था वो को खोने लगा।
01:28वज्रियान चलने लगे लोग तक्त्य था की मूल जो सम्भामना यथी