इस अक्षय तृतीया, कमाइए ऐसा धन जिसका कभी क्षय न हो — श्री राधा रानी के चरणों में प्रेम का धन! 🌸 चलिए आज भगवान से यही वरदान माँगें — “हे प्रभु! मैं आपके चरण कमलों का मधुप बन जाऊँ, सदैव आपके चरणों के दिव्य रस को पीता रहूँ।” प्रेम रस मदिरा — जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित वह अमूल्य काव्य, जो हृदय में हरि-गुरु के प्रति अखंड प्रेम और अनुराग जगाता है।
03:13और यह पो रहते हैं तो वह से आंगे कैसे चले इंप में वही पर बिभॉर हो जाना चाहिए सा सु लीरास ठली देखकर जिब्ड लीरास ठली का आभास भाव पैदा करना यह साधना है