यह भक्ति गीत कल्कि भगवान के अवतार की महिमा और उनके द्वारा पापियों के नाश का वर्णन करता है। जब कलियुग में पाप और अज्ञान का विस्तार हुआ, तब प्रभु कल्कि श्वेत अश्व पर सवार होकर अवतरित हुए। उनके हाथ में तलवार और मुख पर तेजस्विता का अपार प्रकाश था। उन्होंने असुरों और अधर्मियों का संहार कर धरती पर धर्म की ध्वजा फहराई और सत्य की ज्योति से हर अंधकार को मिटाया। यह गीत उनके वीरता भरे कार्यों और धर्म की पुनःस्थापना में उनके योगदान की स्तुति करता है।