सत्य से आगे की कोई आशा नहीं || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2015)
  • 4 days ago
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वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 20.10.15, रमण केंद्र, दिल्ली, भारत

प्रसंग:
~ आत्मिक सुख क्या होता है?
~ यकीन क्यों नहीं होती जीवन में आत्मिक सुख भी कुछ होता है?
~ आध्यात्म की राह पर चलने में डर क्यों लगता है?
~ कबीर ऐसा क्यों कहते है? ब्याज के चक्कर में दिया मूल गबाये?
~ क्या हमें आशा रखनी चाहिए?


दोहा:
कबीर सांई मुझ को, रूखी रोटी देय।
चुपड़ी मांगत मैं डरूं, मत रूखी छिन लेय ||
~कबीर


संगीत: मिलिंद दाते
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