गहराई अस्पर्शित रहे || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

  • 4 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
११ मई २०१४,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
सोना सज्जन साधुजन, टूट जुड़ें सौ बार |
दुर्जन कुम्भ कुम्हार के, एकै धक्का दरार || (संत कबीर)

प्रसंग:
कौन है साधू?
कौन है दुर्जन?
कबीर जी इस दोहे के माध्यम से किस गहरायी की ओर इशारा कर रहे हैं?