सोमवार के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह सबसे पहले उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद शिव जी को जल और बेल पत्र चढ़ाना चाहिए। साथ ही विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा करनी चाहिए। सोमवार के व्रत में भगवान शिव की पूजा के उपरांत उनको मालपुए का भोग लगाया जाता है।
सोमवार का व्रत निर्जला नहीं होता है। ऐसे में सुबह स्नानादि के बाद शिव जी और मां पार्वती की पूजा के बाद इस व्रत को खोल सकते हैं। कुछ लोग पूरा दिनभर व्रत रखकर सुबह और शाम दोनों की पूजा के बाद भोजन ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि सुबह और शाम को पूजा करने के बाद ही सावन सोमवार व्रत का पारण उत्तम होता है।
सोमवार के व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर भगवान भोलेनाथ को जल, दूध चढ़ाएं, बेलपत्र, पुष्प आदि चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और आरती करें।
घर पर शिवलिंग की पूजा के लिए सबसे पहले आचमन करें और फिर शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करें। अब शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं। शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल और भोग आदि चढ़ाएं। पञ्चाक्षर मन्त्र 'नमः शिवाय' का 108 बार जाप करना चाहिए।
भगवान शिव को भांग और पंचामृत का नैवेद्य पसंद होता है। इसके अलावा उन्हें रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री भी चढ़ाई जाती है। सावन के महीने में भोले बाबा का व्रत रखकर उन्हें गुड़, चना और चिरौंजी का भोग लगाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
गलती से व्रत टूटने के बाद परेशान होने की बजाय देवी-देवता के नाम से घर में हवन कराएं और माफी मांगे। कहते हैं व्रत टूटने या भंग होने के बाद हवन कराने से मां का क्रोध शांत होता है और दोष दूर होता है। इससे व्रत भी पूर्ण माना जाता है।
इस कथा के अनुसार ही शाम के समय शिव मंदिर में दीपक लगाने वाले व्यक्ति को अपार धन-संपत्ति एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं। अत: नियमित रूप से रात्रि के समय किसी भी शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाना चाहिए। विशेष रूप से सावन माह में यह उपाय जल्दी शुभ फल प्रदान करता है। दीपक लगाते समय ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए।