कवि गोपाल दास नीरज की आवाज में (मैं तूफानों में चलने का आदी हूं)

  • 11 months ago
इस कविता उद्देश्य है मुसीबत में भी कार्यरत रहो और अपनी पराजय स्वीकार मत करो।

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