जयपुर नगर निगम हैरिटेज के कारिंदे सरकार के बिजली बचाओ अभियान की हवा निकालते में पीछे नहीं है।
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जयपुर नगर निगम हैरिटेज के कारिंदे सरकार के बिजली बचाओ अभियान की हवा निकालते में पीछे नहीं है।

कारिंदे कार्यालय में आयें या नहीं आयें, कार्यालय में बैठें या नहीं बैठें लेकिन कार्यालय में लगी सभी लाईटें जलनी चाहिये।

कई जोन कार्यालयों में और मुख्यालय में अधिकारियों की अनुपस्थिति में उनके निजी स्टाफ को इसका आनंद लेते देखा जा सकता है।

सरकार आम जनता और सरकारी अधिकारियों सहित सबसे विज्ञापन देकर आग्रह करती रही है कि बिजली की बचत की जाये, बेवजह जलने वाली लाईटों को बंद किया जाये।

लेकिन अधिकारी और कारिंदे हैं कि मानते ही नहीं, माने भी क्यों। उनकी जेब से कौनसा बिल भरना है जो बचत करने की सोचें।

कई अधिकारी और कारिंदे तो रहते हैं कार्यालयों से नदारत, बिजली का बिल बढ़ता रहता है, बेवजह खर्च होने वाली इस बिजली का रिचार्ज जनता से वसूले गये टैक्स से किया जाता है।

घाटे का रोना रोने वाले जयपुर के निकायों में उपरी कमाई के लिये तो अधिकारियों और कारिंदों के पास समय होता है। हाजरी लगाओं और फिर लग जाओ आमजन से वसूली में।

औचक निरीक्षण के नाम पर भी होती है खानापूर्ति, चहेतों तो बचाया जाता है, आखीर क्यों।
मशीनों के हाजरी डाटा में भी होती है, हेराफेरी। कई कर्मचारियों की अनुपस्थिति को उपस्थिति में बदला जाता है, मेनवल तरीके से।

समय-समय पर ओर भी जानकारी रखेंगे हम आम जनता के लिये और सरकार व राज्य प्रशासन से उम्मीद रहेगी की घाटे को बढ़ाने वाले ऐसे अधिकारियों ओर कारिंदों से वसूली उनके वेतन से की जाये।

राजपूताना न्यूज के लिये जयपुर ब्यूरो की रिर्पोट
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