News Strike: नई रणनीति से छोटे दलों के लिए बड़ा खतरा बन रही है BJP!
- 2 years ago
अब तक बीजेपी सिर्फ कांग्रेस के लिए खतरा नजर आती थी. लेकिन जिस तेजी से बीजेपी ने अपने आपको सियासी तौर पर अपडेट और अपग्रेड किया है उससे ये साफ है कि बीजेपी के साए तले अब क्षेत्रीय दलों का भी पनपना मुश्किल हो गया है. बीजेपी न सिर्फ अब हिंदूओं की बात करती है. बल्कि ये अब राष्ट्रवाद के अंब्रेला में हिंदूओं समेत आदिवासी, पिछड़ा वर्ग जैसे तमाम वर्गों को समेटने की कोशिशें शुरू हो चुकी है. जिसका असर बीजेपी के वोटिंग परसेंटेज पर भी दिखाई देने लगा है. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाने में सफलता हासिल की थी लेकिन देश के केवल 37.36 प्रतिशत मतदाताओं का ही वोट हासिल कर सकी थी. जिसका इशारा साफ था कि देश के एक तिहाई मतदाता बीजेपी के साथ थे तो दो तिहाई मतदाताओं ने बीजेपी विरोधी दलों में अपना भरोसा जताया था.
इसी दो तिहाई मतदाताओं को विपक्षी दल अपनी ताकत समझ बैठे थे. लेकिन रणनीति और एकता की कमी ने इस ताकत को कमजोरी में बदल दिया. दूसरी तरफ सिर्फ हिंदुत्व की डोर थाम कर आगे बढ़ रही बीजेपी ने इस एक डोर से पूरा जाल बुन दिया है. जिसमें न सिर्फ हिंदूओं की बात होती है बल्कि वो तबके भी अब शामिल हो रहे हैं जिनकी न समाज में गिनती होती थी और न सत्ता में उन्हें वाजिब स्थान मिलता था. अब वो तबके भी बीजेपी का हाथ थामते जा रहे हैं. जिन जातिगत समीकरणों को जोड़ तोड़ कर उत्तरप्रदेश, बिहार जैसे प्रदेशों में क्षेत्रीय दल अपने लिए सीटों का गणित तय करते थे. वो गणित अब पूरी तरह गड़बड़ा गया है. बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग और हिंदुत्व को बड़े केनवस पर लेकर आने के बाद अब क्षेत्रीय दल बुरी तरह से पिछड़े नजर आ रहे हैं.
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इसी दो तिहाई मतदाताओं को विपक्षी दल अपनी ताकत समझ बैठे थे. लेकिन रणनीति और एकता की कमी ने इस ताकत को कमजोरी में बदल दिया. दूसरी तरफ सिर्फ हिंदुत्व की डोर थाम कर आगे बढ़ रही बीजेपी ने इस एक डोर से पूरा जाल बुन दिया है. जिसमें न सिर्फ हिंदूओं की बात होती है बल्कि वो तबके भी अब शामिल हो रहे हैं जिनकी न समाज में गिनती होती थी और न सत्ता में उन्हें वाजिब स्थान मिलता था. अब वो तबके भी बीजेपी का हाथ थामते जा रहे हैं. जिन जातिगत समीकरणों को जोड़ तोड़ कर उत्तरप्रदेश, बिहार जैसे प्रदेशों में क्षेत्रीय दल अपने लिए सीटों का गणित तय करते थे. वो गणित अब पूरी तरह गड़बड़ा गया है. बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग और हिंदुत्व को बड़े केनवस पर लेकर आने के बाद अब क्षेत्रीय दल बुरी तरह से पिछड़े नजर आ रहे हैं.
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