न्यूज स्ट्राइक: छोटे क्षेत्रीय दलों का बढ़ा दबदबा, रणनीति बदलने पर मजबूर कांग्रेस-बीजेपी !
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मध्यप्रदेश की सियासत को करीब से जानने और समझने वाले ये जानते हैं कि यहां राजनीति हमेशा दो दलीय ही रही है. मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस युग था उस वक्त बीजेपी दूसरी बड़ी पार्टी थी. और, जब से बीजेपी सत्ता में काबिज हुई है तब से कांग्रेस दूसरी पार्टी रही है. ये दो दल ही मध्यप्रदेश की दशा और दिशा तय करते रहे हैं. बीच बीच में कभी समाजवादी पार्टी और कभी बहुजन समाज पार्टी के बैनर से नेताओं ने जीत हासिल की है. और, कभी कभी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का नाम आता रहा है. कहने का मतलब ये कि छोटे मोटे दल मध्यप्रदेश में रहे जरूर लेकिन कभी सुर्खी नहीं बन सके. गाहे बगाहे ये मौका मिला भी तो कभी सत्ता की दशा और दिशा तय नहीं कर सके. लेकिन इस बार स्थितियां अलग हैं.
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