परंपरा को आज भी निभा रहे ग्रामीण, पहलवान करतब दिखाते हैं

  • 3 years ago
शाजापुर। सलसलाई में वर्षों पूर्व चली आ रही परंपरा आज (संक्रमण/ काल में) भी उसी प्रकार चल रही है। इस बार कोविङ 19 के निर्देश के चलते सांकेतिक रूप से आयोजन होने के कारण गिनेचुने पहलवान ही शामिल हो रहे है। यह परंपरा होली के 13 दिन बाद आने वाली नाहयण पर नगर के लोगों द्वारा आयोजित की जाती है। इस मौके पर क्षेत्र के पहलवान ग्राम बाड़ीगांव पहुंचकर मगदल 50 किलो, 80 किलो 70, किलो वजन का पत्थर रहता है जहां उसे उठाकर अपनी शक्ति दिखाते है। यह प्रतियोगिता पूर्व से चली आ रही। जहां नगर के पहलवान वहां जाकर अपना करतब दिखाते हैं और होली के गीत गाकर इस कार्यक्रम का आनंद लेते हैं जहां उनका स्वागत ग्रामवासी करते हैं। ग्राम बाड़ीगांव के पहलवान 1 दिन बाद नगर में आते हैं, और वहां भी गीतों के साथ शोभायात्रा निकालकर श्रीराम मंदिर के पास पहुंचते हैं जहां पहलवानी करते हैं होली की तरह रंग भी एक-दूसरे पर लगाते हैं और गीत गाते हैं। 

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