शर्मीले न होते दुधवा के बाघ तो यूपी होता टॉप

  • 3 years ago
लखीमपुर-खीरी। प्रदेश के इकलौते नेशनल पार्क दुधवा के बाघ शर्मीले हैं। पर्यटक नजर आते ही ये झाड़ियों की ओट में छिप जाते हैं। मानव की गंघ और कैमरे की आंख इन्हें जरा भी नहीं भाती। नजाकत ऐसी कि सैलानियों के हाथों में कैमरा देखते ही ये नजरें चुरा लेते हैं। वैसे तो यह बाघों का सामान्य स्वभाव है लेकिन उनकी यह अदाएं रैंकिंग के रैंप पर उन्हें पीछे धकेल दे रही हैं।ग्लोबल टाइगर फोरम ने उत्तराखंड के जिम कार्बेट नेशनल पार्क को रैंकिंग में दूसरा स्थान दिया है। यह वैश्विक रैंकिंग है। कार्बेट को यह रैंकिंग वहां के बाघों के स्वभाव की वजह से मिली है। एक अध्ययन में पाया गया कि कार्बेट के बाघों का स्वभाव सैलानियों के संग दोस्ताना है। वह खूब दिखते हैं और उन्हें इंसानों से कोई खास एतराज नहीं है। वहां बाघों का कुनबा भी बढ़ रहा है। कार्बेट में 200 के करीब बाघ हैं।वहीं, दुधवा के 107 बाघों के साथ ऐसा नहीं है। उनमें शर्मीलापन इतना ज्यादा है कि वे अपनी झाड़ियों से ही नहीं निकलते हैं। पर्यटकों के वाहन देखते ही किनारे हो जाते हैं। हालांकि किशनपुर सेंच्युरी में पिछले दिनों बाघों के दिखने का सिलसिला तेज हुआ था।

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