कालभैरव मंदिर से डोल ग्यारस पर निकलने वाली बाबा कालभैरव की सवारी निकली
  • 4 years ago
कालभैरव मंदिर से डोल ग्यारस पर निकलने वाली बाबा कालभैरव की सवारी में इस बार परम्परागत रूप से निकली गई। कोरोना संक्रमण के कारण प्रशासन ने इस बार श्रद्धालुओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। परंपरा निभाने के लिए शाम चार बजे मंदिर के सभा मंडप में कलेक्टर आशीष सिंह बाबा कालभैरव के मुखारविंद का पूजन किया। पश्चात कहार पालकी को कंधे पर उठाकर मुख्य द्वार तक ले गए इसके बाद सवारी फिर से मंदिर के भीतर लौट गई। भगवान महाकाल के सेनापति श्री कालभैरव पालकी मंदिर में सवार होकर मंदिर के द्वार तक पहुंचे, जहाँ पुलिस द्वारा उन्हें गॉड ऑफ ऑनर दिया गया। पालकी मंदिर में आने के बाद पुजारी भगवान की पादुका को कार में रखकर शिप्रा के सिद्घवट घाट ले गए ऐसा पहली बार हो रहा है कि बाबा कालभैरव नगर भ्रमण पर नहीं निकलें। मंदिर के पुजारी पं. धर्मेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण की दृष्टि से यह कदम उठाया है। बावजूद इसके पूजन व सवारी की परंपरा को धार्मिक महत्व के अनुसार निभाई गई। पालकी में विराजित भगवान कालभैरव की चांदी की पादुकाओं को कार में रखकर मोक्षदायिनी शिप्रा के सिद्घवट घाट ले जाया गया। यहां परंपरा अनुसार ही पूजा अर्चना हुई। गौरतलब है सेनापति कालभैरव मंदिर से साल में दो बार नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। पूजन से पूर्व सिंधिया राजवंश की ओर से भगवान कालभैरव के लिए शुक्रवार को शाही पगड़ी उज्जैन पहुंची। 
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