पिंजरा बदल जाए मगर पंछी नहीं उड़ना चाहिए देखिए कार्टूनिस्ट सुधाकर का ये कार्टून

  • 4 years ago
भारतीय संस्कृति में दान पुण्य का बड़ा महत्व है. कई लोग बड़े दयालु प्रवृत्ति के होते हैं . उनकी दिनचर्या में गायों को हरा चारा खिलाना, पंछियों को दाना डालना जैसे कार्य शामिल होते हैं . लेकिन राजनीति में 'पंछियों' को 'दाना' डालने वालों को भलामानुष नहीं, बल्कि शातिर समझा जाता है. और पंछियों को उनका दाना चुगने से रोकने की कोशिश की जाती है. क्योंकि यदि पंछी पराया दाना चुग लेता है तो वो लौटकर अपने ठिकाने पर नहीं आता और दूसरे झुंड में शामिल हो जाता है .इसलिये जब जब ये लगता है कि दाना खिलाकर पंछियों को अपने जाल में फंसाने वाले मंडरा रहे हैं, तब पंछियों को रोकने के लिए पिंजरे में बंद कर दिया जाता है.आवश्यकता पड़ने पर पिंजरा बदला भी जा सकता है.जो अपने पंछियों पर पैनी नज़र रखते हैं वो ही उन्हें दूसरे झुंड में शामिल होने से रोक पाते हैं.पंछी दाने और पिंजरे की कहानी को बखूबी दर्शा रहा है राजस्थान का घटनाक्रम.इसी घटनाक्रम को समझता ये कार्टून देखिये हमारे कार्टूनिस्ट सुधाकर सोनी की कूंची से

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