Ranthambore Tiger Reserve बाघों की बढ़ती संख्या पर बधाई के साथ चिड़िया ने बाघ को क्या सीख दी ?, देखिए कार्टूनिस्ट लोकेन्द्र की तूलिका से
  • 4 years ago

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रदेश में चौथा टाइगर रिजर्व बनाए जाने की कवायद शुरू हो गई है। यह टाइगर रिजर्व बूंदी जिले में रामगढ़, हिंडोली, डाबी और कालंदा के जंगलों में बनाया जाएगा। नया रिजर्व एक लाख 17 हजार 104 हैक्टेयर का बनेगा। जानकारी के मुताबिक नए टाइगर रिजर्व बनाने को लेकर प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। आगामी विधानसभा सत्र में इसे मंजूरी मिलने के बाद इसे केंद्रीय बाघ प्राधिकरण में अनुमति के लिए भेजा जाएगा। वन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा के मुताबिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से स्वीकृति मिलने के बाद इसकी कार्य योजना तैयार की जा रही है। आपको बता दें कि हाल ही में अधिकारियों और वन्यजीव विशेषज्ञों के मध्य इस बात को लेकर चर्चा हो चुकी है।
रणथंभौर सबसे पुराना टाइगर रिजर्व
प्रसिद्ध रणथंभौर राजस्थान का सबसे पुराना टाइगर रिजर्व है। इसके साथ ही कैलादेवी और रामगढ़ विषधारी वन क्षेत्र भी हैं जो इसे कोटा में कुछ समय पहले घोषित किए गए मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से जोड़ते हैं। रामगढ़ विषधारी बूंदी जिले में स्थित है। यह करीब 307 किमी में फैला वन क्षेत्र घना है। जानकारी के मुताबिक कभी यहां 14 बाघ हुआ करते थे जो धीरे.धीरे खत्म हो गए। रणथंभौर से जुड़े रामगढ़ विषधारी सेंचुरी की कनेक्टिविटी रणथंभौर टाइगर रिजर्व से है। वहां से रामगढ़ सेंचुरी में बाघों का मूवमेंट अक्सर बना रहता है। साथ ही यहां बाघों का नेचुरल हैबिटैट भी है।
प्राकृतिक संपदा से भरपूर
आपको बता दें कि बूंदी जिले का प्रसिद्ध रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य प्राकृतिक संपदा और वन्य जीवों से भरपूर है। ऐसे में यहां टाइगर रिजर्व बनाने की संभावनाएं अच्छी हैं। वन विभाग ने दिल्ली के मथुरा रोड स्थित चिडिय़ाघर से तीन दर्जन से ज्यादा चीतल यहां शिफ्ट कर चुका है। इससे पूर्व भी दिल्ली से इस अभयारण्य में सांभर लाए जा चुके हैं।
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