दुःख सोचो तो दुःख,सुख सोचो तो भी दुःख,और आनंद सोचा नहीं जा सकता || आचार्य प्रशांत (2016)
- 4 years ago
वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१७ फरवरी २०१६
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
कुछ शुरुआत करता हूँ तो डर क्यों लगता है?
दुःख सोचो तो दुःख,सुख सोचो तो भी दुःख,और आनंद सोचा नहीं जा सकता
मन सीमित से बाहर क्यों नहीं आता है?
शब्दयोग सत्संग
१७ फरवरी २०१६
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
कुछ शुरुआत करता हूँ तो डर क्यों लगता है?
दुःख सोचो तो दुःख,सुख सोचो तो भी दुःख,और आनंद सोचा नहीं जा सकता
मन सीमित से बाहर क्यों नहीं आता है?