कोजागिरी पूर्णिमा का महत्त्व | Kojagiri Purnima 2017 | Sharad Poonam 2017
- 5 years ago
कोजागिरी पूर्णिमा का महत्त्व | Kojagiri Purnima 2017 | Sharad Poonam 2017
सभी पूर्णिमा में शरद या कोजागिरी पूर्णिमा को सबसे प्रसिद्ध माना जाता है क्योंकि यह वर्षा-ऋतु के अंत का प्रतीक है। इस वीडियो में इस शुभ त्यौहार के बारे में अधिक जानिए
१ कोजागिरी या शरद पौर्णिमा या आश्विन पूर्णिमा को "फसल त्योहार" के रूप में मनाया जाता है जो हिंदू अश्विन महीने के पूर्णिमा के दिन होता है
२ यह एक दोहरा उत्सव है जो देवी लक्ष्मी और भगवान चंद्र के सम्मान में स्थानीय प्रथा के रूप में आयोजित किया जाता है
३ सबसे पहले, भक्त देवी लक्ष्मी की निशिता कला पूजा (आधी रात की पूजा) करते हैं, जिसे कोजागरी पूर्णिमा पूजा के नाम से जाना जाता है। वे उपवास रखते है और रात में देवी लक्ष्मी की प्रार्थना कर जागरण करते है
४ इस दिन भक्त भोजन नहीं करते और सिर्फ द्रव्य पदार्थ ग्रहण करते है जैसे की मसाला दूध या बादाम दूध। चावल की खीर रात की चांदनी में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान के रूप में रखी जाती है
५ इस त्योहार से संबंधित एक प्राचीन लोककथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी इस रात इंद्र देव और चंद्र देव के साथ धरती पर लोगों के बीच आती है और जो भी उसे जागते हुए दीखता है उसे धन, सुख, समृद्धि का आशीर्वाद देती है
६ इस उत्सव के दूसरे स्वरूप को कौमुदी उत्सव कहते है। यहाँ भक्त चंद्र देव को समर्पित परंपरागत अनुष्ठानों को रात भर जागकर मनाते है
७ कोजागिरी की रात जागरण कर मनाई जाती है, जहा भक्त विभिन्न खेल और गानों का गायन कर एक दूसरे का मनोरंजन करते है
८ इस दिन, आंगन को साफ किया जाता है और रंगीन अरिपन या अल्पना( फर्श पर की गयी चित्रकला) से सजाया जाता है
९ ओड़िसा में इस उत्सव को कुमार पूर्णिमा कहा जाता है जो अविवाहित लड़कों और लड़कियों के लिए सीमित है और जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए चंद्र देव की पूजा करते है
१० गुजरात और ब्रिज के राज्यों में, यह उत्सव भगवान कृष्ण को समर्पित महा-रास के रूप में मनाया जाता है
११ विशेष रूप से, गुजरात में, इस उत्सव को शरद पूनम कहा जाता है जहां गुजराती लोग उनका पारंपरिक नृत्य-गरबा खेल कर इसे मनाते है
१२ आप सभी को कोजागिरी पूर्णिमा की शुभकामनाएं और भारतीय उत्सवों की ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए देखते रहें अर्था चॅनेल
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सभी पूर्णिमा में शरद या कोजागिरी पूर्णिमा को सबसे प्रसिद्ध माना जाता है क्योंकि यह वर्षा-ऋतु के अंत का प्रतीक है। इस वीडियो में इस शुभ त्यौहार के बारे में अधिक जानिए
१ कोजागिरी या शरद पौर्णिमा या आश्विन पूर्णिमा को "फसल त्योहार" के रूप में मनाया जाता है जो हिंदू अश्विन महीने के पूर्णिमा के दिन होता है
२ यह एक दोहरा उत्सव है जो देवी लक्ष्मी और भगवान चंद्र के सम्मान में स्थानीय प्रथा के रूप में आयोजित किया जाता है
३ सबसे पहले, भक्त देवी लक्ष्मी की निशिता कला पूजा (आधी रात की पूजा) करते हैं, जिसे कोजागरी पूर्णिमा पूजा के नाम से जाना जाता है। वे उपवास रखते है और रात में देवी लक्ष्मी की प्रार्थना कर जागरण करते है
४ इस दिन भक्त भोजन नहीं करते और सिर्फ द्रव्य पदार्थ ग्रहण करते है जैसे की मसाला दूध या बादाम दूध। चावल की खीर रात की चांदनी में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान के रूप में रखी जाती है
५ इस त्योहार से संबंधित एक प्राचीन लोककथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी इस रात इंद्र देव और चंद्र देव के साथ धरती पर लोगों के बीच आती है और जो भी उसे जागते हुए दीखता है उसे धन, सुख, समृद्धि का आशीर्वाद देती है
६ इस उत्सव के दूसरे स्वरूप को कौमुदी उत्सव कहते है। यहाँ भक्त चंद्र देव को समर्पित परंपरागत अनुष्ठानों को रात भर जागकर मनाते है
७ कोजागिरी की रात जागरण कर मनाई जाती है, जहा भक्त विभिन्न खेल और गानों का गायन कर एक दूसरे का मनोरंजन करते है
८ इस दिन, आंगन को साफ किया जाता है और रंगीन अरिपन या अल्पना( फर्श पर की गयी चित्रकला) से सजाया जाता है
९ ओड़िसा में इस उत्सव को कुमार पूर्णिमा कहा जाता है जो अविवाहित लड़कों और लड़कियों के लिए सीमित है और जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए चंद्र देव की पूजा करते है
१० गुजरात और ब्रिज के राज्यों में, यह उत्सव भगवान कृष्ण को समर्पित महा-रास के रूप में मनाया जाता है
११ विशेष रूप से, गुजरात में, इस उत्सव को शरद पूनम कहा जाता है जहां गुजराती लोग उनका पारंपरिक नृत्य-गरबा खेल कर इसे मनाते है
१२ आप सभी को कोजागिरी पूर्णिमा की शुभकामनाएं और भारतीय उत्सवों की ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए देखते रहें अर्था चॅनेल
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