अंगूठी पहनना एक परंपरा या प्राचीन शास्त्र | अर्था | आध्यात्मिक विचार

  • 5 years ago
अंगूठी पहनना एक परंपरा या प्राचीन शास्त्र | ARTHA


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१ प्राचीन भारत में, विद्वानों ने सभी उंगलियों के महत्व का वर्णन किया है, की वो किस तरह से मानव शरीर के सभी हिस्सों एवं दिमाग से जुड़ी है
२ दिमाग से जुड़ने वाली अलग अलग उंगलियों की नसों को ध्यान में रखते हुए
३. तर्जनी (अंगूठे से पहले की दाई उंगली ):
इस ऊँगली की नस दिमाग से जुड़ी होती है । यदि किसी व्यक्ति के कुण्डली में बृहस्पति कमज़ोर होता है, तब ज्योतिषी सोने की अंगुठी पिले नीलम पत्थर के साथ, उस व्यक्ति के तर्जनी में पहनने की सलाह देते है
४. सामान्यतया मध्यम ऊँगली में लोग अंगूठी धारण नहीं करते है, हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार इस ऊँगुली को शनि ग्रह के लिए में माना जाता है
५ अनामिका (जिसे रिंग फिंगर कहते है ) :
५.१ व्यापक रूप से इस ऊँगली की नस पुरे दिमाग़ से जुड़कर तांत्रिककोशिकाओं की गति को बढ़ाने में मदद करती है ।
५.२ इस ऊँगली में पहने हुए किसी भी प्रकार के धातू का घर्षण, स्वास्थ के लिए लाभदायी होता है ।
५.३ यह किसी के जीवन शैली को सहज और विश्वाश के साथ, संभालने की क्षमता में सुधार लाती है ।
५.४ इसीलिए पूरी दुनियां में सगाई और शादी जैसे समारोह में इस ऊँगली में सोने की अंगूठी पहनने की रस्म निभाई जाती है ।
६. कनिष्ठा (सबसे छोटी ऊँगली ) :
यह ऊँगली बुद्ध ग्रह के लिए पहचानी जाती है , यह दिमाग़ के विचारों और समझने की शक्ति को नियंत्रित करती है

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