चक्र - मोक्ष तक पहुँचने के लिए आध्यात्मिक शक्ति के सात केंद्र | अर्था । आध्यात्मिक विचार

  • 5 years ago
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१ योग, ध्यान और आयुर्वेद में चक्र पूरे शरीर में ऊर्जा की गति का प्रतिनिधित्व करता है

२ चक्र वो संवेदी केन्द्र हैं, जो रीढ़ की हड्डी के माध्यम से चेतना क्षमताओं के रूप में सीध में रखे जाते हैं

३ रीढ़ से शुरू होकर सर तक, चक्र बड़े पैमाने पर शरीर में तंत्रिका केन्द्रों को एक रूप करते हैं

४ माना जाता है कि ये सूक्ष्म ऊर्जा चैनलों के मिलने का स्थान है जिसे नाड़ी कहा जाता है

५ नाडी कुछ और नहीं बल्कि वो प्रणालीयां हैं जिनके के माध्यम से जीवन शक्ति (प्राण) प्रवाहित होती है

६ मूलाधार से शुरू हो कर स्वधिस्थान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, अजन और सहस्रार तक, सात पूर्ण चक्र हैं

७ कुण्डलिनी (देवी या शक्ति ) पूर्णता: छिपी हुई नारी शक्ति रीढ़ की जड़ में कुण्डलित है

८ माना जाता है कि उर्जा इन चक्रों के माध्यम से चढ़ते हुए स्वयम से परिशुद्ध होती है

९ जब कुण्डलिनी पर कोई रुकावट आती है तब वह हर एक चक्र को तोड़ते हुए ऊपर कि तरफ़ बढ़ती है

१० यहां तक कि जब कुंडलिनी प्रत्येक चक्र से गुजरती है, तब आध्यात्मिक चेतना को उजागर करके योग शक्तियां प्राप्त करने के योग्य बनाती है

११. यह शिव उर्जा से मिलाती है. जब वह अंतिम चक्र तक पहुँचती है तब वह समाधी की अवस्था को पाती है.

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