Hindustan Sikhar Samagam 2016 - हेमा मालिनी और राज बब्बर
  • 6 years ago
रुपहले पर्दे से लेकर सियासत तक एक कामयाब सफर तय करने वाली ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी मानती हैं कि अपने देश से तीन तलाक की प्रथा खत्म होनी ही चाहिए।

शनिवार को लखनऊ के होटल ताज विवांता में आयोजित 'हिन्दुस्तान शिखर समागम' में एबीपी न्यूज की एंकर नेहा पंत द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए हेमा ने कहा कि पति-पत्नी के बीच का रिश्ता काफी अहम और संवेदनशील होता है और अगर पत्नी की कोई बात पसंद नहीं आई तो एक बार में तीन बार तलाक कह कर पत्नी को छोड़ देना कहीं से भी ठीक नहीं है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर इस प्रथा में बदलाव आता है तो इससे निश्चित ही मुस्लिम औरतों को फायदा होगा, उन्हें राहत मिलेगी।

फिल्म इण्डस्ट्री में रहते हुए प्रशंसकों की लम्बी लाइन से अब राजनीति में आने पर वोटरों की लाइन? कैसा है आपके लिए यह बदलाव?

मैं अभिनेत्री के रूप में तरह-तरह के लोगों से मिली। मान सम्मान सब कुछ मिला। इसी की वजह से राजनीति में आने का अवसर मिला। मैंने राजनीति को एक चुनौती के रूप में लिया। पहले मैं राज्यसभा में थी उस वक्त मैंने राज्यसभा निधि का चैरिटी में इस्तेमाल किया। फिर मैंने तय किया कि मुझे चुनाव लड़ना है।

लोगों ने कहा कि इतना आसान नहीं है चुनाव लड़ना, मैंने इसे चुनौती माना। मैंने अपनी पार्टी से मथुरा से लोकसभा का टिकट मांगा, मुझे टिकट मिला। मैं चुनाव प्रचार में उतरी। कड़ी धूप में मुझे पैदल चलना पड़ता था, कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी। मगर यह मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी क्योंकि फिल्मों की शूटिंग में भी हम कलाकारों को दिन रात कड़ी मेहनत करनी ही पड़ती है। मगर चुनाव प्रचार के दौरान मुझे जगह-जगह भाषण देना पड़ता था वह मेरे लिए जरूर मुश्किल काम था। मथुरा से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मुझे लोगों का दु:ख दर्द जानने और उसे दूर करने की कोशिशों का अवसर मिला। हालांकि मुझे मुम्बई से मथुरा पहुंचने में आठ घण्टे लगते हैं मगर मुझे वहां अच्छा लगता है।

जो फिल्मी एक्टर राजनीति में आते हैं उनके प्रशंसक बहुत होते हैं, ऐसे जाने पहचाने चेहरों को ग्लैमर के पैराशूट से चुनाव में उतारने पर क्षेत्र में लम्बे अरसे से काम कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को मायूसी नहीं होती?

ऐसा कुछ नहीं था। चुनाव लड़ने के लिए एक चेहरा चाहिए था। हालांकि पार्टी में मथुरा से टिकट
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