In Shiv Shakti – Tap Tyaag Tandav, the divine bond between Lord Shiv and Devi Shakti unfolds through love, sacrifice, and cosmic duty. Their journey reflects eternal strength, devotion, and destiny. Each episode brings mythological grandeur with deep emotions and lessons. 🌺🙏⚡
01:54कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर �
02:24झाल झाल
02:54प्रश्न करने जाना है
03:24चलो मेरे साथ
03:36शीवाण
03:46शीवाण
03:48शीवाण
03:50इदर
03:52रश्न केवल तुम्हारे मन में नहीं उठते है
03:54मेरे मन में उठते है
03:56जानना चाहती हूं मैं
04:00कि इस गाउं में शक्ती स्वरूपास्त्री का
04:04महादेव के मंदर में जाना वर्जित क्यों है
04:06चलो इसका उत्तर हम साथ मिलकर खोजेंगे
04:10चलो चलो समय कम है हमारे पास
04:14समय कम हमारे पास
04:44क्या हुआ, चलो
05:10चलो
05:40तर थे खोजेंगे
05:42स्वाश
05:44स्वाश
05:50स्वाश
05:52श्यूश
05:57श्यूश
05:58श्यूश
06:00श्यूश
06:06स्वाहा यह यह क्या कर रहा हूँ?
06:36शीव तंत्र से शीव और शक्ति को परास करने की योजदार
06:44जब तक वो तुनों अपने सक्ति से अनविग्य है
06:56यह सारा का सारा खेल मेरी मुठी में है
07:02इसलिए आज रात्री तक मेरी आज्या का पालन हो जाना चाहिए
07:10यह यह यह यह यह
07:20मारतंड़ जी आ गए अब सब शुप होगा
07:42जी जूरी के तो भाग खुल गए
07:44मैं कुल गए
07:46आण
07:48जी आए
07:50कैस उम्हाँ
07:54क्योंगे
07:56की
07:58कैना
08:00सी
08:04क्यों
08:06कैस तो
08:10क्या हो अब उत्री, कुछ चाहिए है?
08:21हाँ, बाबा, उत्तर चाहिए मुझे.
08:25कैसा उत्तर मालसा?
08:26इस गाओं फी स्त्रिया शिव मंदर में पक्यों नहीं धर सकती.
08:40बोला ना बाबा, जेजूरी की स्त्रियों के साथ ही अन्या ही क्यों?
08:57क्यों वो शिव मंदर में नहीं जा सकती?
09:04क्यों उनका प्रवेश वर्जत है?
09:06उत्तर दो, बाबा.
09:12मारसा, यह कैसी बाते लेकर बैठी है?
09:29सोड़ ना. चल, मैंने तिरे लेना खीर बनाई.
09:32अच्छा, मैं नहीं खानार खीर आई.
09:35मारसा, आप बताई, आप भी तुस्त्री है ना?
09:40और चालिस गाओं के धनी की पत्नी है.
09:43तो आपने कभी प्रश्न क्यों नहीं उठाय?
09:45क्यों नहीं पूछा कि स्त्रीयों के अपनावेश करना क्यों वज्जत्याशिव मंदर में?
09:49क्यों अपने मान लिया नहीं?
10:03महादेव जितने पुरुशों के हैं, उतने ही स्त्रीयों के भी हैं.
10:06वो तो स्वय मार्दिनारेश्वर हैं, है न, आइक?
10:13तो फिर क्यों, क्यों स्त्रीयों का भाँ जाना वर्जित है?
10:22महादेव सब के हैं.
10:24महादेव मार्टन्ट का अतर्क उचित है.
10:26जो सब कि है वो हमारी क्यों नहीं?
10:30इस गाओ में स्ती और पुरुशों को सामान अधिकार क्यों नहीं मिलता?
10:35क्यों मनाए आपने यनियम,
10:48जोगाओं का नियम है तुमें भी सबकी भाति उसे मानना होगा
11:18आप तक संदेद हा, बाबा, अब तो सिध्ध हो गया, ये संसार भले ही शिफका हो, परन्तु ये गाउं केवल आपका है, पुरुशों का है, अस्ती का कार है, यहां केवल सर जुखा के आपके आग्या का पालन करना है,
11:39मार साथ!
11:40तनिक स्वतंत्रता क्या देधी तुम्हें? अपने पिता का सम्मान करना भूल गई हो तुम्हें पिता से ही तर्क करने लग गई हो, यदि मेरा तर्क अनुशित है तो मेरी जीबा काट दीजिए, ये लीजिए!
11:57लृब गुझा का टीफा पिर परंतु यदि मेरा तर्क सक्ते है, तो आज मुझे शिव मंदिर में पग रहने से कोई नहीं ही रोक पाएगा..
12:05कोई नहीं ही रोक पाएगा..
12:20।
12:24अजो कि तो वांज अब कि अज़ जाओ अज़िए गॉर्टों भी अज़िए देले नहीं अज़िए बार नौर्टों जाओ वो तनकर आजएगा
12:54हाम हालता मत करो यानर्थ
13:24कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर दो कर �
13:54पोई बतुदा नप्लाब�αब ένα हमार, अपड़ मारू से उोडना हमार, जड़ को भी र खदायाजी.
14:24कर दो कर दो
14:39मार सा पुरूँ जए मैंत जा अनुट जागा माल सा रुजा माल सा
14:54झाल झाल
15:24झाल
15:54झाल
16:24बाबा, आप चाहे जितनी बेडियां लगा लो, मैं हर पंधन, हर ब्रहम तोड कर रहूंगी, शिव मंदिर तो जा कर रहूंगी, आखिर स्त्रियों का क्या दोश है, यह जान कर रहूंगी
16:36मालता, यह हमारा आदेश भी है और चेताम ली भी, रुको,
16:56यह कुझ इय क्या zब क्पू धार इताम है, यह जान कर सकताव धितनी बादेशन प्त्रियों के सब्सक्राइब jogos लिया जान कर रहूंग시
17:14मासा!
17:44इमासामा चाहिफ
17:52है तो
17:55कि अ कर
18:03मला कोई और तुम्हारे गाहँ की स्थी शिर्यमंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती और इस निरने
18:08पे अप्रस्नीनकिंखर रहे हो
18:12कि
18:14मालता, यह हमारा अदेश भी है, और चेताम भी भी, रुको!
18:36आज मुझे शिव मंदिर में फग रखने से कोई नहीं रोकताएगा
18:44दिव्यारूप में अपने नए स्वारूप में शिवशक्ति है
19:06पूनह मिले
19:12मलहार के रूप में है शिवम है भाल सबनी स्वयम पार्वती
19:22स्वा परिचे से दोनों ही है अलबिख्या इस घड़ी में लिखने अपने अपने का नया आठ्या
19:32सिन्न होके भी दोनों ही अभिन्न है ऐसा फ्रेम और शिष्टी में लखा
19:42शिवम पूर है शक्ति स्वम पूर है ऐसा से मतूर है जो तूटी सा
19:51है ने एक दूज से है एक दूज में कुछ ना एक दूज के है बिजा
20:00माल्ता
20:23दन्यवाद मारतंड़ जी
20:49हाज आपने पुने जेजुरी का संकट ताल दिया संकट संकट का सूचक मेरा निर्ने नहीं आपका आदेश
20:59क्यों एक भक्त अपने भगवान से नहीं मित सकती
21:03क्यों एक कन्य अपने शिव के समक्ष नहीं जा सकती
21:14जो सब के है वो मेरे क्यों नहीं वो मेरे भी है वो मेरे भी है वो मेरे भी है और मुझे यहां समानतर स्विकार नहीं
21:32वो मेरे बष्या मेरे नहीं
21:38समुम प्र मुझे यहां समुम मेरे कर नहीं
21:50मुझे यहां समुम
21:59हर मानव में कहीं अधीरता है तो कहीं क्रोध है तो कहीं स्वार्थ है इसलिए एक मनुष्य होकर भी जो निश्वार्थ है वो होती है
22:19मा के वल जन्म नहीं देती है वो संसकार देती है क्योंकि माता के स्पंदन में इस संसार की सबसे पवित्र धुन बस्ती है इसलिए जब भी जीवन में आपके भीतर अहंकार वास कर जाए कि आप श्रेष्ठ है
22:44तब एक माता का स्मरण करो उसके त्याग को देखो अपने अस्तित्व की जलत देख पाएंगे