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  • 6/8/2025
Namaskar dosto!
Aaj hum aapko lekar ja rahe hain ek aise yudh ke beech mein, jahan maut har pal soldier ke saath saath chalti thi. Yeh kahani hai World War 2 ki — ek aam sipahi ki aankhon se. Isme hai dard, thakan, samarpan aur woh sab kuch jo history ki kitaabon mein nahi milta.

Imagine being in freezing trenches, without food, sleeping with one eye open, watching comrades fall beside you.

📌 Yeh ek audio kahani hai jo aapko sula degi... ya jagaye rakhegi.

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Transcript
00:00नमस्कार दोस्तों, आज हम इतिहास के सबसे भयानक दौर में जहाकने जा रहे हैं, द्वितिय विश्व युद्ध.
00:07लेकिन इस बार इतिहास की किताबों की तरह नहीं, बलकि एक सैनिक की आँखों से.
00:12कल्पना कीजिए कि आप एक आम व्यक्ती हैं, लेकिन अब युद्ध के मैदान में भेज दिये गए हैं, जहां हर दिन एक डरावना सपना है. आईए इस यात्रा की शुरुवात करते हैं.
00:23भाग एक, घर से विदाई. साल 1949, मैं केवल 21 साल का था. यूरोप का माहौल तनावपूर्ण था. अखबारों में हिटलर की नाजी पार्टी की खबरें च्छाई रहती थी. रिटेन ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की गोशना की. और जल्द ही मुझे एक चिठ्थी मिली
00:53किसी ने सोचा था कि हम में से कितने लोटेंगे. भाग दो, सैनिक प्रिशिक्षन का नरक. पहले ही हफ़ते में मुझे एहसास हुआ कि युद्ध वीरता नहीं, बलकि दर्ध है. सुबह चार बजे उटकर सक्त ट्रेनिंग, हतियारों की पढ़ाई और मानसिक तैयारी. डर क
01:23अगली लाश बनोगे.
01:53भाग चार. मौत का साया.
02:23पहले जाओ, तो अपनी जान भी दाव पर लगती है. लेकिन इंसानियत तो दिल में होती है न. भाग पांच. आम नागरिकों का दोख. हमने फ्रांस के गावों में घुसे हुए नाजियों को भगाया. लेकिन वहां के लोगों की हालत देख, दिल तूट गया. घर उजड�
02:53जला दिया गया था. युद्ध सिर्फ सैनिकों की नहीं, आम लोगों की भी त्रासदी बन गया था. भाग च्या, कैदी और यातना, शिविरों की सच्चाई. युद्ध के अंतिम चरणों में हम पोलेंड पहुँचे, जहां नाजी कैंप्स की सच्चाई सामने आई. पहली
03:23करते लोग यह दृष्य, जीवन भर पीछा नहीं छोड़ेंगे. भाग साथ, युद्ध का ठक जाना. उननी सो पहली साते आते हमारी आत्मा तूट चुकी थी. बरलिन की तरफ बढ़ते समय हमें हिटलर के पतन की खबर मिली. ये खुशी का क्षन था, लेकिन अंदर कोई �
03:53वापसी और PTSD. युद्ध खत्म हुआ, मैं घर लोटा. लेकिन मैं वहीं इनसान नहीं था. रात को डरावने सपने आते, जोर से दर्वाजा बंध होने की आवाज से डर जाता था. युद्ध ने मेरे मन और आत्मा को जला दिया था. डॉक्टर ने इसे PTSD कहा. पोस्ट ट्र�
04:23नौ, युद्ध की सीख और अगली पीड़ी. आज मेरे पोते मुझसे पूछते, दादा जी, आपने क्या किया युद्ध में? मैं उन्हें कहानियाओं सुनाता हूँ, लेकिन सबसे अहम बात बताता हूँ, युद्ध मत चाहूँ. शान्ति सबसे बड़ी जीत होती है. जं
04:53वह सब सहपाते, जो मैंने साह. क्या युद्ध को सही ठहराया जा सकता है? मिलते हैं. अगली रात नौ बजे एक और सची कहानी के साथ. लाइक, शेर और सबस्क्राइब करना न भूले. स्लीपलिस हिस्टोरियन हिंदी चैनल पर.

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