00:00तब हम आपको दिखाते हैं कि किस तरीके से संग प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से आम आदमी के हक की बात हुई है, शिक्षा और स्वास्ते को लेकर जिस तरीके से कीमते बढ़ती जा रही है और जो उनकी जो क्वालिटी है वो घरती जा रही है उसको लेकर उन्होंने तम
00:30обр狂कर एक स्वास्त और शिक्षा करें दो वित्स एसे है अजके समय में इसके लिए आदमी अपना घर बेच देगा लेकिन अच्छी शिक्षा में अपने लगों को कुँँए है अपना घर भेच देगा लेकिन अच्छी जगए अपनी चिकित साह हो कि इसका प्रबंगत रह
01:00आज सामान्य वेक्ति के पहुंच से बाहर है और उसके आर्धिक सामर्थे के पहुंच के बाहर है
01:10यानि सहर्ज उसलव नहीं रही और सस्थी भी नहीं तो क्या विद्जाले वगरे कम है वो तो बहुत बढ़ रहे हैं
01:20अस्पटाल का मैं ऐसा भी नहीं है पहले ये दोनों का सेवा के नाते किये जाते थे आज इसको भी
01:32कमर्शियल बना दिया गया है एक बार मैंने मंत्र जी का विदान सुना कुछ वर्ष पहले
01:42कि शिक्षा भारत की शिक्षा
01:45ये ट्रिलियंट डालर बिजनेस है अब बिजनेस ये तो सामा निवेक्ति के पहुंच के बाहर की बात है उसको पूंजी लगती है जिनके पास है वही करेंगी
02:01संप्रमुक ने उसी मुद्दे को लेकर ध्यान खीजा है जिसको लेकर आज तक लगातार खबरदार करता रहा है
02:08शिक्षा और स्वास्ति का ये मुद्दा जिसकी तरफ उन्होंने ध्यान की जाए उसको लेकर हम सरकारों को हमेशा खबरदार करते रहे हैं
02:16क्योंकि सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है भले देश में ज्यादतर बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हों
02:26लेकिन ये सच है कि स्कूल या तो जरजर है या उन स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था खंडर हालात में
02:31जहां शिक्षक तक जरूरत मुताबिक पूरे नहीं पढ़ते
02:34और तब निजी स्कूल में अपने दो बच्चों को पढ़ाने का खर्च
02:38किसी मिल्ल क्लास परिवार से पूछी है
02:40जिसको सालाना प्रती बच्चे दो लाग से पांच लाग
02:43तक कम से कम खर्च करने पड़ जाते हैं
02:46यही हाल सरकारी अस्पताल में इलाज का है
02:48अस्पताल है तो डॉक्टर नहीं डॉक्टर हैं तो मरीज इतने ज्यादा है
02:52कि नंबर कब आएगा पता नहीं
02:53सुविधा के नाम पर क्या पता फिर बीमारी ही मिले
02:56यही कारण है कि सरकारी सर्वे में ही पता लगा
02:58कि देश के करीब 50 प्रतिशत परिवार सरकारी अस्पतालों में नहीं जाते हैं
03:04यह सच किसी और का नहीं है बलकि खुद सरकारी है
03:06नाशनल फामिली हेल्थ सर्वे 5 की रिपोर्ट की अनुसार
03:10परिवाद जो सामान ये रूप से सरकारी अस्पताल का उपयोग नहीं करते, उनकी वजे की रिसर्च हमने निकाली,
03:16जो कहती है कि 40.2 प्रतिशत लोग सरकारी अस्पताल नहीं जाते, क्योंकि आस पास स्वास्य सुविधाय नहीं.
03:2325.3% लोग मानते हैं कि सरकारी अस्पताल की टाइमिंग ऐसी है कि इलाज नहीं मिल पाता है
03:3015.5% लोगों का कहना है कि सरकारी स्वास्तिकेंद्र अस्पताल में स्वास्तिकर्मी मौजूद नहीं रहते
03:3645.7% लोगों का मानना है कि सरकारी अस्पतालों में काफी इंतिजार करना पड़ता है
03:4247.6% लोगों ने देश के सर्वे में कहा कि अच्छी सुविधाएं सरकारी हेल्थ सेंटर पर नहीं मिलती
03:49यही वज़ा है कि लोगों को फिर निजी अस्पताल, नर्सिंग, होम, डॉक्टर यभरू से इलाज कराना पड़ता है
03:54और इसलिए संग प्रमुग तक अब अच्छी स्वास्त से सेवा नर्म मिल पाने का मुद्दा उभा रहें
03:59मैं भी समझता हूं कि स्वास्त और सिख्शा समंद लोगों के रीचसे कुछ बाहर निकलता जा रहा है
04:15सिसलिए सिख्शा और स्वास्त दोनों को पार्दर्स्य और संस्टर बनाने का सरकार का प्रियास होना चाहिए
04:22हर तरह से मोहन भागवाजी का जो कथन है उस्षे में सहमत मोहन भागवाजी सम्मान निये यह बात आज कर हम लोग तो बरसों से कर उनके पहले से कितिनी बार हमने कहा सरकार कहती है कि आप आई समान काड़ लो प्राइवेट अस्पताल में जाओ इस देश की जनता कहती है कि �
04:52तो सरकारी स्कुलों में अशी वेच्छागों भाजबा कि इसमें सारे इंग sharpen एक उससे से तकरा रहे हैं और उस्टकराध में कभी-कभी सच बहर आजाता है
05:01यह बार जब हम कहते हैं तो बारती जन्टापाटी के सरकार बोलते थी थी को घलत बोल रहा है,
05:06सच्छाई को बेहन किया है, अगर सरकार में हिम्मत है तो का दे बार मोंट भागवा जोट बोल रहा है,
05:11लूटा जा रहा है हमारे जोग़री पारई हैं लाइक नहीं,
05:13बार बार हमारे पतान मंत्री जब बजट होता है या बाद में कहते हैं कि हमने इतने लाक इतने करोड लोगों को फ्री इलाज करा दिया है
05:21मगर घुटाला है जहां जीन अस्पतालों में इलाज की फैसिल्टीज है वो पेशन को लेते ही नहीं कहते हैं
05:28कि भाई हमें पेमेंट ही नहीं आगे से आ रहा है, बहाना करते हैं मेरे बेड नहीं है, पेमेंटी साइन टाइम पर नहीं आता है, और मुंबई यह था शहर, जो एकनॉमिक कैपिटल है, महरास्ट पूरे देश का, वहां अस्पतालों में जाए तो एक बेड पर दो लोग सो�
05:58कि यह जो कुछ हो रहा है, आम आदमी की पहुंच से सिक्षा और स्वास दूर जा रहा है, जब उनके मात्र संगठन के मुखिया ने इन दौर में कह दिया, कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया है, बाजारी करन हो गया है, चंद हाथों में सौप दिया गया है, तो शर