00:00पुरा देश आजादी का 79 जशने आजादी मना रहा है और ऐसे मौके पर काकुरी के शहीदों को हम आयाद कर रहे हैं और उनके बलिदान को याद कर रहे हैं काकुरी इस्टेशन पर पहुँचे हैं और आपको दिखाते हैं कि ये वही संदूक यहाँ पर मौजूद है जिसे �
00:30इसमें उस वक्त का 4689 रुपे मौजूद थे आप इस मौजियम में देखेंगे कि आजादी के उन मतवालों की तस्वीरे लगी हैं जिन्होंने ये कारनामा अंजाम दिया था दरसल काकुरी इस्टेशन से करीब 2 किलो मीटर जैसे ही तारन पूर पसेंजर ट्रेन आगे बढ
01:00ट्रेन से नीशे उतारते हैं और इस पूरे कारवाई में करीब 47 मिनट लगे थे आप देख सकते हैं कि ये लोहे का जो संदूख है इसमें गलब्स जो रखे हुए हैं और किस तरीके से इस संदूख को लाया जा रहा था सहारन पूर से आप देखेंगे कि यहां पर कोट की �
01:30काकूरी इस्टेशन से 2 किलो मीटर दूर पे रात आधी गुजर चुकी थी ट्रेन का चैन खीचा गया और 45 से 47 उनट में इस पूरे काम को अंजाम दिया गया था आप देखेंगे ट्रेन का ये इस्टेशन का बाहरी हिस्टा कि ये काकूरी इस्टेशन है और यही से ट्रेन
02:00सुर्था सेनानियों ने जिस कारणामे को अंजाम दिया था वो आज याद चिया रहा है तो इस तरीके से ये काकूरी को कांड पूरे देश कऱादा एक बगल बच चुका था और सुतंतरता सेनानियों ने जिस तरीके से
02:15has been his own personal experience
02:18and has been accepted for this
02:20this is the result that
02:2215 August 1947
02:25the government has been
02:27into this country and the government has been