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  • 8/5/2025
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00:00हाँ, मैं वो तो नहीं, जो तुम मुझे समझे
00:08मैं न तो मंटू?
00:13जस मंटू को हम जानते हैं वो ड़ता नहीं था सिर्फ
00:15आपने पढ़े हैं मंटू को?
00:20नो
00:21फिर पढ़िएगा सिर्फ बहुत लेंगे आप हुन सिर्फ
00:30सब को बता है मंटू से को से क्योटी मिल गई है, वो डर गए है
00:35मर्द डर पोक निकले तो देख कर रोना आता और मैं हास रही
00:39मैं समझे थी आप लड़ना नहीं चाहते हैं, मैं ये नहीं जानती थी कि आप लड़ी नहीं सकते
00:44उन्हें जब पता चला कि फरहाद बिन्यामीन का बीटा है, तो सांस हलक में थम गया था
00:48आपको सच मुझ लगता है कि मैं कोई बहुत बुजदिल इनसान, कावड हूँ
00:52दर्वाजा खोलिये, दर्वाजा, मैं आपके गेट के बाहर खड़ी हूँ, ओ, ओ, सुनिये, बोलिये, आप अकेली है ना, और कौन होगा मेरे साथ, वो बहुत खतरनाक लोग ऐसा है, अपने घर में अकेला रहता हूँ है, ना पर मुलाज़े में, ना कोई गार्ड, तो फ
01:22होगी, मन्टो जब फैसला कर लेता है, तो बस कर लेता है, देखा, तुम से कहूँ हाथ दो, तो तुम हाथ बढ़ा देती हो, और वो ऐसी है के हाथ लगने नहीं देती,
01:46चील की तरह देखती है, डर गई हो, क्यों, मेरे कभी हाथ उठाये तुम पर, नहीं न, अभी भी हाथ नहीं उठाये, तरह से धक्का दिया बस,
02:16पर頭 साह किंप अमारे, खर फो कि कि तुम है, बसुम है दो, को बसक्रुम हैं, प्रुम पर दो बपी तुम है क्याच्ट
02:37तुम है को बपुम है
02:42झाल
03:12तो फिर कैसे उसका लंज तुम्हारे हाथ जैसे हो सकता है?
03:15नहीं ना?
03:21बेठो
03:23कम सिप्ट
03:26मतीहा क्यों गई थी उससे मिल ले?
03:29उसको लगा हम दोनों की शादी हो जाएगी तो खानानों की बीश दिश्मनी खतम हो सकती है
03:33तो चली गई
03:34गहरा है तो अब्माने बहुर्ट आंटा
03:38अर्थम नहीं?
03:41मैने?
03:43मुझे लगा बुरा एडिया नहीं है, लेकिन…
03:48लेकिन?
03:55जल्रीयो
03:59लेकिन क्या?
04:00बोलो नहीं?
04:01अईसा नहीं हो सकता
04:04सिराजम रिच्री कभी नहीं है
04:07इस ड्रामा सीरिल में आप देखेंगे
04:09पर्वा कुहाट के एक बाहिजाब, बाहिज़त और शर्मीली लड़की ती
04:14जो लाहोर में यूनिवेस्टी की तालीम हासिल कर रही थी
04:17और वो अपनी दुनिया में मगन सीधी साधी और खौबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
04:22इसके ले महबबत सिर्फ की ताबों में थी
04:25हकीकत जिन्दगी में नहीं
04:27वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी
04:31ती जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
04:34असपर कराची से आया हुए एक जहीन
04:36खुश मिजाज नवजवान था
04:38जो अपने बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
04:42परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चंड लबजों का तबादला दिल में गर गया
04:52हैस्ता हैस्ता वो एक दूसरे के करीब आने लगे मगर दोने के अंदाज में इहतिराम और फासला बरकरार रहा
04:59असपर ने किभी जलबाजी नहीं की वो जानता था कि परवा एक रवायती कराने की बेटी है और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीच जा सकरी है जब असपर ने अपने जजबात के इज़ार किया तो परवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा मेरे दिल तुमारे साथ है मग
05:29जुनने बेटी के लिए खनदान में ही किसी को पसंद किया हुआ था सखती से इंकार कर दिया इनके लिए शेहर की ललकी ललके बरवसे के काबिल ना थे फरवा ने बाप के पेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया और असपर से रापता खतम कर दिया असपर ने बह
05:59एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजेक्ट के तहत में हमानाया असपर्ज जो अब एक फलाही दारे का बानी बन चुका था
06:06दोनों की नज़रे मिले वक्त तम गया और आंकों ने वो सब के दिया जो जबान से कभी ना कहा गया
06:13इस बानस पर खामोश ना रहा इसने फर्वा के वाले से खुद बात की अपना किरदार सपर और नियत वाजिख की
06:20ड्रामर सेरिल के हवाले से अब नराही की जहा लाजमी के मैंन के लिए साथ में हमरा एट्यूप का चेनल सबस्क्राब करना मत बूलिए
06:25तेंक्स पर वाचिंग अलाहाफिज
06:27हलो वीवर्स इस ड्रामर सेरिल में आप देखेंगे परवा कुहाट के एक बाहिजाब बाहिजद और शर्मीली लड़की थी जो लाहोर में यूनिवेस्टी की तालीम हासिल कर रही थी
06:38वो अपनी दुन्या में मगन सीधी साधी और खौबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
06:44इसके लिए महबबत सिर्फ की ताबों में थी हकीकत जिन्दगी में नहीं
06:49वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
06:55असपर कराची से आया हुए एक जहीन, खुश मिजाज, नौजवान था जो अपने बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
07:03परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
07:13अईस्ता अईस्ता वो एक दूस्ते के करीब आने लगे, मगर दोने के अंदाज में इहतिराम और फासला बरकरार रहा
07:20असपर ने कभी जलबाजी नहीं की, वो जानता था
07:23कि परवा एक रवायती किराने की बेटी है और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीच जा सकी है
07:30जब असपर ने अपने जजबात के इज़ार किया तो परवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
07:35मेरे दिल तुमारे साथ है, मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मरजी से बंदे है
07:40असपर ने वादा किया, कि वो इस रिष्ट के विजद से लेकर चलेगा
07:44कुछ महीने बाद असपर के वालदी रिष्टा लेकर कुहाट गए
07:48मगर फरवा के वाले जुन ने बेटी के लिए खानदान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
07:54सखती से इंकार कर दिया
07:56इनके ले शेहर की ललकी, ललके बरवसे के काबिल ना थे
08:01फरवा ने बाप के पेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया
08:05और असपर से राप्ता खतम कर दिया
08:07असपर ने बहुत कोशिश की, मिन्नती की, खत लिके
08:11मगर फरवा ने कभी भी जवाब नहीं दिया
08:13तिन साल गुजर गए, फरवा अब एक स्कूल में टीचर थी
08:18और अंदर ही अंदर टूटी हुई थी
08:20एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजेक्ट के तहत महमान आया
08:24असपर जो अब एक फलाही दारे का बानी बन चुका था
08:27दोनों की नज़रे मिले, वक्त तम गया
08:30और अंकों ने वो सब के दिया
08:31जो जबान से कभी ना कहा गया
08:34इस बार असपर खामोश ना रहा
08:36इसने फर्वा के वाले से खुद बात की
08:38अपना किरदार, सपर और नियत वाज़िख की
08:41ड्रामसल के हवाले से अब नराही की जहा
08:42लाजमी के मिन के लिए साथ में हमरा एट्यूप का चेनल
08:45सबस्क्राब करना मत बूलिए
08:46थैंस पर वाचिंग, आला हाफिज
08:48हेलो वीवर्ज, इस ड्रामस सीरल में आप देखेंगे
08:51पर्वा कुहाट के एक बाहिजाब, बाहिजद और शर्मीली लड़की थी
08:56जो लाहोर में यूनिवेस्टी की तालीम हासिल कर रही थी
08:59वो अपने दुनिया में मगन, सीधी, साधी और खौबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
09:05इसके लिए महबबत सिर्फ की ताबों में थी, हकीकत जिन्दगी में नहीं
09:09वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी
09:13जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
09:16असपर कराची से आया हुए एक जहीन, खुश मिजाज, नौजवान था
09:20जो अपने बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
09:24परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
09:34हैस्ता हैस्तब वो एक दूसरे के करीब आने लगे
09:38मगर दुने के अंदाज में इहतिराम और फासला बरकरार रहा
09:41असपर ने कभी जलबाजी नहीं की वो जानता था
09:44कि परवा एक रवायती कराने की बेटी है और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीच जा सकती है
09:51जब असपर ने अपने जजबात के इज़ार किया तो परवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
09:56मेरे दिल तुमारे सात है मगर मेरे पेसले मेरे वάλद के मरसी से बंदे है
10:01असपर ने वडा किया कि वो इस रिष्ट को इजब से लेकर चलेगा
10:05कुछ महीने बाद असपर के वालदी रिष्टा लेकर कुहाट गे
10:09मगर फर्वा के वाले जुनने बेटी के लिए खनादान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
10:15सखती से इंकार कर दिया
10:17इनके लिए शेहर की ललकी ललके बरवसे के काबिल ना थे
10:22फर्वा ने बाप के पेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया
10:26और असपर से राप्ता खतम कर दिया
10:28असपर ने बहुत कोशिश की मिन्नती की खत लिके
10:32मगर फर्वा ने कभी भी जवाब नहीं दिया
10:34तिन साल गुजर गए फर्वा अब एक स्कूल में टीचर थी
10:39और अंदर ही अंदर टूटी हुई थी
10:41एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजिक के तहत में हमानाया
10:44असपर जो अब एक फलाही दारे का बानी बन चुका था
10:48दोनों की नजरे मिले वक्त तम गया
10:51और अंकों ने वो सब के दिया
10:52जो जबान से कभी ना कहा गया
10:55इस बार असपर खामोश ना रहा
10:57इसने परवा के वाले से खुद बात की
10:59अपना किरदार, सपर और नियत वाजिख की
11:02ड्रामर सेरिल के हवाले से अपने राही की जहा लाजमी के मिन के लिए
11:04साथ में हमरा एट्यूब का चेनल सबस्क्राफ करना मत गूलिए
11:07थिंक्स पर वाचिंग, आला हाफिज
11:09हेलो वीवर्ज, इस ड्रामर सेरिल में आप देखेंगे
11:12परवा कुहाट के एक बाहिजाब, बाहिजद और शर्मीली लड़की थी
11:17जो लाहोर में यूनिवेस्टिक की तालीम हासिल कर रही थी
11:20वो अपनी दुनिया में मगन सीधी साधी और खौबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
11:26इसके लिए महबबत सिर्फ की ताबों में थी, हकीकत जिन्दगी में नहीं
11:30वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
11:37असपर कराची से आया हुए एक जहीन, खुश मिजाज, नवजवान था जो अपने बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
11:45परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
11:55आइस्ता आइस्ता वो एक दूस्ते के करीब आने लगे, मगर दुने के अंदाज में इहतिराम और फासला बरकरार रहा
12:02आइस्पर ने के भी जलबाजी नहीं की, वो जानता था
12:05कि परवा एक रवायती कराने की बेटी है और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीजा सकरी है
12:12जब अस्पर ने अपने जजबात के इज़ार किया तो परवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
12:17मेरे दिल तुम्हारे साथ है, मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मर्जी से बंदे है
12:22अस्पर ने वादा किया कि वो इस रिष्ट को विजद से लेकर चलेगा
12:26कुछ महीने बाद अस्पर के वालदین रिष्टा लेकर कुहाड गये
12:30मगर फर्वा के वाले जुने बेटी के लिए खानादान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
12:36सखती से इंकार कर दिया
12:38इन के लिए शेहर के ललकी ललके बरवसे के काबिल ना थे
12:42फर्वा ने बाप के पेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया
12:47और अस्पर से राप्ता खतम कर दिया
12:48अस्पर ने बहुत कोशिश की
12:50मिन्नती की
12:52खत लिके मगर फर्वा ने कभी भी जवाब
12:55नहीं दिया
12:55तिन साल गुजर गए
12:58फर्वा अब एक स्कूल में टीचर थी
13:00और अंदर ही अंदर टूटी हुई थी
13:01एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजिक के तहत में हमानाया
13:05अस्पर जो अएक फलाही दारे का बानी बन चुका था
13:09दोनों की नज़रे मिले
13:11वक्त तम गया
13:11और अंको ने वो सब कह दिया
13:13जो जबान से कभी ना कहा गया
13:16इस बार अस्पर खामोश ना रहा
13:17इसने पर्वा के वाले से खुद बात की
13:20अपना किरदार, सपर और नियत वाजिख की
13:22ड्रामर सेरिल के हवाले से अपने राही की जहा
13:24लाजमी के मेंट के लिए साथ में हमरा एट्यूप का चेनल
13:27सब्सक्राब करना मत बूलिए
13:28थैंक्स पर वाचिंग, अलाहाफिज
13:30हलो वीवर्ज, इस ड्रामर सेरिल में आप देखेंगे
13:33पर्वा कुहाट के एक बाहिजाब, बाहिजद और श्रमीली लड़की थी
13:38जो लाहोर में यूनिवेस्टी की तालीम हासिल कर रही थी
13:41वो अपने दुनिया में मगन, सीधी साधी और खाबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
13:47इसके लिए महबबत सिर्फ की ताबों में थी, हकीकत जिन्दगी में नहीं
13:52वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
13:58असपर कराची से आया हुए एक जहीन, खुश मिज़ाज, नवजवान था जो अपने बातों, सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
14:06परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
14:16अईस्ता अईस्ता वो एक दूस्ते के करीब आने लगे, मगर दोने के अंदाज में इहतिराम और फासला बरकरार रहा
14:23असपर ने के भी जलबाजी नहीं की, वो जानता था
14:26कि परवा एक रवायती कराने की बेटी है, और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीच जा सकरी है
14:33जब असपर ने अपने जजबात के इज़ार किया, तो परवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
14:38मेरे दिल तुमारे साथ है, मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मरजी से बंदे है
14:43असपर ने वादा किया, कि वो इस रिष्टे की विजद से लेकर चलेगा
14:47कुछ महीने बाद असपर के वालदी रिष्टा लेकर कुहाट गए
14:51मगर फरवा के वाले जुन ने बेटी के लिए खनादान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
14:57सखती से इंकार कर दिया
14:59इनके लिए शेहर की ललकी, ललके बर्वसे के काबिल ना थे
15:03फरवा ने बाप के पेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया
15:07और असपर से रापता खतम कर दिया
15:09असपर ने बहुत कोशिश की, मिन्नती की, खत लिके
15:14मगर फरवा ने कभी भी जवाब नहीं दिया
15:16तिन साल गुजर गए, फरवा अब एक स्कूल में टीचर थी
15:21और अंदर ही अंदर टूटी हुई थी
15:22एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजेक्ट के तहत में हमाना आया
15:26असपर जो अब एक फलाही दारे का बानी बन चुका था
15:30दोनों की नज़रे मिले, वक्त तम गया
15:32और आंकों ने वो सब के दिया
15:34जो जबान से कभी ना कहा गया
15:36इस बानस पर खामूश ना रहा
15:38इसने फर्वा के वाले से खुद बात की
15:41अपना किरदार, सपर और नियत वाजिख की
15:43ड्रामर सेरिल के हवाले से अब नराही की जहा
15:45लाजमी के मेंट के लिए साथ में हमरा एट्यूप का चेनल
15:48सबस्क्राब करना मत बूलिए
15:49तेंस पर वाचिंग, अलाहाफिज
15:51हलो वीवर्ज, इस ड्रामर सेरिल में आप देखेंगे
15:54परवा कुहाट के एक बाहिजाब, बाहिजद और शर्मीली लड़की थी
15:59जो लाहोर में यूनिवेस्टी की तालीम हासिल कर रही थी
16:02वो अपनी दुन्या में मगन, सीधी, साधी और खाबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
16:08इसके लिए महबबत सिर्फ की ताबू में थी, हकीकत जिन्दगी में नहीं
16:13वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी
16:16जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
16:19असपर कराची से आया हुए एक जहीन, खुश मिजाज, नوجवान था
16:23जो अपने बातों सचाई और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
16:27परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
16:37ऐस्ता ऐस्ता वो एक दूसरे के करीब आने लगे, मगर दोने के अंदाज में इहतिराम और फासला बरकरार रहा
16:44असपर ने कभी जलबाजी नहीं की, वो जानता था
16:47कि परवा एक रवायती किराने की बेटी है और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीच जा सकरी है
16:54जब असपर ने अपनी जजबात के इजहार किया तो परवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
16:59मेरे दिल तुमारे साथ है, मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मरजी से बंदे है
17:04असपर ने वादा किया कि वो इस रिष्टे की विजद से लेकर चलेगा
17:08कुछ महीने बाद असपर के वालिदी रिष्टा लेकर कुहाट गए
17:12मगर फरवा के वालिद उन्हें बेटी के लिए खानदान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
17:17सखती से इंकार कर दिया
17:19इनके लिए शेहर की ललकी ललके बर्वसे के काबिल ना थे
17:24फरवा ने बाप के बेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया
17:28और असपर से रापता खतम कर दिया
17:30असपर ने बहुत कोशिश की मिन्नती की खत लिके
17:35मगर फरवा ने कभी भी जवाब नहीं दिया
17:37तिन साल गुजर गए फरवा अब एक स्कूल में टीचर थी
17:42और अंदर ही अंदर तूटी हुई थी
17:43एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजिक्ट के तहत महमान आया
17:47असपर जो अब एक फलाही दारे का बानी बन चुका था
17:51दोनों की नज़रे मिले वक्त तम गया
17:53और अंकों ने वो सब के दिया
17:55जो जबान से कभी ना कहा गया
17:57इस बार असपर खामोश ना रहा
17:59इसने फर्वा के वाले से खुद बात की
18:02अपना किर्दार, सपर और नियत वाजिख की
18:04ड्रामर सेल के हवाले से अपने राही की जहा
18:06लाजमी के मेंट के लिए साथ में हमरा एट्यूप का चेनल
18:08सबस्क्राब करना मत बूलिए
18:10तैंस पर वाचिंग, अला हाफिज
18:29सिर्प की ताबू में थी, हकीकत जिन्दगी में नहीं
18:33वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी
18:37जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
18:40असपर कराची से आया हुए एक जहीन, खुश मिजज, नौजवान था
18:44जो अपनी बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
18:48परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई
18:54और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
18:58अईस्ता अईस्ता वो एक दूसरे के करीब आने लगे
19:01मगर दूने के अंदाज में इहतिराम और फासला बरकरार रहा
19:05असपर ने के भी जल्बाजी नहीं की
19:07वो जानता था
19:08कि परवा एक रवायती कराने की बेटी है
19:11और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीच जा सकती है
19:15जब असपर ने अपनी जजबात के इज़ार किया
19:17तो फारवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
19:20मेरे दिल तुमारे साथ है
19:22मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मरज़े से बंदे है
19:25असपर ने वादा किया
19:26कि वो इस रिष्ट क्विजद से लेकर चलेगा
19:29कुछ महीने बाद असपर के वालदीन रिष्टा लेकर कुहाड गए
19:33मगर फारवा के वाले जुन्हें ने बेटी के लिए खानदान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
19:38सखती से इंकार कर दिया
19:40इनके लिए शेहर की ललकी ललके बर्वसे के काबिल ना थे
19:45फारवा ने बाप के पेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया और असपर से राप्ता खतम कर दिया
19:51असपर ने बहुत कोशच की मिन्नती की खत लिके मगर फारवा ने कभी भी जवाब नहीं दिया
19:58तिन साल गुजर गए फरवा अब एक स्कूल में टीचर थी और अंदर ही अंदर टूटी हुई थी
20:04एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजिक के तहत महमान आया
20:08असपर जो अब एक फलाही दारे का बानी बन चुका था
20:12दोनों की नज़े मिले वक्त तम गया और अंकों ने वो सब किह दिया
20:16जो जबान से कभी ना कहा गया
20:18इस बारस पर खामोश ना रहा
20:20इसने फरवा के वाले से खुद बात की
20:22अपना किरदार सपर और नियत वाजिख की
20:25ड्रामसल के हवाले से अब नराही की जहाला
20:42अपनी दुनिया में मगन सीधी साधी और खामों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
20:49इसके लिए महबत सिर्फ की ताबों में थी
20:52हकीकत जिन्दगी में नहीं
20:54वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी
20:58जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
21:00असपर कराची से आया हुए एक जहीन
21:03खुश मिजाज नौजवान था
21:05जो अपने बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
21:09परवा और असपर के तर्मियान
21:12पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
21:19अईस्ता अईस्ता वो एक दूस्ते के करीब आने लगे
21:22मगर दुने के अंदाज में थिराम और फासला बरकरार रहा
21:26असपर ने कभी जलबाजी नहीं की
21:28वो जानता था
21:29कि परवा एक रवायती किराने की बेटी है
21:32और इसके महबत सिर्फ इहतराम से जीज़ जा सकरी है
21:36जब असपर ने अपने जजबात के इज़ार किया
21:38तो परवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
21:40मेरे दिल तुमारे साथ है
21:42मेरे पेसले मेरे वालिद के मरज़े से बंदे है
21:45असपर ने वादा किया
21:47कि वो इस रिष्टे को विज़त से लेकर चलेगा
21:50कुछ महीने बाद असपर के वालदी रिष्टा लेकर कुहाट गए
21:54मगर फरवा के वाले जुन्हें बेटी के लिए
21:57खनादान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
21:59सखती से इंकार कर दिया
22:01इनके लिए शेहर की ललकी ललके बर्वसे के काबिल ना थे
22:06फरवा ने बाप के पेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया
22:10और असपर से रापता खतम कर दिया
22:12असपर ने बहुत कोशिश की मिन्नती की खत लिके
22:17मगर फरवा ने किभी भी जवाब नहीं दिया
22:19तिन साल गुजर गए फरवा अब एक स्कूल में टीचर थी
22:24और अंदर ही अंदर टूटी हुई थी
22:25एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजिक के तहत में हमानाया
22:29असपर जो अब एक फलाही दारे का बानी बन चुका था
22:33दोनों की नज़रे मिले वक्त तम गया
22:35और अंको ने वो सब किह दिया
22:37जो जबान से किभी ना कहा गया
22:39इस बार असपर खामोश ना रहा
22:41इसने फर्वा के वाले से खुद बात की
22:43अपना किर्दार, सपर और नियत वाजिख की
22:46ड्रामस असल के हवाले से अपने राही की जहा
22:48लाजमी के मेंट के लिए साथ में हमरा हीट्यूब का चेनल
22:50सबस्क्राब करना मत बूलिए
22:52थैंक्स पर वाचिंग, अलाहाफिजू
22:53हलो वीवर्ज, इस ड्रामस सेरिल में आप देखेंगे
22:57परवा कुहाट के एक बाहिजाब, बाहिजद और शर्मीली लड़की थी
23:02जो लाहोर में यूनिवेस्टी की तालीम हासिल कर रही थी
23:05वो अपने दुनिया में मगन सीधी साधी और खौबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
23:10इसके लिए महबबत सिर्फ की दाबों में थी, हकीकत जिन्दगी में नहीं
23:16वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
23:21असपर कराची से आया हुए एक जहीन, खुश मिज़ाज, नवजवान था जो अपने बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
23:30परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
23:40हैस्ता हैस्ता वो एक दूस्ते के करीब आने लगे, मगर दुने के अंदाज में इहतिराम और फासला बर करार रहा
23:47असपर ने के भी जलबाजी नहीं की, वो जानता था
23:50कि परवा एक रवायती कराने की बेटी है, और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीच जा सकरी है
23:57जब असपर ने अपनी जजबात के इजहार किया, तो फरवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
24:01मेरे दिल तुमारे साथ है, मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मरजी से बंदे है
24:06असपर ने वादा किया, कि वो इस रिष्टे की विज़त से लेकर चलेगा
24:11कुछ महीने बाद असपर के वालदीन रिष्टा लेकर कुहाट गए
24:15मगर फरवा के वाले जुन्हें ने बेटी के लिए खनादान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
24:20सखती से इंकार कर दिया
24:22इनके लिए शेहर की ललकी, ललके बर्वसे के काबिल ना थे
24:27फरवा ने बाप के पेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया
24:31और असपर से रापता खतम कर दिया
24:33असपर ने बहुत कोशच की, मिन्नती की, खत लिके
24:38मगर फरवा ने कभी भी जवाब नहीं दिया
24:40तिन साल गुजर गए, फरवा अब एक स्कूल में टीचर थी
24:44और अंदर ही अंदर टूटी हुई थी
24:46एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजेक्ट के तहत महमान आया
24:50असपर जो अब एक फलाही दारे का बानी बन चुका था
24:54दोनों की नजरे मिले, वक्त तम गया और आंकों ने वो सब के दिया
24:58जो जबान से कभी ना कहा गया
25:00इस बारस पर खामोश ना रहा
25:02इसने परवा के वाले से खुद बात की
25:04अपना किरदार, सपर और नियत वाजिख की
25:07ड्रामसल के हवाले से अब नराही की जहा लाजमी के मैंन के लिए साथ में हमरा एडिव का चेनल सब्सक्राब करना मत बूलिए
25:13तेंक्स पर वाचिंग, अलाहाफिज
25:14हलो वीवर्स, इस ड्रामसल सेरियल में आप देखेंगे
25:18परवा कुहाट के एक बाहिजाब, बाहिजद और शर्मीली लड़की ती
25:22जो लाहोर में यूनिवेस्टी की तालीम हासिल कर रही थी
25:26वो अपनी दुनिया में मगन सीधी साधी और खाबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
25:31इसके लिए महबब सिर्फ की ताबू में थी, हकीकत जिन्दगी में नहीं
25:37वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
25:42असपर कराची से आया हुए एक जहीन, खुश मिजाज, नवजवान था
25:46जो अपने बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
25:51परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
26:01ऐस्ता ऐस्ता वो एक दूस्ते के करीब आने लगे, मगर दोने के अंदाज में इहतिराम और फासला बर करार रहा
26:08असपर ने कभी जलबाजी नहीं की, वो जानता था
26:11कि परवा एक रवायती किराने की बेटी है और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीच जा सकती है
26:17जब असपर ने अपनी जजबात के इज़ार किया तो फारवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
26:22मेरे दिल तुमारे साथ है, मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मरजी से बंदे है
26:27असपर ने वादा किया, कि वो इस रिष्टे क्विजद से लेकर चलेगा
26:32कुछ महीने बाद असपर के वालदीन रिष्टा लेकर कुहाड गए
26:36मगर फारवा के वाले जुन्हें ने बेटी के लिए खनादान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
26:41सखती से इंकार कर दिया
26:43इनके लिए शेहर की ललकी, ललके बर्वसे के काबिल ना थे
26:48फारवा ने बाप के पेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया
26:52और असपर से राप्ता खतम कर दिया
26:54असपर ने बहुत कोशिश की, मिन्नती की, खत लिके
26:59मगर फारवा ने कभी भी जवाब नहीं दिया
27:01तिन साल गुजर गए, फरवा अब एक स्कूल में टीचर थी
27:05और अंदर ही अंदर टूटी हुई थी
27:07एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजिक्ट के तहत महमाना आया
27:11असपर जो अब एक फलाही दारे का बानी बन चुका था
27:15दोनों की नज़रे मिले, वक्त तम गया और अंको ने वो सब के दिया
27:19जो जबान से कभी ना कहा गया
27:21इस बारस पर खामुश ना रहा
27:23इसने फरवा के वाले से खुद बात की
27:25अपना किरदार, सपर और नियत वाजिख की
27:28ड्रामसल के हवाले से अपने राही की जहा लाजमी के मेंट के लिए साथ में हमरा हीडिव का चेनल सब्सक्राब करना मत गूलिए
27:34तैंस पर वाचिंग, अला हाफिज
27:35हेलो वीवर्स, इस ड्रामस सेरिल में आप देखेंगे
27:39परवा कुहाट के एक बाहिजाब, बाहिजद और शर्मीली लड़की ती
27:43जो लाहोर में यूनिवेस्टी की तालीम हासिल कर रही थी
27:46वो अपने दुनिया में मगन सीधी साधी और खाबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
27:52इसके लिए महबब सिर्फ की दाबों में थी, हकीकत जिन्दगी में नहीं
27:57वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
28:03असपर कराची से आया हुए एक जहीन, खुश मिजाज, नوجवान था
28:07जो अपने बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
28:11परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
28:22हैस्ता हैस्ता वो एक दूस्ते के करीब आने लगे, मगर दुने के अंदाज में इहतिराम और फासला बरकरार रहा
28:29असपर ने के भी जलबाजी नहीं की, वो जानता था
28:32कि परवा एक रवायती कराने की बेटी है और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीच जा सकती है
28:38जब असपर ने अपने जजबात के इज़ार किया तो परवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
28:43मेरे दिल तुमारे साथ है, मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मरजी से बंदे है
28:48असपर ने वादा किया कि वो इस रिष्टे की विजद से लेकर चलेगा
28:53कुछ महीने बाद असपर के वालदी रिष्टा लेकर कुहाड गए
28:57मगर फर्वा के वाले जुन्ह ने बेटी के लिए खनादान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
29:02सखती से इंकार कर दिया
29:04इनके लिए शेहर की लड़की बर्वसे के काबिल ना थे
29:09फर्वा ने बाप के बेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया
29:13और असपर से राप्ता खतम कर दिया
29:15असपर ने बहुत कोशिश की
29:17मिननती की
29:18खत लिके मगर फरवा ने कभी भी जवाब
29:21नहीं दिया
29:22तिन साल गुजर गए फरवा अब
29:25एक स्कूल में टीचर थी और अंदर ही अंदर
29:27टूटी हुई थी एक दिन
29:29स्कूल में एक फलाही प्राजिक्ट के
29:31तहत में हमानाया असपर
29:33जो अब एक फलाही दारे का बानी
29:35बन चुका था दोनों की नज़रे
29:37मिले वक्त तम गया और अंकों ने
29:39वो सब के दिया जो जबान
29:41से कभी ना कहा गया इस बार
29:43असपर खामोश ना रहा इसने
29:45परवा के वाले से खुद बात की
29:46अपना किरदार सपर और नियत
29:48वाजिख की ड्रामसल के हवाले से अपने राही की
29:51जहालाजमी के मिन के लिए साथ में हमरा
29:52एट्यूप का चेनल सबस्क्राफ करना मत बूलिए
29:55थैंक्स पर वाचिंग अला हाफिज
29:56हेलो वीवर्स इस ड्रामस सीरिल में आप देखेंगे
30:00परवा कुहाट के एक बाहिजाब बाहिज़त और शर्मीली लड़की थी
30:04जो लाहोर में यूनिवेस्टिक की तालीम हासिल कर रही थी
30:07और वो अपनी दुनिया में मगन सीधी साधी और खौबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
30:13इसके लिए महबबत सिर्फ की ताबू में थी
30:15हकीकत जिन्दगी में नहीं
30:18वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी
30:22जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
30:24असपर कराची से आया हुए एक जहीन
30:26खुश मिजाज नौजवान था
30:28जो अपने बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
30:32परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
30:42अईस्ता अईस्ता वो एक दूस्ते के करीब आने लगे
30:46मगर दूने के अंदाज में इहतिराम और फासला बरकरार रहा
30:49असपर ने कभी जलबाजी नहीं की वो जानता था
30:53कि परवा एक रवायती किराने की बेटी है
30:56और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीच जा सकरी है
30:59जब असपर ने अपने जजबात के जहार किया
31:02तो परवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
31:04मेरे दिल तुमारे साथ है
31:06मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मरज़े से बंदे है
31:09असपर ने वादा किया
31:11कि वो इस रिष्टे को विजद से लेकर चलेगा
31:14कुछ महीने बाद असपर के वालदी रिष्टा लेकर कुहाट गए
31:18मगर फरवा के वाले जुन्हने बेटी के लिए खानदान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
31:23सखती से इंकार कर दिया
31:25इनके लिए शेहर की ललकी ललके बर्वसे के काबिल ना थे
31:30फरवा ने बाप के बैसले के दिल पर फत्तर रख कर कबूल कर लिया
31:34और असपर से राप्ता खतम कर दिया
31:36असपर ने बहुत कोशिश की
31:38मिन्नती की
31:39खत लिके मगर फरवा ने कभी भी जवाब
31:42नहीं दिया
31:43तिन साल गुजर गए फरवा अब
31:46एक स्कूल में टीचर थी और अंदर ही
31:48अंदर टूटी हुई थी एक दिन
31:50स्कूल में एक फलाही प्राजिक के
31:52तहत में मानाया असपर
31:54जो अब एक फलाही दारे का बानी
31:56बन चुका था दोनों की नज़रे
31:58मिले वक्त तम गया और अंकों ने
32:00वो सब के दिया जो जबान
32:02से कभी ना कहा गया इस बार
32:04असपर खामोश ना रहा इसने
32:06पर्वा के वाले से खुद बात की
32:07अपना किरदार सपर और नियत वाजिख की
32:10ड्रामस रिल के हवाले से अपने राई की जहा
32:12लाजमी के मेंट के लिए साथ में हमरा
32:13एट्यूप का चेनल सब्सक्राब करना मत बूलिए
32:16तैंक्स पर वाचिंग अला हाफिज
32:17हलो वीवर्ज इस ड्रामस सेरिल में आप देखेंगे
32:21पर्वा कुहाट के एक बाहिजाब बाहिज़त और शर्मीली लड़की थी
32:25जो लाहोर में यूनिवेस्टी की तालीम हासिल कर रही थी
32:28वो अपने दुनिया में मगन सीधी साधी और खौबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
32:34इसके लिए महबबत सिर्फ की ताबों में थी
32:36हकीकत जिन्दगी में नहीं
32:39वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी
32:43जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
32:45असपर कराची से आया हुए एक जहीन
32:47खुश मिजाज नुजवान था
32:49जो अपने बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
32:53परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
33:03अईस्ता अईस्ता वो एक दूस्ते के करीब आने लगे
33:07मगर दोने के अंदाज में इहतिराम और फासला बरकरार रहा
33:10असपर ने कभी जल्बाजी नहीं की वो जानता था
33:14कि परवा एक रवायती कराने की बेटी है
33:17और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीजा सकरी है
33:20जब असपर ने अपनी जजबात के इज़ार किया
33:23तो परवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
33:25मेरे दिल तुमारे साथ है
33:27मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मरजे से बंदे है
33:30असपर ने वादा किया
33:32कि वो इस रिष्टबू इवजड़ से ले कर चलेगा
33:34कुछ महीने बाद असपर के वालदीं रिष्टा लेकर कुहाट गए
33:39मगर फरवा के वाले जुन्ह ने बेटी के लिए खनादान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
33:44सखती से इंकार कर दिया
33:46इनके लिए शेहर की ललकी ललके बर्वसे के काबिल ना थे
33:51फरवा ने बाप के बेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया
33:55और असपर से रापता खत्म कर दिया
33:57असपर ने बहुत कोशिश की मिन्नती की खत लिके
34:01मगर फरवा ने कबी भी जवाब नहीं दिया
34:04तिन साल गुजर गए फरवा अब एक स्कूल में टीचर थी
34:08और अंदर ही अंदर टूटी हुई थी
34:10एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजेक्ट के तहत महमाना आया
34:14असपर जो अब एक फलाही दारे का बानी बन चुका था
34:17दोनों की नज़रे मिले वक्त तम गया
34:20और अंको ने वो सब के दिया
34:22जो जबान से कभी ना कहा गया
34:24इस बार असपर खामोश ना रहा
34:26इसने परवा के वाले से खुद बात की
34:28अपना किरदार, सपर और नियत वाजिख की
34:31ड्रामस से के हवाले से अब नराही की जहा
34:33लाजमी के मैंन के लिए साथ में हमरा एट्यूब का चेनल
34:35सबस्क्राब करना मत बूलिए
34:37तेंस पर वाचिंग, अलाहाफेज
34:38हेलो वीवर्ज, इस ड्रामस सेरिल में आप देखेंगे
34:41परवा कुहाट के एक बाहिजाब, बाहिजद और शर्मीली लड़की थी
34:46जो लाहोर में यूनिवेस्टी की तालीम हासिल कर रही थी
34:49वो अपनी दुन्या में मगन सीधी साधी और खाबों के दिल में चुपा
35:08खुश मिजाज नौजवान था जो अपने बातों सचाय और शायस्तेगी से सब को मतासिर कर लेता था
35:14परवा और अस्पर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई और वो चन्द लबजों के तबादला दिल में गर गया
35:24ऐस्ता ऐस्ता वो एक दूस्ते के करीब आने लगे मगर दोने के अंदाज में इहतराम और फासला बर करार रहा
35:31अस्पर ने कभी जलबाजी नहीं की वो जानता था
35:35कि परवा एक रवायती किराने की बेटी है और इसके महबत सिर्फ इहतराम से जीच जा सकरी है
35:41जब अस्पर ने अपनी जजबात के इजहार किया तो फारवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
35:46मेरे दिल तुमारे साथ है मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मरजी से बंदे है
35:51अस्पर ने वादा किया कि वो इस रिष्टे की विज़त से लेकर चलेगा
35:55कुछ महीने बाद अस्पर के वालदीन रिष्टा लेकर कुहाड गए
36:00मगर फरवा के वाले जुन्हें ने बेटी के लिए खानदान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
36:05सखती से इंकार कर दिया
36:07इनके लिए शेहर की ललकी ललके बर्वसे के काबिल ना थे
36:12फरवा ने बाप के पेसले के दिल पर फत्तर रखकर कबूल कर लिया
36:16और अस्पर से राप्ता खत्म कर दिया
36:18अस्पर ने बहुत कोशिश की मिन्नती की
36:21खत लिके मगर फरवा ने कभी भी जवाब नहीं दिया
36:25तिन साल गुजर गए फरवा अब एक स्कूल में टीचर थी
36:29और अंदर ही अंदर टूटी हुई थी
36:31एक दिन स्कूल में एक फलाही प्राजिक के तहत महमाना आया
36:35अस्पर जो अब एक फलाही दारे का बानी बन चुका था
36:38दोनों की नज़रे मिले वक्त अम गया
36:41तारान को ने वो सब के दिया
36:42जो जबान से कभी ना कहा गया
36:45इस बरस पर खामोश ना रहा
36:47इसने फरवा के वाले से खुद बात की
36:49अपना किरदार सपर और नियत वाज़िख की
36:52ड्रामर सेरिल के हवाले से अब नराही की जहालाजमी के मेंट के रिए
36:55साथ में हमरा हेड़िव का चेनल सबस्क्राब करना मत बूलिए
36:58थैंक्स पर वाचिंग अलाहाफिज
36:59हेलो वीवर्स इस ड्रामर सेरिल में आप देखेंगे
37:02परवा कुहाट के एक बाहिजाब
37:05बाहिज़त और श्रमीली लड़की थी
37:07जो लाहूर में यूनिवेस्टी की तालीम हासिल कर रही थी
37:10और वो अपने दुन्या में मगन सीधी साथी और खाबों के दिल में चुपा कर रखने वाली थी
37:16इसके लिए महबबत सिर्फ की दाबों में थी
37:18हकीकत जिन्दगी में नहीं
37:20वो कभी किसी से दिल लगाने का सोच भी नहीं सकती थी
37:25जिब तक उसकी मुलागाद असपर से ना हुई
37:27असपर कराची से आया हुए एक जहीन
37:29खुश मिज़ाज नौजवान था
37:31जो अपने बातों सचाय और शायस्तगी से सब को मतासिर कर लेता था
37:35परवा और असपर के तर्मियान पहली बार एक ग्रूप साइमेंट में बात हुई
37:41और वो चन्द लबजों का तबादला दिल में गर गया
37:45अईस्ता अईस्तभ वो एक दूस्ते के करीब आने लगे
37:49मगर दोने के अंदाज में इहतिराम और फासला बरकरार रहा
37:52असपर ने कभी जलबाजी नहीं की वो जानता था
37:56कि परवा एक रवायती कराने की बेटी है
37:58और इसके महबत सिर्फ इहतिराम से जीच जा सकरी है
38:02जब असपर ने अपने जजबात के इज़ार किया
38:04तो परवा ने खामोशी से सिर्फ इतना कहा
38:07मेरे दिल तुमारे साथ है
38:09मगर मेरे पेसले मेरे वालिद के मरजी से बंदे है
38:12असपर ने वादा किया
38:14कि वो इस रिष्ट को इज़त से लेकर चलेगा
38:16कुछ महीने बाद असपर के वालदीन रिष्टा लेकर कुहाट गए
38:21मगर फरवा के वाले जुन हैंने बेटी के लिए खनादान में ही किसी को पसंद किया हुआ था
38:26सखती से इंकार कर दिया
38:28इनके लिए शहर की ललकी ललके बर्वसे के काबिल ना थे
38:33फरवा ने बाप के पेसले के दिल पर फ्टर रखकर कबूल कर लिया
38:37और अस्पर से राप्ता खतम कर दिया
38:39अस्पर ने बहुत कोशिश की
38:41मिन्नती की
38:42खत लिके मगर फरवा ने के भी भी जवाब
38:45नहीं दिया
38:46तिन साल गुजर गए फरवा

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