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रेलवे पास और प्रमाण पत्रों पर अब ससम्मान लिखा जाएगा दिव्यांगों का नाम. मानसिक रूप से कमजोर विकृत की जगह लिखा जाएगा बौद्धिक अक्षमता.

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Transcript
00:00Railway dara dhivyan jama ko railway concession diya jata hai
00:04मैंने जब अपनी बेटी के लिए concession apply किया
00:07और जब concession card बंग कर आया
00:10तो उस पर एक शब्द लिखा था मानसी को कहती
00:13और इस शब्द ने मुझे ज़क्जोर दिया
00:16कि क्या समाज और इतना बड़ा rail विवाग
00:21जहां प्रदान मंत्री जी दिव्यांजन शब्द देते हैं
00:25और वो इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करेगा
00:27मैंने नीचे से लेकर railway board की chairman तक को लिखा
00:32लेकिन किसी की तरफ से कोई कारवाई नहीं
00:35मजबूरन मुझे मुझे मुझे दिव्यांजन भारत सरकार की
00:41नियायले में एक केस दायर करना पड़ा
00:44और उस केस में भी railway ने पहली hearing में यह लिख कर दिया
00:49कि हम इस मानसिक विक्रती को change नहीं कर सकते
00:54यह और भी ज़्यादा दुद्दा ही था
00:56उसके परश्चार चुकि एक केस मेंने सुए लड़ा
01:00मैं खुद दिव्यांजन अधिकार अधिनियम 2016 जो बना हुआ है
01:05जिसे संसद्न पारित किया है और जो दिव्यांगों के सम्मान के लिए बना है
01:11उसकी विबिन धराओं को लेखित करते हुए
01:14और साथी सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग्स और उनके निर्णेयों को उध्गरत करते हुए
01:20मैंने नियायले से अपील की कि वह रेलवे बोर्ड को इसके लिए आदेशिक करें
01:25मुझे खुशी है कि दिव्यांजन आयुक मानी एस गोविंदराग जी ने
01:33खाली में एक ओर दिया और उस ओरर के कुछ दिन पुर उन्होंने रेलवे को कहा था कि वो एक महीने में इस प्रकार का निर्णे ले और इन शब्दों को चेंज करें
01:45रेलवे ने नया सर्कुलर जारी करके अब मानसिक विक्रती शब्द को हटा कर बुद्धिक दिव्यांज शब्द एक जून से उपयोग में लाना शुरू किया है
01:57निश्यत रूप से मैं यह मानता हूँ कि शब्दों से भाव, भाव से विचार, विचार से व्यवार, व्यवार से कर्म, कर्म से संसकार और संसकार से व्यक्तित बनता है
02:13अगर व्यक्तित के अंदर दिव्यांज जनों के प्रती संमान की भावना आ जाए, हर व्यक्ति यह मानने लगे, तो हमारे सारे साथ करोड दिव्यांज जनों को निश्यत रूप से इस देश में संमान मिलेगा और वे हक के साथ, संमान के साथ अपना जीवन व्यतीत कर सकें

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