राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS Chief) प्रमख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने मौजूदा इतिहास (History) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हमने जो इतिहास (History) पढ़ा है वो हमें मालूम है, जो इतिहास (History) पढ़ाया जाता है वो पश्चिमी सोच (Western View) के हिसाब से है। हमारे देश में पाठ्यक्रम बदलने की बात हो रही है, लेकिन वो जब होगा,तब होगा। भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि अभी देश में पाश्चात्य दृष्टिकोण (Western View) का इतिहास पढ़ाया जाता है। उनके हिसाब से भारत (india) को है ही नहीं। दुनिया के नक्शे में तो भारत (india)दिखाई देता है लेकिन विचारों में कहीं भारत (india)नहीं होता है, आपको चीन (china),जापान (japan) मिल जाएंगे लेकिन भारत (india) नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि चर्चाएं केवल समस्याओँ की ही चलती हैं और विश्व समस्याओं से घिरा हुआ है। मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि समस्याओं को लेकर प्रयास भी हुए लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई हैं। मनुष्य ने सुख के कई सारे साधन ढूंढ लिए लेकिन दुख अब भी खत्म नहीं हुआ..दुनिया में हर आदमी का अपना दुख है।
00:00तो हमको इतना इतिहास मालूब है, इतिहास पढ़ाया जाता है प्रस्चिन से, अभी अपने देशने पक्षक्रम बजल रहे ऐसा सुन रहा है, इतिहास वो पढ़ाया जाता है, तो सामान्यता उनके हिसाब में भारत तो है, दुनिया के नक्षे में उनके भारत दिखाई देत
00:30जिन्यांई लुगों की संच्छा बहुत बढ़ी ए शाक्षर जोड है, सुशिक्षिल को कितना है पता नहीं है, और सुशिक्षिल की बढ़ गये लोगे विगे तुन तुन कितना है पता, अमस्याओं की चर्चा ज्यादा नहीं करने चाहिए, उसका लाब नहीं होता है, माथ
01:00लोगों की बात सुनेंगे, तो चर्चाएं समस्याओं की ही चलते हैं. और विशय में भी है विश्वा की समस्या, इसलिए मैं समस्याओं से प्रारंब कर रहा हूं. अंजे स्वयाम को समस्याओं की चर्चा ज्यादा पसंद नहीं आती है।
01:22उपाय क्या करना यह तै करने के लिए जितनी चर्चा करना उतनी प्रयाप्त रहे लेकिन विश्व समस्याओं से गिरा है चर्चा का एक करण ये भी होगा
01:34कि हम आदोनी क्यूग में यहां बैठे हैं तो हमको जितना इतिहास मालूम है
01:44इतिहास पढ़ाया जाता है पस्चिन से अभी अपने देश के पठेकरम बदल रहे सा सुन रहा हूं जबाएंगे तबाएंगे लेकिन तब तक तो जो पुरना पठेकरम है पाश्चात्यों की दृष्टी से इतिहास वो पढ़ाया जाता है तो वो सामान्यता उनके हिसाब में
02:14दिखाई देता है भूगोल में लेकिन विचार में कही भारत में होता पुस्तकों को को भी देखे उसमें सब मिलेगे चीन मिलेगा जापान मिलेगा भारत नहीं मिलेगा लेकिन उस इतिहास में जिन समस्या मुरू को लेकर मनुष्य के प्रयत्न हुए दोहजार साल तक हु�
02:44प्रयत्नों तो हुए और तरह-तरह के हुए यह ठीक नहीं हुआ तो बदलके दूसरा हुआ
02:51और सब पर्याय ढूनके प्रयास हुए उसके कुछ-कुछ परणा हुए लेकिन समस्या जौकी त्यों है
03:01तो विश्वकी समस्याओं का विचार करते हैं तो वो समस्याओं की
03:07लिस्ट दोजार वर्षा पुरानी है वो अपनी व्यक्तिकत समस्या हो घर-परिवार के समस्या हो
03:16राष्ट्री या समस्या हो या जावितिक समस्या हो एक एक सूची करेंगे तो कागज भी पूरा नहीं पड़ेगा
03:26परन्तु मोटा मोटी ऐसे दिखता है कि पहली समस्या है दुख
03:36मुनस्य दुखी है दुख दूर करने के उपाय हुए के नहीं हाँ बिलकुल हुए और कुछ परड़ाम हुए भी अब विज्ञार इतना प्रगत हुआ है
03:55तो सारा सुकरपुर्व कही होता है सो साल पहले यहां हम होते और मुझे यह भाशन करना पड़ता तो यह नहीं था तिलक जी के ओगर भाशन जो पहले पहले पहले होते थे बाद में लौड़ स्पिकर आ गया तिकि उसके पहले दस-दस हजार की सभा में वक्ता को चिल्ला-
04:25परिश्रम करके बोल नहों तो आज भी दस मिनिट में समावत करें अभी मुझे एक गंटा रखा है भाशन के पर अइसी सुविधाय सब मापदों में आ गई है इदर से उदर जाना है कहां लोग पदयात्रा विशिस्त तो ही है पहले सारी दुनिया में पदयात्रा ही करनी �
04:55कि दो दिन कहां गए जब यह अमरिका जाके आया है ऐसा अगमी सिधा कहता है तो विज्यार आया है तो सुखो सुविधा बहुत बढ़ी है प्रयाज ले उसके कारण सुखह बढ़ा लेकिन दुख गया नहीं दुखह अभी भी है कौन दुखी नहीं है आप प्रयोग करकी �
05:25को वहां तक सब को पूछी है सुखी हो ना तो सब लोग अपना अपना दुख बताएं गया तो यह क्या चीज़ है वाई इतना सुख निर्मान किया दुख वैसा कर दूसरी समस्या जो तब भी थी आज भी है चर्चा होती है वो है कलभ
05:461950 में मेरा जन्म हो रहा हूँ तब से आज तक एक-एक साल देखता हूँ तो कोई साल ऐसा नहीं है जहां दुनिया में कही ने कही किसी के आपस में लड़ाई चल रही हो
06:05सर्वत्र कला है कला से नुकसान होता है कला से रक्तपात होता है जीवों की आनी होती है माल अजबाब सारा समाप्त हो जाता है वोगर वगर सब को पता है अनुगों कितने बार ले चुके है
06:29पहला महा युद्ध के बाद पुस्तके लिखी गई फेरोल टो आंस
06:34आल कॉइट ओन वेस्टरन फ्रंट सारा शांती की वकलत करने वाली पुस्तके उत्तम उत्तम साहित थे उत्तन हुआ
06:43फिर से जुद्धन हो इसले लिग ऐफ नेशन्स हो गई लेकिन दुसरा मायद्ध हो औरदुसरा मायद्ध होने के बाद लिग ऐफ नेशन्स की यू नो बन गई