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  • 7/22/2025
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द हंट वेब सीरीज़ में देखिए कैसे CBI ने 90 दिन में राजीव गांधी के हत्यारों को ढूंढ निकाला। Sony LIV की यह सीरीज़ सच्ची घटनाओं पर आधारित एक थ्रिलर कहानी है।

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Transcript
00:00नुवस्कार, आज हम एक वेब सीरीज की तह तक जा रहे हैं जिसने हाली में काफी ध्यान कीचा है, The Hunt, The Rajiv Gandhi Assassination Case, ये सोनी लिव पर है
00:08जी, और ये सीरीज पत्रकार अनिरुध मुत्रा की किताब 90 Days पर आधारित है
00:14हाँ, और ये दिखाती है उस 90 दिनों की जबरदस्त जाच को, जो 21 मई 1991 के बाद हुई
00:21बिलकुल, जब श्री पेरंबदूर में पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी की हत्या, वो LTT की आत्मघाती हमला वरनी की थी
00:30तो आज इसी पर बात करेंगे कि ये सीरीज उस जाच को कैसे पेश करती है
00:34चलिए शुरू करते
00:35तो सीरीज का जो सेंट्रल पॉइंट है, वो CBI की स्पेशल इन्वेस्टिकेशन टीम, मतलब SIT है
00:41और उसे लीड कर रहे थे DR कार्तिकेन, अमित सियाल ने उनका रोल किया है
00:45वर सबसे दिल्चस बात शायद ये है कि ये उस दौर की कहानी है जब भारत में आज जैसी टेकनोलजी नहीं थी
00:51बिल्कुल, यही तो इसे खास बनाता है, मतलब सोचिये कोई मोबाइल ट्रैकिंग नहीं, कोई धेरो CCTV फुटेज नहीं
00:59हाँ, जाँच पूरी तरह से मैनुवल थी, जमीनी काम, लोगों से पूछ ताच
01:03और अलग-अलग एजिंसियों के बीच तालमेल बैठाना, वो भी भारी राजनीतिक और पब्लिक प्रेशर के बीच
01:10और फिर वो कैमरा वाली बात
01:12हाँ, वो तो कमाली था, मतलब हमलावर का कैमरा बज गया और उसमें तस्वीरे मिल गई
01:18धानू की, शिवरासन की
01:20जी, ये एक बहुत बड़ा ब्रेक्थ्रू था, वरना शायद जाच कहीं और ही अटक जाती
01:25अच्छा, सीरीज के डिरेक्शन के बात करें, नागेश कुकुनूर ने डिरेक्ट किया है
01:28तो कैसा बैलेंस है तत्थ्यों और ड्रामे की बीच, कुछ लोग कहरें शुरू में थोड़ी धीमी है
01:33हाँ, देखिये, बैलेंस बनाने की कोशिश तो है, शुरू में शायद अपनी लै पकड़ने में थोड़ा वक्त लेती है
01:39अब वो हिंदी तमिल मिग्स डायलोग्स, वो कैसा लगता है
01:43वो असल घटना की सच्चाई दिखाने की कोशिश हो सकती है, हाला कि कार्तिकेन खुद तमिल भाशी है, पर सीरीज में वो ज्यादा तर हिंदी बोलते हैं, तो ये एक क्रियेटिव चॉइस है
01:54अब आते हैं जांच के तरीके पर, सीरीज में दिखाया गया है कि S.I.T. पर प्रेशर बहुत ज्यादा था
01:59लबरतस प्रेशर था, एक डायलोग भी है ना, हम इसे कैनेडी असासिनेशन नहीं बनने देंगे, मतलब अरजनसी साफ दिखती है
02:07और वो मुश्किल पहलो भी दिखाती है, जैसे हिरासत में सक्ती
02:10हाँ वो दिखाती है कि कैसे, मतलब हालात मुश्किल थे, मुख्य साजिश करता जैसे वो एक आख वाला शिवरासिन पकड़ में नहीं आ रहा था
02:19शफीक मुस्तफा ने निभाया इसका रोल
02:21जी, तो वो हताशा में शायद कुछ ऐसे तरीके भी अपनाए गए, जो आज सवाल खड़े कर सकते हैं
02:28हिरासत में मारपीट या धमकी देना, सीरीज इसे दिखाती है
02:32लेकिन ये भी है कि सीरीज इसे बहुत ज़ादा संसनी खेज नहीं बनाती है ना
02:36सही कहा, वो एक हद तक एक दूरी बनाए रखती है
02:40जैसे तमिल नाडु में LTE को लेकर जो भावनाय थी या नेताओं की भूमिका पर जो सवाल उठे थे, उन पर ज़ादा फोकस नहीं है
02:47हाँ, वो उन विवादित गलियों में जादा नहीं जाती, फोकस जांच प्रक्रिया पर ही रखा गया है
02:52वो एक डायलोग है ना, एक व्यक्ति का नायक, दूसरे का आतंकवादी होता है
02:56शायद ये उसी जटिलता को छूने की कोशिश है
02:58हो सकते है, मतलब मेकर्ज ने शायद तैक किया कि वो जांच की कहानी कहेंगे, राजनीतिक दावपेच की नहीं
03:07अमित सियाल ने कार्थिकेन के किरदार को बहुत कह सकते हैं सधे हुए तरीके से निभाया है
03:16शांत, फोकस लेकिन अंदर एक दृड़ता है
03:19हां, वो दिखता है
03:20और सीरीज सिर्फ S.I.T. नहीं, बलकि दूसरी तरफ, मतलब शिवरासन और उसके साथियों के बीच की जो वफादारी या एक जुटता थी, उसे भी थोड़ा दिखाती है
03:30इसे रिव्यूज तो काफी अच्छे मिलें
03:32तारीफ हुई है इसकी कहानी कहने के तरीके की रिसर्च की
03:36जी हां, कि ये बिना जादा मेलोड्रामा के एक गंभीर विशय को सलीके से पेश करती है
03:41तो जो लोग देखना चाहें, ये सोनी लिव पर उपलब्ध है
03:44जी, साथ एपिसोड्स है
03:46और कई भाषाओं में
03:47हां, हिंदी ओरिजनल है, पर तमिल, तेलगू, मल्यालम, बेंगॉली डबिंग भी है
03:52हां, और इंग्लिश सब्टाइटल्स भी
03:53रेटिंग यूए 13 प्लस है
03:55तो कुन मिलाकर कह सकते हैं कि
03:57दहंट एक जटिल जाँच का काफी
03:59डीटेल और संजीदा चित्रन है
04:01बिल्कुल, ये क्या हुआ से
04:04जादा इस पर ध्यान देती है
04:05कि जाँच कैसे हुई
04:07वो भी बिना शोर शराबे के
04:08हाँ, और ये सिर्फ एक केस की कहानी नहीं है
04:11ये उस दौर का भी एक अक्स है
04:14डिजिटल यूग से पहले जाँच कैसे होती थी
04:17कितना दबाव होता था
04:19सही बात है
04:20मानविय सूजभूज, धैर्य और जमीनी हकीकत पर निर्भरता
04:24बिल्कुल
04:24ये शायद सोचने पर मजबूर करती है
04:27कि आज के दौर में
04:29इतनी तकनीक के साथ
04:30क्या ऐसी जाँच इसी तरह होती
04:32या नतीजे कुछ अलग होते
04:34एक दिल्चस्प सवाल है

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