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संविधान की प्रस्तावना में 'सेक्युलर' शब्द पर सियासी घमासान! देखें दंगल
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00:00नमस्कार मैं हूँ साहिल जोशी और आप देख रहे हैं Political Stock Exchange
00:04और आज का मुद्दा सीधे देश के सविधान की आत्मा से जुड़ा है
00:09सवाल सिर्फ इतना है कि क्या सविधान से सेक्यूलर और सोशलिस्ट याने धर्म निर्पेक्ष और समाजवादी जैसे शब्दों को हटाने की वकालत सविधान के शुद्धी है या फिर वैचारिक सत्ता की स्थापना की पहली सीड़ी
00:23देश की सबसे बड़ी सांस्कृतिक संगटन माने जाने वाली राश्ट्रियस सिवक संग यानि आरेसस ने एक बार फिर यह वैचारिक बहस छेड़ दी इस बार बांग है कि सविधान की मूल प्रस्तावदा लागू करने की अमाज़ इस संग की सापताहिक पत्रिका और्ग
00:53जिनका असली उद्देश था धार्मिक मुल्यों को कमजोर करना और राजनेतिक तुष्टी करन को बढ़ावा देता है। इस लेक में दोनों शब्दों को हटाने की मांग एक बार फिर की गई और संविधान की मूल प्रस्तावना को बहाल करने की भी मांग की गई अब आप
01:23मुद्दों को सम्विधान की प्रस्तावना से हटा देना चाहिए। उदर कॉंग्रेस ने भी इन सभी मुद्दों को लेकर अपना मोर्चा खोल दिया। कॉंग्रेस का कहना है कि राज्यसभा सांसर जैराम रमेश दरसल संग पर इस पुद्दे को लेकर सीधा निशाना सा�
01:53और नहरू के विचारों का अपमान है या भार्तिय परंपरा का सम्मान। और आज की डिबेट में हमारे साथ कॉंग्रेस, बीजेपी, संग्विचारक, सम्विधानिक जानकार और धर्म दिरफिक्षिता के पक्ष पक्ष में खड़े राज्मितिक योद्धा भी खड़े है
02:23जिनका सीधे जनता ने जवाब दिया।
02:53तो क्या वर रहनी थे रस्तावना में विचार हुने तवी खड़े है
03:00The RSS never accepted this constitution of India and its foundational pillars of social justice, economic justice, political justice, saying that this constitution did not derive inspiration from the ideals of Manu.
03:13It was not based on Manu's smrti. I would just make a request to him, just take a few minutes, take the trouble of reading this judgment of the Supreme Court.
03:23Given by the Chief Justice, the then Chief Justice, Sanjeev Kanna.
03:27मैं सवाल कर रहा चारी हूँ आजादी के इसमें आप कहा थे। जब समविदान बन रहे थे आपने कुछ सला दिया था क्या।
03:36कौन सी सला दिये थे। आपने कभी पढ़ा समविदान। आप समविदान समझते हैं।
03:43अगर समविदान समझते हैं तो आज के दिन यह जो हो रहा है देश भर में इसके बारे में आप समझाईए मुझे।
03:52देखो यह RSS के यह है इनको आधी से कम जानकारी होती है और इधर उधर की बात करने की पुरानी आदत है।
03:58कि सततर में जब जनता पार्टी की सरकार आई थी तो जनसंग जनता पार्टी के हिस्से में था।
04:0342 बात संशोजन जो हुआ था उसकी कई चीज़ें उन्होंने चेंज की तो उसमें सेकुलर्स बॉर्ड आप चेंज कर देते हैं।
04:10आपकी तो सरकार थी, क्यों नहीं चेंज किया।
04:12तो एक बार फिर और्गनाइजर में जो लेक छपाया और उसके बार जो हमने जनता से सवाल पूछें।
04:18उन सारे मुद्दों पर हम अब अपने गेस्ट के साथ हमारे साथ जो महमान जुड़ चुके उनके साथ में चर्चा शूरू करेंगे।
04:24करेंगे हमारे साथ में डॉक्टर राजे आलोग प्रवक्ता है भारती जनता पार्टी के वो जूड़ रहे हैं,
04:28नीरज मिश्रा, कॉंग्रेस के प्रवक्ता भी इस चर्चा में शामिल हो रहे हैं, कॉंग्रेस की तरफ से साफ शब्दों में का गया है कि ये सम्विधान का धाचा बदलने की कोशिश मानी जा सकती है
04:37दॉक्तर जीके इंडर कुमार प्रवक्ता है जनतादल युनाटेट के समाजवाद के नाम पर जो पार्टिया बनी है उनको वो इस डिबेट में हिस्सा लेते हुए उनकी मुखालपत करेंगे
04:48आशितोष हमारे साथ जुड़े है पॉलिटिकल अनलिसिस अनलिस्ट प्रोफेसर संजे कुमार को डिरेक्टर है CSDS की और सिफलोजिस्ट भी है
04:55वो भी इस च zaphla में शामिल होंगे और चरचा शुरू करने के पहले यहारे संख की जो मांग है खास करके
05:02और और और्गयाईजर में अध्तात्र भेतले के बयान के बाद जो उन्होंने मांग एक बार फिर दाहरा ही है और और्गयाईजर में ऊस मांग को लेकर हमने
05:11जनता से भी कुछ सवाल पूछें कि जनता के जो जवाब आए उसको लेकर हम इस डिबेट की शुरुआ करें हमने लोगों से क्या सवाल पूछें हमने पूछा कि इन सवालों के नतीजे और सवाल आपके सामने हम पहले रखेंगे उसके बाद कितने फीज़नी लोग क्या कहते
05:41प्रियबल पढ़ाया जाता है प्रस्तावना पढ़ाई जाती है तो क्या आपने ये पढ़ा था क्या तो आप देख सकते हैं स्क्रीन पर विपक्ष के 40.8 प्रतिशत लोगों ने कहा कि हमने ये प्रस्तावना पढ़ी है जो इंडिये के समर्थक है उन में से 45.2 प्रतिशत �
06:11है हम नहीं पढ़िए प्रस्तावना पढ़िए हूए भिर सदोन ये नहीं ही पढ़ आएव य� bringt कि नहीं पढ़िए कि नहीं पढ़िए यह connects लोग है यह यह कहने वाले लोग
06:33लेकिन उनकी संख्या काफी कम है
06:55दूसरा सवाल जो हमने जनता को जाकर पूछा
06:57कि क्या आप जानते हैं कि धर्मन निर्पेक्षन और समाजवाज शब्द प्रधान मंतरी इंदीरा गांधी ने आपात काल के दौरान प्री एंबल में जूड़े थे
07:09त्यूंकि प्रस्तावना में ये शब्द पहले नहीं थे और आपात काल के दौरान 1976 में ये शब्द जोड़े गए थे लेकिन क्या ये लोगों को पता है ये भी हमने उनको पूछा तो जो विपक्ष में इंडिया अलाइंस से जोड़े लोग हैं उनमें से 33.3% एक परसेंट �
07:39हमें पता है कि ये आपात काल के दौरान जोड़े गए और अन्यमें भी करीब करीब 35.3% लोग कहते हैं कि हाँ हमें पता है कि आपात काल के दौरान जोड़े गए हैं वही हमें नहीं पता है कि ये आपात काल के दौरान जोड़े गए हैं ये कहने वाले भी उपक्ष के 30.2
08:09उसमें भी विपक्ष से जुड़े 26.8% लोग कहते हैं कि हम नहीं कैसे पता नहीं हमें किस तरीके से वह आपकाल के दोरान जोड़े हैं उससे पहले जोड़े हैं लेकिन जोड़े ही हमको पता है वही 30.5% इंडिये समर्तक लोग वह भी कहने कि हमें इसके बारे में जानकारी �
08:39सालों से देश में की जा रही है कई बार सुप्रिम कोट का दर्वाजा भी इसको लेकर खटकटाया गया था लेकिन जब ये सवाल कूचा गया कि क्या बूल प्रस्तावना जो थी जिसमें ये दो शब नहीं थे क्या उसे लागू किया जाना चाहिए तो विपक्ष से जुड
09:09मानते हैं कि हाँ जो मूल प्रस्तावना 1950 में लागू की गई थी वही प्रस्तावना फिर से एक बार लागू होनी चाहिए जो दो शब्द उसमें से हचने चाहिए कुलमिलाकर यही कहने की कोचिश उनकी और अन्य है उसमें 44.1% जो दोनों ही दलों से नहीं जुड़े हु�
09:39मूल प्रस्तावना को लागू नहीं किया जाना जाना चाहिए जो प्रस्तावना चल रही है वो ही जारी रहनी चाहिए जब्कि एंडिये में धी ऐसे लोग हैं ऐसे समर्द एके जो कहता है कि मूल प्रस्तावना को भाल नहीं किया जाना चाहिए 24.2% wwwá кож और अन्य में 37.40% क
10:09प्रस्तावना लागू की जानी चाहिए और नहीं लागू की जानी चाहिए और नहीं लागू की जानी चाहिए कहने वाले
10:1288.1% याने जादातर लोग ये कहते हैं कि हम उन प्रस्तावना लाग्मित होनी चाहिए
10:19ये लोगों का मानना है उनको उन पर ये जो बहस पहुंची है उसके अधार पर कहा है
10:23और चौता सवाल चे सवाल कुल मिलाकर हमने पोचें लेकिन चौता सवाल अगर हम आपके सामने रखें कि आपके अनुसार भारतिय संदर्ब में धर्म निर्पेक्षर यानि सेकुलर इस शप्त का अर्थ क्या है क्योंकि ये सविधान का धाचा माना जाता है एक तरीके से तो �
10:53ये उसका एक मतलब निकल सकता है तो 79.6% लोग जो विपक्ष से जुड़े हुए है वो कहते हैं कि हाँ यही इसका मतलब निकल सकता है जब कि इंडिये में भी 60.7 प्रतिशत यानि जादा तर इंडिये के समर तक भी यही मतलब धर्मनिर्पेक्ष का निकालते हैं कि सभी ध
11:23अर्थ निकाला जाता है आम तोर पर कि धर्म और राज अलग-अलग है और तभी वो राज दरसल सेकुलर कहा जाता है धर्म निर्पेक्ष का जाता है उसमें विपक्ष से जुड़े भी 5.3% लोग कहते हैं कि यह इसका मतलब है जबकि एंडिये से जुड़े जादातर लो�
11:53कोशिश की गई है उसके आधार पर अगर हम देखें तो सारवजनिक जिंदगी में धर्म का दखल नहीं होना चाहिए विपक्ष से जुड़े 5.3% लोग कहते हैं कि सारवजनिक जिंदगी में धर्म का दखल नहीं होना चाहिए 5.3% और 8.7% एंडिये के लोग धर्म निर्�
12:23समर्थकों विपक्षों या अन्यों 70.6% लोग उसको लगता है सभी धर्मों के प्रती सम्मान रखना यही धर्म निर्पेक्षप का असली मतलब है और भी दो सवाल हमने पूछे हुए उसको लेकर भी हम चर्चा में शामिल होंगे लेकिन उससे पहले चर्चा की शुरुव
12:53रखी है कुल मिला कर लोगों को पता है कि वो क्या कह रहा है लेकिन बहुती ओवर्वेल्मिंग तरीके से लोग ये भी नहीं कहते है कि हाँ पुरानी प्रियांबल पर लोट जाना चाहिए लेकिन उसके साथ साथ ओवर्वेल्मिंग तरीके से ये भी नहीं कह रहा है कि नही
13:23कहता कि मैं यह मांग करता हूं उन्हेंने कहा था कि देश्ट पर इस पर विमर्ष होना चाहिए कि सेकुलरिजम और सोशलिजम यह दो शब्द हमारे समिदान के मूल भावना में जो घुसाय गए थे जबरन और वी तब जब सारे विपक्च के लोग जेल में अराम कर रहे थे क
13:53वो संसत का काम है संसत में सरकार क्या करती है विपक्च क्या करता है पारित होता है नहीं होता है कैसे होता है वह बहुत दूर की कोड़ी उस पर नहीं चलते हैं लेकिन यह बात तो मानना पड़ेगा ना कि उस वैचारिक विमर्ष की शुरुवात हो चुकी है देश में आप
14:23प्रेयंबिल देखेंगें उसका सोचिंगे किकरने की जुरत क्यों पड़ी गण. यैग वह
14:28हमारा सम्ज़ां दिया था वा बाबा सा πάp साम्झ कि सम्मिध्ःण का धाचा शितर से दिया
14:34था और बाबा साहब ने विकाइदा कॉंस्ट्यूंट असेंबली के मीटिंग में लगातार ये कहा भी था कि ये श्ब्द को डालने की जुरत नहीं है इसमें बाबा साहब का भैस है जो की अंकित है समिधान को उसके वापस लोटाया जाए
14:56आपने अभी अपने डिपेट में कहा कि संग क्या वैचारिक सत्ता की स्थापना चाहता है तो आपका क्या मानना है
15:041976 के पहले ये दो शब जब नहीं थे तो संग की वैचारिक सत्ता थी क्या इस देश में नहीं यह सवाल बूल लूप से गलत है कि ये दो शब हट जाएंगे तो संग की वैचारिक सत्ता की सपना हो जाएगी
15:16अरे संग ही अलग मैने इसे देश का हिस्ता है संग दूसरी बार क्यों लोग आ यूपीए के राज में या
15:40थर्ड फ्रंट के राज में ऐसी मांगें क्यों नहीं उठी थी क्योंकि लोग को अपेक्छा है कि सम्विधान में बहुत सारे गलत को इसी मोधी सरकार ने सही किया है इसलिए लोगों को अपेक्छा है धारा तीन सो सत्तर थर्डी फाइव ए ऐसा ब्लॉट हमारे सम्विधान �
16:10पूर प्रिधान मत्री कहते थे यह घिस्ते घिस्ते घिस्त के गायब हो जाएगा नहीं गायब होता है सरकार घिस्ते घिस्ते हटाना पड़ता है जड़े काटी पड़ती है यूकि मोधी सरकार ने काटा तीन तलाग पूरे विश्मय किसी इस्लामिक देश में नहीं हमारे �
16:40देश्वयापी विमर्ष हो रहा है इसको भी लागू करेंगे तो मोधी सरकार से लोगों की अपेक्षा है कि जो आज तक गलत हुआ वो सही आप करने की कोशिश की जा रही है इसलिए वेचारिक विमर्ष हो रहा है और मैं बहुत धन्यवाद करता हूं आपका कि आपने इस ट
17:10सोशलिजम की बात करने की जहां तो हमिशा अची है आजालोग जी मैं आपके इस बात से सहमत हूं कि देश के प्रियांबल में जो चीजे लिखी गई है यह यह चीजे क्यों लिखी गई है उस पर देश की जनता जाने और उस पर बहस हो यह भी बहुत जरूरी है लेकिन इस
17:40पे भी जब बीजेपी की या इंडिये की सरकार थी तब भी सविधान की समक्षा के लिए कमिटी बनाई गई थी और उसमें भी यह मुद्दा उठा था कि क्या जो प्रियांबल में यह दो शब्द है इन दो शब्दों का क्या करे क्योंकि यह मूल प्रस्तावना में नहीं �
18:10जब यह भारत की संस्कृती में हैं और इसलिए इस बहस को हम दूर रखना चाते हैं तब तो सरकार ने इस बहस को दूर रखा आज क्या वज़े हैं एक बार फिर कि यह बहस को दोबारा निकालने की कोशिश की जा रही है और अब तक तो सरकार के तरफ से इस पर रुख सा�
18:40सबसे पहली सबसे पहली बात साहिँ जी मैं बतादू कि मैं यहां सरकार की तरफ से नहीं बोल रहा हूं मैं भारती मैं आडवानी जी और वाच्पई जी दिश्कारी के कि तहत ही हमें सहुले है
19:05अपनी अराम से जो हम सहजता के साथ कर पाते हैं
19:09जब वाजपई जी ने समिदान समिच्चा की एक कमिटी बनाई थी
19:11उसमें विपक्ष के बहुत मिंबर थे उसमें बाकी लोग भी थे
19:14और एक मिली जुली सरकार थी उस वक्त उपिनियन फॉर्म नहीं हो रहा था
19:18इसलिए अडवानी जी ने उस वक्त इस विमर्च को हवा दे कर हमारा कारगेल युद्ध हो गया था
19:23देश की और स्थितियों को देखते हुए इस समय खतम कर दिया
19:27ऊज हम उस समय पोजीशन में नहीं थे
19:28कि आज हम इस पोजिशन में आज भी सरकार रही है कोई अडिया सरकार की तरफ से यह भी मर्छ नहीं आया यह विमर्ष करने का सुझाओ आया
19:37संकी तरफ से उसको सेकेंड किया बहुत सारे बुझ्जी जीवियों ने उसको सेकेंड किया बहुत सारे देश के नागरिकों ने और आज इसलिए आज तक भी इस पे विमर्श कर रहा है आपका सर्वे इस पे विमर्श कर रहा है इसलिए बाकी विमर्श भी हो रही है इस विम
20:07मैं खुछ सोचता था कि ये क्यों डाला गया अब मुझे तुष्टी करन के अलावा इसका कोई कारण दिखाई नहीं देता था भाई आप जब समाजवाद डाल रहे हैं तो आप कैपिलिजम क्यों नहीं डाली गभी और इसलिए ये बिल्कु तुष्टी करना वह भी इसलिए
20:37एमर्जनसी के दौरान ऐसा नहीं है कि मुसल्मानों पे अत्यचार नहीं किये गए थे फोर्सिमल कैस्ट्रेशन नजबंदी करवा के कम से कम एक करोड से उपर की नजबंदी करवाई गई थी एक लाग सूपर लोग जेल डाल दिये गए थे जब मुसल्मानों वह ये विरो
21:07कुल मिलाकर आपका ये कहना है कि तुष्टी करण का मुद्द है और जिसके वज़े से ये दो शब्रूर इस इस इस कॉंसिट्यूशन में इस प्रियांबल में घुसा दिये गए थे या आपका ये आपका दरसल कुल मिलाकर आरो पर या आरो बीजेपी कई दिनों से लगा �
21:37इस बार क्या सच-बुच में ये कोशिश की जा रही है जो आरोप कॉंग्रिस लगा रही है कि अब उनके पास सत्ता है तो एक बार फिर उनके वैचारिक मूल्यों के आधार पर ये प्रस्तावना हो जाए
21:49साहिल जी वैसे तो जो आपका आखरी सवाल था जिया लोग को जिसने उन्हें थोड़ा सहच कर दिया उसी में बहुत सारे जवाब थे कि क्यों जो इनके आइडियोलोजिकल स्टॉलवर्ड्स थे उनको भी आखरी में यहार माननी पड़ी कि देश की जो मूल भावना है जि
22:19जहां हर मजब को मिले बराबरी का अधिकार जहां हर गरीब के सपने को मिले आधार सेकुलर और समाजवादी यही तो पहचान है यही तो मेरे भारत की असली जान है देखिए अजे आलोग जी को इतने साल से इस कॉंस्टिटूशन को पढ़कर यह समझ नहीं आया कि इसमें
22:4927, 28 ऐसा ही अनुचेद 38, 49, 40 इन सारे अनुचेदों को इन्होंने उस सलेक्टिव रीडिंग के दौरान दरकिनार कर दिया होगा क्योंकि इस सम्विधान के अंदर हम इस बात को तो नहीं न कार सकते कि प्रस्तावग्रा में 1976 में आड हुआ लेकिन इस सम्विधान की जो मू
23:19वो जो principles रखे गए उसी को इस प्रस्तावना के अंदर डाला गया और यही बार जब बार बार कोर्ट के दर्वाजे खट खटाये गए तो जैसा आपने ठीक कहा चाहे वो केश्वानन भारती का केस हो चाहे वो S.R. बुमई का केस हो चाहे वो मिनर्वा मिल्स का केस हो इन स�
23:49लोगों को ये तो समझना होगा कि ये प्रस्तावना कोई सिर्फ शब्दों का एक संगलन नहीं है ये तो हमारे उस संविधान की आत्मा है ये तो हमें दिशा दिखाती है और उस दिशा से हम जैसे बटक जाएंगे आप मुझे एक बात बताईए आज अगर हम इस देश के �
24:19उस आखरी पंक्ती में खड़े हुए वेक्ती के लिए काम कीजिए आप इस देश अगर इस समझना से सेक्यूलर शब्द को हटा देंगे तो क्या इस देश का जो माइनॉरिटी वर्ग है क्या आप उसको ये विश्वास दिला पाएंगे कि वो दोयम दर्जे का नागरिक न
24:49आता हूँ आपके पास अजया लोग आप मैंने लागते स्टाड़ बानी का जिक्रे किया लेकिन उसी तरीके से प्रदान मंतरी नहरू का भी जिक्रों होना चाहिए क्योंकि ये जब डिबेट छीडी थी कॉंस्टिट्यूइट असेंबली में तब नहरू ने उसको पुष्
25:19इसके साथ साथ उनको ये भी लग रहा था कि भारत का कॉंस्टिट्यूशन का धाचा ही इस तरीके से उसके डारेक्टिव प्रिंसिपल सो या बाकी सारी चीजे उसमें ऐसी है कि जिसके वज़े से हर धर्म का समान समान ये उसमें उचित किया गया है उसमें इंशोर किया ग
25:49नहीं ये राजनिती कहीं कुछ और है, उस वक्त की स्थिती कुछ और थी और इसलिए ये दो शब्द वहाँ पर डाले गए थे।
26:19कूट कूट कर भरा गया है, लेकिन समय की मांग को समझते हुए, जब इन मूल्यों को देश की जनता के सामने सरल और सहच तरीके से दिखाना था, और उस भाव को सब के सामने रखना था, क्योंकि आप 1977, 73, 74, 75 के दौर के जो राजनितिक और समाजिक परिवेश हैं, उन सब को
26:49सेक्यूलर फाब्रिक के साथ है, इस सरकार की जो परिकल्पना है, उस सोशलिस्ट अपरोच के साथ है, तो उसको सम्विधान की प्रस्तावना के साथ मर्च किया गया, और जब आगे भी कोई समय आएगा, सम्विधान के और भी कोई ऐसे मूल्य, जो आपको लगता है कि दे
27:19राइट तू रिलिजियस प्रक्टेस, राइट तू फॉर्मेशन, राइट तू रिलिजियस इंटर्प्रेटेशन, आप क्या इन सारे जो हमारे अधिमार है, क्या इन सब को खतम कर देंगे, जब पूरा कॉंस्टिटूशन ही इन्ही आधारों पर बना हुआ है, इक्वैलि
27:49क्यों और उसके साथ साथ जो आरे सेस का आरोब बार बार इस पर लगता है, कि आप इन शब्दों को डालके भारत की जो धार में एक स्थिती है, उसको बदलने की कोशिश कर रहे हैं, कहीं ना कहीं, जिसका दिक्र और्गनाइजर में भी किया गया है, मुझे लगता है, जो
28:19कहते हैं, कि हमारे देश का जो सोशल फाबरिक है, वो गंगा जमनी तहजीब जो है, वो यही कहती है, कि हम सब का सम्मान करेंगे, अगर ऐसा नहीं होता, तो हो सकता है वेस्टन डेमोक्रिसी की तरह, आज हम भी एक स्टेट रिलिजिन की बात कर देते, लेकिन क्या उस्टे
28:49जब हमारी कॉंस्टिट्वेंट असेंबली में चर्चा हुई, यही सवाल उठता है, जो RSS Organizer में खास करके लिखा गया है, और वो यह कहने की कोशिश कर रहे हैं, कि धार्मिक मुल्यों को कमजोर करने की कोशिश है, इन दो शब्दों का प्रयों, यह धार्मिक मुल्यों को
29:19847 में जब ढर्म करते हैं, यह इन दो inspired का इस्तमाल करते हैं, तो ऑर्गनाईजर केहता है, उसके वज़े से, इसमें कोई शक्त नहीं है, इसमें कोई शक्त नहीं है कि लगातार धार्मिक मुल्यों को कमजोर करने की कोशिश इंस्तिर साल से की गई, मुझे एक सवाल का जव
29:49जी थे सचिदानन से ना थे पंडित जवाहालाल नहरू थे लोग कमानती लग थे जितने उस समय के लाल बहादु शास्त्री जी थे जिसने उस वक्त के तमाम बड़े नेता थे संविधान की सभा में थे
30:00वो बेवकूफ थे सबसे वड़ी अकलमंद इंद्रा गांधी हुई क्यों कोई लगा कि नहीं यह दो शब्तों डाल नहीं पड़ेंगे यही न मतलब हुआ इसका तो मतलब यही हुआ अब मुझे दो बात में बता दिए बाबा साहब बेटकर बड़े कि इंद्रा गांधी ब�
30:30कॉंस्टिउशन कहा गया था इस कॉंग्रेस पार्टी ने अब तक इस देश के संविधान में नब्वे बार संशोधन की पहला संशोधन तब किया जब इलेक्टेट भी नहीं हुए थे 1950 में हम संविधान को अंगिकार करने के चौथे महीने में काम चला उस सरकार में नहर�
31:00संविधान का आत्मा जिसको प्रेंबल कहते हैं हमारी मूल प्रस्तावना उस आत्मा से छेड़शाड की 1976 में आज की तारीक में जब लोग कहते हैं कि संविधान की आत्मा से छेड़शाड ठीक नहीं है वापस उसको औरीजिनल फॉर्म में ले आईए आप वो भी मानने को �
31:30आए अगर विवांश करना गुनाघार है तो मैं यूनएगार है सब क्युक्तocy क्राइब कि उसको इसाइनलोग हमने पूछे है
31:36लोगों से दो और सवाल हमने पूछे हुआ है वहाँ पर भी मुझे जाना
31:54नीरज मिश्टा जल्दी से 20 सेकर में आप जवाब दे सकते हैं तो दीजे क्योंकि जीतनरे कुमार से भी मुझे एक जल्दी से सवाल पूछना है नीरज मिश्टा
31:59साहिल जी देखे ना ओर्गनाइजर और उसके विचारों के ऊपर जो अजया लोग कह रहे हैं
32:04जब युनिवर्सल अडर्ट फ्रेंचाइज की बात हो रही थी तो अर्गनाइजर में पहला लेक लिखा गया कि इस देश की महिलाओं दलितों के बास वोट का अधिकार नहीं होना चाहिए इसी देश के अंदर
32:20में और गनाइजर लिखता है कि डिनाउंसिंग अंटी इंदू जो हमारे सम्विरां को अंटी इंदू बनाना चाहता है ऐसे मैगजीन और ऐसे अंदर साही या इंद्रा साही अजे आलोग जी आप जब अंबेंकर जी के बारे में बात करते हैं तो इस देश की जंता यह सम�
32:50सम्विधान की प्रस्तावना जो पहला पेज है उसके ऊपर बाबा साही लिखे हुए है और आप लोगों का जिस तरीके का रिलेशन बाबा साही ने तो कहा आलोग जी कि इंद्रा जी ने तो बाबा साही ने खुलेंगे
33:10पहली पार्टी का नाम तो संता पार्टी था जो आज जनता दल यूनाटेट बन चुका है उनके पार्टी के जो
33:40बनाने वाले है जॉर्ड फर्णांडिस वो समाजवाद के मुखर नेता माने जाते थे
33:45नितिश कुमार भी समाजवाद का पार्ट पढ़कर ही राजडीती बे आए हुए थे और ऐसे में
33:50अगर ये बहत छिड़ जाती है कि समाजवाद और सेकुलर ये शब्द हटा दिये जाए तो आपके भूमी का क्या रहेगी जेडियू और खास करके आप बियार के चुनाओ भी है
34:02हमारी पार्टी का मानना है साहिल जी सेकुलरिजम और सोचलिजम समभीधान का इंटीग्रल पार्ट है
34:13सुप्रियू कोट ने भी केशवाननद भारती के मामले में इसको साबित किया है सिद्ध किया है और इसके अपना निर नहीं दिया है
34:19सम्विधान का अनुछेद 25 से लेके 28 तक में इसकी चर्चा है जिसका प्रतिविंबन प्रस्तावना में दिखता है
34:27हम लोग सम्विधान को मानने वाले लोग हैं और हमारी पार्टी जिन 5 आदर्स पूरसों के सिक्षाओं पे चल रहा है
34:35उनके पधचिनों पे चल रहा है उसमें महात्मा गांधी, बावा साहब अंबेदगर, जैप्रकाश नारायन, लोहिया और करपूरी ठाकुर सामिल हैं
34:43तो हम लोग तो समाधुनिक समय में, 2025 में, समाजवादी मुल्यों के सच्चे बाहग हमारे माननिय मुख्यमंत्री नितिश कुमार जी हैं, जिन्होंने बिहार में समाजिक नियाई के साथ विकास को सुनिश्चित किया है
34:59और पंचायती राज संस्थानों में लेंगिक समानता सुनिश्चित करते हुए महिलाओं को आरक्षन दिया है
35:05हम लोग किसी भी प्रकार के तुष्टी करन का विरोध करते हैं, ठीक उसी प्रकार हम लोग फासिवाद के भी विरोधी है
35:12हम लोगों ने मंदिरों, मस्जिदों और गिरजागहरों को भी यानि चर्चों को भी घेरे बंदी या बाड़े बंदी करवाया है
35:20तो पार्टी की भूमी का छोड़ी है, ताकि धार्मिक मुद्दे से जुड़ा हुआ ज़गड़ा है, वो दूर हो जाए
35:26मेरा स्पेसिफिक सवाल है, जो और्गनाइजर सवाल उठा रही है कि धार्मिक मुल्यों को धार्मिक मुल्यों को हटाने की कोशिश है, अगर ये दो शब्द रहते हैं तो जो भारत के धार्मिक मुल्या है, आरेसेस के मुताबिक, वो धार्मिक मुल्यों को यहां पर हटान
35:56लागू कर देना चाहिए जो प्रस्तावना थी Constitution की उसका जवाब जल्दी से जीज़े जीतन रिकुमार जी उसके बाद आगे के दो सवाल भी लेंगे चर्चा आगे बढ़ाएंगे जीतन रिकुमार
36:04मेरी पार्टी जन्ता दल उनाइटेड समविधान की परस्तावना में किसी भी परकार के छेड़ छाड़का बिरोध करती हैं और ये दोनों शब्द समविधान की परस्तावना में रहना चाहिए
36:18चुकि हम लोग समाजवाद के सच्चे बाहक हैं
36:21और हम लोग की पार्टी इस बात में भी स्वास रखती है
36:24कि विकास के करम में जो आखरी व्यक्ती है
36:27पंग्ती में खड़ा आखरी व्यक्ती
36:29उसका भी विकास हो
36:30और ग्रासरूट लेबल पे विकास हो
36:32सबाजवाद का नाम लिए बिना सारा वेलफेर एकनोमिक्स कोई भी पार्टी की सरकाराय वो लागू करती है लेकिन इन दो शब्दों का एहमियत प्रियेंबल में है की नहीं है उसका जवाब दीजिए आप बता दीजिए कि नहीं पूरा
36:49ठीक ठाक है तो इन दो शब्दों की जरुवत नहीं है जो आरेसेस और बीजेपी आज की स्थिती में बीजेपी के प्रवक्ता भी कह रहे हैं बिल्कुल इन दोनों शब्दों की अहमियत संविधान की प्रस्तावना में है और हमारी पार्टी इसका पूरजोर समर्थन करती है
37:19अशुतोष और अशुतोष भी इंतजार कर रहे हैं कब से संजे कुमार बें इंतजार कर रहे हैं अगले दो प्रश्ट जो हमने लोगों से पूछे थे उस तरफ भी जाएंगे और उस पर भी हम बात करेंगे
37:29तो पाच्वा सवाल जो हमने जनता से पूछा था कि आपके अनुसार भारतिय संदर्व में समाजवादी शब्त का मतलब क्या है क्योंकि कौन्टेक्स पदल जाता है जो वेस्टिन कौनטेक्स है सोचलिस्स शब्दों का उसका मतलब अलग होता है जो रशिया में लागू कि
37:59Democratic Socialist है, Socialism होता है और उसके साथ साथ Mixed Economy यानि कुछ चीजे जो पूरी सरकार या राज्य उसको Ownership होता है और बाकी Private Ownership भी चल जाती है, Public और Private Sectors दोनों फलपूल सकते हैं इस तरीके का भारतिये कॉंटेक्ट्स पे उसका मतलब निकाला जाता है
38:18तो अगर आप हमने पूचा कि भारतिये संदर्द में समाजवाच शब्त का अर्थक क्या है तो उसका मतलब ये जारातर जो 18.1 प्रपिश्चत लोग जो है वो ये समझते हैं इस शब्त का मतलब उनको लगता है कि जो प्रमुक भारत के पास अलग-अलग प्रमुक उद्योग
38:48ये समाजवाच का असली मतलब हम निकाल सकते हैं और उसके साथ साथ दूसरा जो उसका मतलब हम निकाल सकते हैं जो कहा गया है
39:16शो यह कि धन का समान वितरन जिसका जिक्र है कई बार किया गये जो संपत्थी का समान वितरन वो भी मानने वाले लोग है विपक्ष में 13.13% लोग जो है वो कहते हैं इस मतलब को हम मानते हैं
39:3111.3% लोग कहते हैं, इंडिये के समर्थक वो कहते हैं कि हां धनका समान वितरन, इसको हम मानते हैं कि समाजबात का मतलब है, यह इसका मतलब निकलता है, तीसरा, गरीबों के लिए कल्यानकारी योजनाएं, जारतर लोगों को इस देश में लगता है, कि करीब करीब 50 प्रतिश
40:01और अन्य बाकी लोग इस पर कहते हैं और आखिर में चटा सवाल पूचा गया कि क्या आपको लगता है कि धर्मंदिर पेक्ष और समाजवाज शब्दों को हटाने पर जो बहस हो रही है वो राजनीती से प्रेरित है तो हाँ पूरी तरीके से राजनीती से प्रेरित है यह प�
40:31यहां यहां यह राजनीती से प्रेरित मिलकर 50% से जाधा लोगों को लगताए यह पूरी बहस यह सब सबसे पहले जिए समझनी पड़े कि यह जो
40:57इस बहस को जिन्दा क्यों किया गया जब कि ये बहस सुप्रिम कोट ने अपने स्थर्पर पूरी तरीके से खतम कर दी एक बार नहीं कम चेकम दो बार पिछले अक्टूबर में अक्टूबर 22-23 को 2024 को सुप्रिम कोट ने स्परश्ट तोर पर कह दिया था कि सेकुलरिजम और स
41:27समझने की जरुवत है सुप्रीम कोट ने साब तो पर कहा कि आप आप जब इस सेकुलरिजम और सोशलिजम को हटाने की बात कर रहे हैं तो फिर अब तक जितने
41:38अमेंडमेंट्स हुए हैं वह भी नलिफाइब कर दीजिए तब तो और से जयादा अमेंडमेंट्मेंट्स हो चुके हैं अगर सवसे जयादा हो चुके तो इस इसका मतलब जो और इड़िजनल समखधान है
41:49बाबासाब अमेड करकाओ वैसा नहीं बचा है, तो आप सारे सम्विधान को उटाने की बात कर सकते हैं, यह सुप्रीम कोर्ट का, सुप्रीम कोर्ट साब तर पर कहा है कि सम्विधान एक living organism है, इसमें लगातार बदलाओं की जरुवत है, इसलिए इसमें लगातार amendment की बात की
42:19पचास की जब सम्विधान लागू किया गया था, उस वक्त गोलवलकर ने कहा था कि इसमें तो भारत की आत्मा नहीं, इसको भारत का हिंदू माने गई नहीं, वहां तक कि जंडे की बात, तरंगे की बात हमें कह दिया तो अब शकुन है, लेकिन हिंदूों ने पिछल सकतर
42:49जब वाबरी मस्जित के मसले पर भी फैसला हुआ था, तब भी सुप्रीम कोट ने साब तरपका आता है कि सेकुलरिजम जो है, ये भारत का बेसिक फीचर अब ता कॉंस्टिचूशन है, और बेसिक फीचर अब ता कॉंस्टिचूशन है, अजे आलो, जल्दी से आपका ज�
43:19बीच मिनी बोला था, तरपके उपर। दिस्मिस्ट दिस्मिस्ट पेटिशन, इसमिस्ट पेटिशन, तब आपका सुप्रिम कोट ने कहा, इतने दिन के बाद आपको यादा आईए जो यहां गए है, अगर चेंज करना है, तो जाईए वही चेंज किजिए, जहां चेंज कि
43:49करेंद अब मेंड़ को एमेंड किया जा सकता है की हैं उस एमेंड मेंड मैंस को खारीज वी किया जा सकता है या पहले मेंड मैंने की बाद हो गई है समवेदान
44:01स longitud काँ से हो गया KI ya hoたा हे ह होता है कमिनलिजम कज अब आपने का हिंदु राज बाने की पीर कि
44:12कि या आज तोस कर रहे हैं यह एक मिलट जड़ा सब को शान करें मुझे संजे कुमार से आकर में एक प्रतिक्रिया लेनी है आखर में
44:23क्योंकि यह बहस लंबी छिड़ सकती है आखर में लोगों को जब पूचा गया समाजवादी का मतलब क्या है तो लोगों ने सही बतलब
44:42संजे कुमार चीन मुझे लगता नहीं है इसका असर नहीं होगा लोगों पर वज़ें पर कई
44:55लोगों ने अपने आपने विचार मुझे लग रहा है कि संवयधान की सबसे और अधिकार किसके पास है बोसस्वाब कर
45:10कानून के हिसाब से चलने की जरूरत है इस पर public sentiments से पहने की जरूरत नहीं है कि क्या संविधान में परिवर्तन होना चाहिए
45:18socialist और secular Republic जो शाब्द है उसको हटाना चाहिए या नहीं हटाना चाहिए इसका इस
45:25अख्वन करके सब्सक्राइब कर सकता है।
45:43इसका असर होगा या नहीं होगा असर तो जरूर होगा जिस तरह से चीजों पर डिबेट होती है
45:52बिल्कुल आप देखे कोई भी मुद्दा लेके आते हैं तो लोग दो खेमे में बढ़ जाते हैं और आपने देखा अलग-अलग मुद्दों पर NDA के समर्थक का उपीनियन अलग है तो जो दूसरी पार्टी के समर्थक है, UPA के समर्थक या इंडिया के समर्थक उनके उपीन
46:22यह डिबेट यहां पर हो सकती है, कहां तक यह डिबेट जाएगी, आने वाले सत्र में, सेशन में, पार्लमेंट के सेशन में क्या यह डिबेट एक बार फिर चिड़ी जाएगी, इस सारे मुद्दों पर हमारी नजर बनी रहेगी
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